प्रदेश के सियासी भूचाल में उड़ी नेताओं की नींद
चार घंटे ही सो रहे कमलनाथ-शिवराज
- सरकार बचाने और बनाने में सिमटी दिनचर्या

भोपाल : प्रदेश के सियासी हालात में नेता मुझे नींद न आए, मुझे चैन न आए की स्थिति से गुजर रहे हैं। सियासत के दो अहम केंद्र मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इन्ही हालातों से दो-चार हो रहे हैं। इनकी नींद उड़ गई और चैन खो गया है। ये नेता बमुश्किल चार घंटे की नींद ले पा रहे हैं। देर रात सोना और जल्दी उठना इनकी दिनचर्या में शुमार हो गया है। नींद के साथ-साथ इनका खाना भी कम हो गया है। विधायकों के संकट के चलते दोनों नेताओं का अपने विधायकों से दिन में एक बार मिलना रोजमर्रा के कार्यक्रमों में शामिल हो गया है।
कमलनाथ की नींद उड़ी :
प्रदेश में चल रहे हाई वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा के पल-पल बदलने के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ की आंखों से नींद गायब हो गई है। उनका दिन सुबह छह बजे से शुरु हो जाता है। सुबह छह से आठ बजे के बीच वे योग और पूजा करते हैं। आठ बजे से मुख्यमंत्री निवास में नेताओं की आवाजाही शुरु हो जाती है। प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा के बाद नेताओं के साथ बैठकों का सिलसिला शुरु हो जाता है। विधायक,मंत्री और वरिष्ठ नेताओं के साथ वे लगातार बैठकें कर सियासी पल्स को भांपते रहते हैं। इन दिनों इन बैठकों का मुख्य विषय अपने विधायकों को बचाने और 16 बागी विधायकों को अपना बनाने को लेकर ही है। इन बैठकों में ही मुख्यमंत्री हल्का नाश्ता करते हैं और दोपहर में लंच भी इनके साथ ही होता है। जरुरी बैठकों को छोड़ दें तो कमलनाथ मंत्रालय भी ज्यादा नहीं जाते, उनका पूरा वक्त सीएम हाउस में ही गुजर रहा है। शाम में विधायक दल के साथ डिनर होता है। रात 2 बजे तक ये सियासी गतिविधियां चल रही हैं। रात में दो बजे कमलनाथ सोने जाते हैं।
शिवराज का खोया चैन :
प्रदेश में भाजपा की राजनीति की धुरी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आस-पास ही घूम रही है। शिवराज सिंह का दिन तड़के साढ़े पांच बजे शुरु हो जाता है। इसके बाद वे एक घंटे योग और व्यायाम करते हैं, एक से सवा घंटे उनको पूजा-पाठ और सूरज को अघ्र्य देने में लगता है। उनकी दिनचर्या में योग और अघ्र्य दोनों की बहुत अहमियत है। हल्का नाश्ता करने के बाद आठ बजे से शिवराज का मेल-मुलाकात का दौर शुरु हो जाता है। इन दिनों उनको दिल्ली का बार-बार दौरा भी करना पड़ रहा है। शिवराज की बैठकों में भी तख्तापलट की रणनीति मुख्य विषय बनी हुई है। 22 बागी नेताओं भूमिका भी उनकी चर्चा का मुख्य बिंदु है। शिवराज सिंह चौहान का इन दिनों सीहोर जाना भी रुटीन में शामिल हो गया है। विधायकों से मिलकर कभी गपशप तो कभी क्रिकेट खेलते हुए उनको देखा जा सकता है। लंच में वे तीन रोटी खाते हैं, कभी घर से टिफिन ले जाते हैं तो कभी नेताओं के साथ बाहर ही खाना हो जाता है। शिवराज अपने साथ नमकीन मखाने ले जाना नहीं भूलते। बीच-बीच में वे मखाने खाते रहते हैं। देर रात डेढ़ से दो बजे ही उनकी नींद लेने का वक्त हो पाता है।
गोपाल का गणेश दर्शन, नरोत्तम का टहलना जारी :
भगवान गणेश के भक्त गोपाल भार्गव इन दिनों सीहोर में ही दिन गुजार रहे हैं। बदली दिनचर्या में उनका गणेश पूजन जारी है। बदलाव सिर्फ इतना आया है कि वे अपने घर की जगह सीहोर के सिद्धि विनायक के दरबार में मत्था टेक रहे हैं। वहीं सियासी उठापटक के इस दौर में नरोत्तम मिश्रा भी लाइम लाइट में हैं। इन गतिविधियों के बाद भी नरोत्तम मिश्रा ने अपना शाम का टहलना नहीं छोड़ा। वे अभी भी रोजाना दस किलोमीटर वॉक कर अपनी फिटनेस पर पूरा ध्यान दे रहे हैँ।
दिग्विजय का 12 मिनट योग में चार घंटे की उर्जा :
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश के एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने इस सियासी घमासान का एक सिरा शुरुवात से अब तक पकड़ा हुआ है। वे सरकार बचाने के लिए भोपाल से मनेसर और बेंगलुरु तक नाप आए हैं। लगातार यात्रा के बाद भी वे मोर्चा संभाले हुए हैं। ऐसे में उनको एनर्जी देता है उनका 12 मिनट का स्पेशल योग। वे कहीं भी, कभी भी 12 मिनट आंख बंदकर विशेष योग करते हैं जिससे उन्हें चार घंटे की उर्जा मिल जाती है और थकावट दूर हो जाती है। राजनीतिक की इस भागमभाग में उनका स्पेशल योग उनका साथी बना हुआ है।
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