उन्होंने बताया कि सवा सौ साल के काल अवधि में उपन्यास की कथा फैली है। इसमें औपनिवेसिक विस्थापन से आज के उपभोक्ता संस्कृति के कारण दूसरी तरह विस्थापन पैदा हो गया है। मनुष्यता के बीच उसे बताने का इसमें प्रयास किया है। इसमें विस्थापन की पीड़ा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेंद्र शर्मा ने की। इस मौके पर संस्कृति प्रमुख सचिव पंकज राग और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ल उपस्थित थे। अखिलेश हिंदी के जाने-माने कथाकार हैं। उनके कई कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें आदमी नहीं टूटता, मुक्ति, शापग्रस्त, अंधेरा आदि शामिल है। साथ ही अन्वेषण और निर्वासन नाम से उपन्यास प्रकाशित है। उन्हें श्रीकांत वर्मा पुरस्कार, वनमाली पुरस्कार, परिमल सम्मान, इंदु शर्मा कथा सम्मानए स्पंदन सम्मान, बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कार प्राप्त है।