स्थानीय लोगों को कहना है कि शाम को अंधेरा होने से बच्चे और महिलाएं बाहर निकलने से कतराते हैं। यहां कई आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन रोशनी की व्यवस्था नहीं की जा रही है। कई बार असामाजिक तत्व भी यहां मंडराते रहते हैं। लोगों का कहना है कि आस-पास जिन घरों की रोशनी सड़क पर आती है, उससे रात नौ बजे तक काम चल जाता है, इसके बाद अंधेरा हो जाता है। नाइड ड्यूटी या ट्रेन-बस से सफर कर कोई रात में आए या जाए तो उसे काफी परेशानी होती है।