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चुनाव में नेताओं के लिए सिर्फ ‘मत’ के मायने, ‘दाता’ की फिक्र किसी को नहीं

locationभोपालPublished: Oct 19, 2020 11:01:50 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

दिग्गज नेताओं की सभाओं में भीड़, न किसी के चेहरे पर मास्क न सोशल डिस्टेंसिंग

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भोपाल. मध्य प्रदेश में चल रहे उपचुनाव के प्रचार प्रसार को लेकर हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश के नेताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि राजनेता या फिर राजनीतिक दल का सदस्य जनता के लीडर के रूप में होता है, इसलिए लीडर की जिम्मेदारी होती है कि वह कानून का बेहतर तरीके से पालन करे और उल्लंघन को रोके, लेकिन मतदाता लीडर के आचरण, व्यवहार और उसके कर्मों का अनुकरण नहीं करते हैं। इसके पीछे कारण हमारे समाज में फैली व्याप्त अज्ञानता, अशिक्षा और गरीबी है। हमारे राजनीतिक दलों के सदस्य अपने मतदाता और आम जनता के बीच एक उदाहरण स्थापित कर सकते हैं, केन्द्र, राज्य और जिला प्रशासन की कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करके।

उपचुनाव की सभाओं में उमडऩे वाली भीड़ पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं करने वाले नेताओं पर केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। कहा था, अब प्रोटोकॉल का कोई नेता या दल उल्लंघन करता है उसके खिलाफ आपदा प्रबंधन कानून या आइपीसी के तहत कार्रवाई की जाएगी। यदि कलेक्टर नियमों का पालन कराने में असमर्थ रहते हैं तो उन पर भी अवमानना की कार्रवाई की जाए। ३ अक्टूबर को दिए गए कोर्ट के ये आदेश नेता और अधिकारी हवा में उड़ा रहे हैं।

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शिवराज की सभा
भीड़ ही भीड़: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को शिवपुरी के पोहरी और ब्यावरा के सुठालिया में सभाएं कीं। बोले, कमलनाथ कहते हैं कि मैं शाहरुख-सलमान खान से बड़ा एक्टर हूं, मैंने आइना देखा तो मैं उन एक्टरों जैसा नहीं लगता। क्या कमलनाथ को केवल एक्टर याद रहते हैं। सभाओं में कोरोना प्रोटोकाल गायब था।कमलनाथ की सभा

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कमलनाथ की सभा
गाइडलाइन टूटी: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने डबरा में सभा की। बोले, मैंने माफिया पर कार्रवाई की। इसीलिए शिवराज ने हमारी सरकार गिराई। गोहद में कहा, मेरे पास भाजपा विधायक आए थे, लेकिन मेरा जमीर लोकतंत्र का वध करने की इजाजत नहीं देता। उनकी सभा में कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं हुई।

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सिंधिया की सभा
भीड़ के बीच कन्या पूजन: नेपानगर के दर्यापुर में रविवार को जनसभा में पहुंचे राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंच पर कन्या पूजन किया। भारी भीड़ के बीच से इन बच्चियों को मंच तक लाया गया। किसी ने मास्क भी नहीं लगाया, ऐसा ही सांवेर की सभा में हुआ। दोनों जगह लोगों के चेहरे पर न मास्क था, न सोशल डिस्टेंसिंग।

अवमानना, अपमान और अवहेलना…
ये चुनाव हैं या संक्रमण को न्योता… जब चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया तो स्पष्ट कहा था कि कोरोना महामारी से बचने की गाइडलाइन का पालन सभी प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को करना होगा। मगर हालात अफसोसजनक हैं। अफसर पता नहीं किस दबाव में काम कर रहे हैं? वे ग्वालियर हाईकोर्ट के सख्त आदेश की परवाह ही नहीं कर रहे। अवाम आखिर इसे क्या माने? कोर्ट की अवमानना, जनता का अपमान या आयोग की अवहेलना?

https://youtu.be/nGCPW2HhDAQ
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