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आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष की मांग उठाने लगे है कांग्रेस विधायक

locationभोपालPublished: Jun 14, 2019 10:29:29 am

Submitted by:

Amit Mishra

कांग्रेस-भाजपा में आदिवासी वर्ग को लेकर मचने लगी खलबली

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भोपाल. प्रदेश की 22 फीसदी आदिवासी आबादी को सत्ता की चाबी माना जाता है। चुनावी दौर खत्म होने के बाद कांग्रेस-भाजपा में आदिवासी वर्ग को लेकर खलबली मचने लगी है। कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि संगठन की कमान किसी आदिवासी नेता को दी जाए। उधर, भाजपा जल्द ही आदिवासियों से जुडऩे उनके हक की लड़ाई लडऩे जा रही है।

आदिवासी नेतृत्व की तलाश में कांग्रेस
कांग्रेस नए आदिवासी नेतृत्व की तलाश में जुट गई है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों में मिली सफलता के कारण अनुसूचित जनजाति के विधायक भी आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष की मांग उठाने लगे हैं।


जनाधार पर भी सवाल उठने लगे
कांतिलाल भूरिया आदिवासी नेतृत्व के नाम पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन चुके हैं। भूरिया के उम्रदराज होने के साथ क्षेत्र में उनके जनाधार पर भी सवाल उठने लगे हैं। वे लोकसभा चुनाव हार गए। साथ ही अपने पुत्र विक्रांत भूरिया को भी विधानसभा चुनाव नहीं जितवा पाए। गृह मंत्री बाला बचचन का नाम प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चल रहा है। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी उनके नाम की वकालत की है। दूसरी पीढ़ी के नेता और नए आदिवासी चेहरों में उमंग सिंघार, ओमकार मरकाम, सुरेंद्र सिंह हनी बघेल और फुंदेलाल मार्को आगे बढ़ते दिख रहे हैं।कांग्रेस चाहती है कि उसे ऐसा नेतृत्व मिले जिसका रहन-सहन और खान-पान आदिवासियों की तरह हो।


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आदिवासी वर्ग से ही होना चाहिए, कांग्रेस को नए आदिवासी चेहरे को मौका देना चाहिए।
डॉ. हीरा अलावा, विधायक

राजनीतिक समीकरण
विधानसभा की 47 आदिवासी सीटें हैं, जिनमें से 2018 में कांग्रेस को 30 सीटें मिली हैं, जबकि 2013 में भाजपा को 31 सीटें मिली थीं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 230 में से 21 विधानसभा क्षेत्रों में ही बढ़त हासिल कर पाई, जिनमें से 13 आदिवासी सीटें हैं। आदिवासी मंत्रियों में गृह मंत्री बाला बच्चन, वन मंत्री उमंग सिंघार, पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह हनी बघेल और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने अपनी विधानसभा सीटों में कांग्रेस को बढ़त दिलाई है।


शिवराज जल्द उठाएंगे इनके मुद्दे
पिछले दो चुनावों में हाथ से फिसले आदिवासी वोट बैंक से भाजपा चिंता में है। पूर्व सीएम और भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान जल्द ही आदिवासियों की मांगों को लेकर आंदोलन खड़ा करने जा रहे हैं। शिवराज आदिवासियों की लड़ाई अपने विधानसभा क्षेत्र बुदनी से शुरू करेंगे। उनका आरोप है, वहां सरकार आदिवासियों को बेवजह प्रताडि़त कर रही है। पहले आदिवासी वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता था, लेकिन 2003 में सत्ता में आने के बाद भाजपा इस वर्ग को अपने पाले में लाने में सफल रही थी। पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर लगे झटके ने भाजपा के चौथी बार सरकार बनाने के सपने को तोड़ दिया। अब भाजपा आदिवासियों के विभिन्न समस्याओं को मुद्दा बनाने की तैयारी मेंं है।


मेरे क्षेत्र के आदिवासियों को सरकार परेशान कर रही है। उनके ट्रैक्टर बेवजह जब्त किए जा रहे हैं, उनके घर तोड़े जा रहे हैं। प्रदेश में कई जगह आदिवासियों पर आबकारी के झूठे प्रकरण दर्ज किए गए हैं। मैं जल्द ही आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करूंगा।
शिवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएम

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