केन्द्र सरकार ने पूरे देश में 2010 और 2012 के बीच 10 स्थानों का सर्वे चीता रखने के लिए कराया था। इसके बाद रहवास विकास और जलवायु की उपयुक्तता के लिए मूल्यांकन किया गया। इसमें सबसे ज्यादा उपयुक्त कूनो-पालपुर नेशनल पार्क को ही पाया गया है। दरअसल, इस पार्क में एशियाटिक लॉयन लाने के लिए पहले से ही तैयारी थी।
यहां से आएंगे चीता: दक्षिण अफ्रीका (नामीबिया, बोत्सवाना और जिम्बाब्वे) से चीता लाने की तैयारी है, क्योंकि इन क्षेत्र के चीतों के लिए भारत की जलवायु उपयुक्त है। एक अध्ययन में पता चला है कि दक्षिणी अफ्रीका के चीता के लिए अनुकूल जलवायु भारत में है।
वित्तीय प्रबंधन के लिए भी तैयारी
केन्द्र और राज्य सरकारें इस परियोजना के लिए अपने बजट और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तर दायित्व के माध्यम से वित्तीय प्रबंध करेगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ), राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञ व एजेंसियां इस परियोजना को तकनीकी मदद और जानकारी प्रदान करेंगे।
500 हेक्टेयर का बाड़ा तैयार
कू नो-पालपुर में 500 हेक्टेयर का बाड़ा तैयार हो चुका है। इसके चारों तरफ से बाहर की तरफ सोलर पावर से इलेक्ट्रिक फेंसिंग की गई है। इससे तेंदुए सहित अन्य मांसाहारी वन्य जीव अंदर प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा चीते के शिकार और उसके रहवास-विकास की भी व्यवस्था की गई है।
चीतादुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर जो 112 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। चीता सात मीटर तक लंबी छलांग लगा सकता है। माना जाता है कि इसे रात में देखने में दिक्कत होती है। अभी दुनिया में चीता की संख्या 7100 है।
कोरिया (वर्तमान में छत्तीसगढ़) के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में तीन चीता का शिकार किया था। इसके बाद सरकार ने 1952 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया था। तब से भारत में चीता नहीं है। इसके बाद सरकार की ओर से चीता को कूनो-पालपुर में बसाने की योजना बनाई गई थी, जिसे 2020 में सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिली।