ठेकेदारों का कहना है कि रूटीन चेकिंग के बहाने छापा मारकर कई दुकानें सील कर दी। चेकिंग के दौरान शराब की बिक्री भी नहीं कर पाए। इसके विरोध में दुकानें बंद की गई हैं। सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान होगा। इस पूरे मामले में सहायक आयुक्त अजय शर्मा का कहना है कि वाइन शॉप पर रूटिन चेकअप किया था। बिक्री रोकने जैसा कुछ नहीं किया। ठेकेदारों ने दुकानें बंद क्यों की, यह दिखवाते हैं।
बता दें कि राजधानी में शराब की 90 दुकानें हैं। वहीं प्रदेश में विदेशी शराब की 1100 व देशी शराब की 2200 दुकानें हैं। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। हालांकि, 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25% रिजर्व प्राइज बढ़ा दिया। वहीं अब देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है। इस कारण कारोबार पर असर पड़ेगा।
शिवराज सरकार नई शराब नीति
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शिवराज सरकार नई आबकारी नीति को लागू करने में अब से देशी और अंग्रेजी शराब की बिक्री एक ही दुकान से करने पर विचार कर रही है। हालांकि अब प्रदेश में 11 डिस्टलरी के जिलों में सप्लाई के लिए टेंडर जारी नहीं होंगे। ऐसे में सभी 11 डिस्टलरी को सभी संभागों में विदेशी शराब की तरह ही गोदामों में शराब रखना होगी और वहां से ठेकेदार शराब की क्ववालिटी और कीमत का अध्ययन कर शराब अपनी दुकानों के लिए खरीदेंगे।
नई नीति में देशी-विदेशी शराब की दुकानों की संख्या 3300 हो जाएगी। ऐसे में महुआ की शराब के लिए हेरीटेज शराब की नीति बनाई जा रही है। महुआ की शराब को बड़े शहरों व होटलों में भी आकर्षक पैकिंग में बेचा जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में देशी शराब की कीमत को कम करने के लिए दूसरे प्रदेशों के डिस्टलरों को भी मंजूरी देने पर विचार किया जा रहा है।