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रियो टिंटों से सबक, हीरा कंपनियां चाहती है पर्यावरण अनुमति के लिए मिले अतिरिक्त समय

locationभोपालPublished: Aug 18, 2019 12:14:33 pm

Submitted by:

Ashok gautam

रियो टिंटों से सबक, हीरा कंपनियां चाहती है पर्यावरण अनुमति के लिए मिले अतिरिक्त समय
– पन्ना जिले के मालखाने में हीरे की क्वालिटी देखेंगी कंपनियां

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भोपाल। छतरपुर जिले के बंदर हीरा प्रोजेक्ट की प्रीबिड में शामिल हुई कंपनियां चाहती हैं कि उन्हें हीरा उत्खनन के लिए दी जाने वाली पर्यावरणीय अनुमति के लिए अतिरिक्त समय मिलना चाहिए।

कंपनियों ने लीज की अवधि को ५० साल से ज्यादा बढ़ाने की इच्छा भी जताई है। ६० हजार करोड़ के बंदर प्रोजेक्टर के लिए ५ अगस्त को हुई प्रीबिड में अडानी, वेदांता, फ्यूरा जेम्स, रूंगटा माइंस सहित एक दर्जन बड़ी कंपनियां शामिल हुई थीं।

 

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बंदर हीरा प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय हीरा कंपनी रियो टिंटो ने हाथ में लिया था, लेकिन पर्यावरणीय अनुमति नहीं मिलने के कारण उसने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए थे। बंदर हीरा प्रोजेक्ट का कुल क्षेत्र फल 364 हेक्टेयर है। सरकार ने इसे 50 साल की लीज पर देने के लिए निविदा जारी की है।

20 को छतरपुर जाएगी कंपनियां-


बंदर हीरा प्रोजेक्ट देखने अडानी, वेदांता, फ्यूरा जेम्स, रूंगटा माइंस सहित ५ बड़ी कंपनियां 2० अगस्त को छतरपुर जाएंगी। बकस्वाहा तहसील में दो दिन तक प्रोजेक्ट को देखने और खदान का भ्रमण करने के बाद इन कंपनियों के प्रतिनिधि इस प्रोजेक्ट से निकलने वाले हीरे की क्वालिटी देखने के लिए पन्ना जिले के मालखाने में भी जाएंगे।

 

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हीरे की गुणवत्ता का अवलोकन करने के लिए इनके साथ टेक्निकल एक्सपर्ट भी रहेंगे। प्री-बिड में शामिल कंपनियों ने बंदर हीरा प्रोजेक्ट को देखने की इच्छा जाहिर की थी। कंपनियों का कहना था कि खदान की जमीनी हकीकत दिखाई जाए, जिससे इस प्रोजेक्ट को लेने के संबंध में कंपनियां अपना निर्णय ले सकें। कंपनियों के प्रतिनिधियों दो दिन तक प्लांट और खदान का भ्रमण कराया जाएगा।

 

टेंडर में हिस्सा लेने बढ़ाया समय

खनिज विभग ने बंदर प्रोजेक्ट के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए समय और बढ़ा दिया है। अब नीलामी में कंपनियां 20 सितम्बर तक टेंडर में हिस्सा ले सकेंगी। पहले इसकी समय सीमा २० अगस्त निर्धारित की गई थी।
विभाग ने नीलामी में आवेदन करने की समय सीमा इसलिए बढ़ाई क्योंकि इसमें अधिक से अधिक निजी कंपनियां हिस्सा ले सकें, जिससे कि हीरे प्रोजेक्ट ज्यादा से ज्यादा कीमत में मिल सके। हालांकि इस खदान की तीन बार नीलामी की जाएगी, तीसरी नीलामी में उच्च बोलीकर्ता कंपनी को ही हीरे की खदान आवंटित की जाएगी।

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