scriptमध्य क्षेत्र: सीएम शिवराज पर वोटर्स का भरोसा पड़ा सब पर भारी, दिग्विजय का गढ़ तक ढ़हा | Lesson to the politicians of the voters of the central region | Patrika News

मध्य क्षेत्र: सीएम शिवराज पर वोटर्स का भरोसा पड़ा सब पर भारी, दिग्विजय का गढ़ तक ढ़हा

locationभोपालPublished: Jul 21, 2022 11:13:15 am

जानें इस चुनाव में आपके क्षेत्र की जनता ने दिया कौन सा सबक
नगरीय निकाय चुनाव: वोटर ने सूबे के हर इलाके से दिया सियासी सबक

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भोपाल@राजीव जैन

चुनावों के दौरान किए जाने वाले तमाम वादों व दावों के बीच जनता को बहलाने से लेकर किसी भी तरह से उन्हें अपनी ओर खीचने की राजनैतिक पार्टियों की ओर से तमाम प्रयास किए जाते हैं। इस तरह के तमाम वादों व प्रयासों के बाद आखिरकार अब मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों के परिणाम सबके सामने आ चुके हैं। ऐसे में जहां जनता ने इस बार कुछ पार्टियों की बातों को लेकर हामी भरी तो वहीं कई वादों व दावों को सिरे से नकारते हुए राजनीतिक दलों को सियासी सबक देने का भी काम किया है। ऐसे में आज हम विश्लेषण कर बता रहे हैं कि इन चुनावों से किसे क्या सबक मिला… कौन कहां मजबूत रहा और कहां कमजोर…

मध्य क्षेत्र का सियासी सबक
मध्य प्रांत के दस जिलों में भाजपा को निकाय चुनावों में छप्पर फाड़ सफलता मिली है। राजधानी भोपाल में भाजपा की मालती राय बड़े अंतर से महापौर बनने में कामयाब रहीं। सीएम शिवराज सिंह चौहान की खुद की बुदनी सीट भी इसी इलाके में आती है। बुदनी विस की तीनों नगर परिषद बुदनी, नसरुल्लागंज और रेहटी में भाजपा को भारी जीत मिली।

सीएम की पहल पर शाहगंज नगर परिषद के सभी 15 प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए। इलाके में पूरा चुनाव ही मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द लड़ा गया। सीएम ने भी इसे गंभीरता से लिया। प्रदेश के बाकी हिस्सों में नगर निगम वाले इलाकों में रोड शो या सभा में गए। यहां उन्होंने परिषद में भी खुद जाकर प्रचार किया। बागियोंको समझाया।

इसी तरह उनके प्रभाव वाले विदिशा जिले के 6 निकायों में से 5 पर भाजपा का कब्जा हो गया। कांग्रेस अपनी परंपरागत नगर परिषद कुरवाई ही बरकार रख पाई। रायसेन में 11 निकायों में आठ पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। रायसेन में मंत्री प्रभुराम चौधरी और गौरीशंकर शेजवार के बीच मनमुटाव का खमियाजा परिणामों भी भी दिखा। सांची विधानसभा की सिर्फ एक ही सीट पर भाजपा को जीत मिली। रायसेन जिला मुख्यालय में भाजपा को 18 में से 7 और कांग्रेस के 8 पार्षद जीते हैं। यहां बोर्ड बनाने के लिए निर्दलीय के भरोसे रहना होगा।

यही हाल गैरतगंज में है, 15 में से 9 निर्दलीय हैं। रायसेन में खुद प्रभुराम चौधरी के निवास वाले वार्ड से भाजपा प्रत्याशी हार गया। मध्य प्रांत में बड़ा उलटफेर राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के गढ़ में हुआ। उनके प्रभाव वाले राजगढ़ और गुना जिले में कांग्रेस का सफाया हो गया। राजगढ़ और गुना जिले में सिर्फ एक-एक जगह कांग्रेस जीती है। गुना जिले में निर्दलियों का बोलबाला है। अशोकनगर जिले में चंदेरी छोड़ कांग्रेस को सफलता नहीं मिली। नर्मदापुरम संभाग में कांग्रेस लगभग खाली हाथ रही। बैतूल जिले का घोड़ाडोंगरी संभाग का अकेला निकाय है, जहां कांग्रेस बची है। भाजपा ने हरदा जिले का खिरकिया कांग्रेस से छीन लिया। शाहपुर में निर्दलियों के बहुमत ने पार्टियों का खेल बिगाड़ दिया।

 

सोशल मीडिया : #हरनगरभाजपा नजर आया बेअसर
भाजपा के सोशल मीडिया वॉरियर्स से लेकर दिग्गज नेता तक सोशल मीडिया के जरिए माहौल बनाने में जुटे रहे। जीत चाहे कहीं भी हो हर नेता फौरन सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहा था। सोशल मीडिया टीम हर पोस्ट के साथ ‘हर नगर भाजपा’ हैशटैग चलाती रही। इसके बावजूद भाजपा का ये हैशटैग ट्रेंड में नहीं आ पाया।
दिग्विजय की चुप्पी

सूबे में सियासी तपिश परवान पर हो और दिग्विजय सिंह चुप रहें ऐसा कम ही होता है। निकाय चुनाव के परिणामों में सोशल मीडिया से दिग्विजय की दूरी चर्चा का विषय रही। रीवा में जीत के साथ अन्य जगहों पर पार्टी की जीत को लेकर नेता सोशल मीडिया में चर्चा कर रहे थे, वहीं दिग्विजय की चुप्पी चर्चा में रही। उन्होंने कोई पोस्ट नहीं की।
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