भोपाल की अंकिता श्रीवास्तव का चयन विश्व अंग प्रत्यारोपण खेल ( world transplant games 2019 ) के लिए हुआ है। वह दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। दरअसल, यूनाइटेड किंगडम के न्यू केसल शहर में 17 अगस्त से विश्व ओलपिंक संघ की ओर से आयोजित विश्व अंग प्रत्यारोपण खेलों में भारतीय टीम में हुआ है। यह खेल 24 अगस्त तक चलेगा। अंकिता मध्यप्रदेश से चुनी गई इकलौती खिलाड़ी है।
60 देशों के खिलाड़ी ले रहे भाग
इस दौरान अंकिता 100 मीटर दौड़, लॉन्ग जंप, शॉटपुट, तीन किलोमीटर रेस और तैराकी समेत पांच खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगी। जहां 60 देशों के खिलाड़ी भाग लेंगे। वह इस टूर्नामेंट के लिए साई में ट्रेनिंग ले रही हैं। अंकिता देश की सबसे युवा लीवर डोनर हैं। दरअसल, वर्ल्ड ट्रांसप्लांट्स गेम की शुरुआत 1978 में हुई थी। इस टूर्नामेंट में दुनिया भर के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। पिछले साल इसका आयोजन स्पेन में हुआ था।
इस दौरान अंकिता 100 मीटर दौड़, लॉन्ग जंप, शॉटपुट, तीन किलोमीटर रेस और तैराकी समेत पांच खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगी। जहां 60 देशों के खिलाड़ी भाग लेंगे। वह इस टूर्नामेंट के लिए साई में ट्रेनिंग ले रही हैं। अंकिता देश की सबसे युवा लीवर डोनर हैं। दरअसल, वर्ल्ड ट्रांसप्लांट्स गेम की शुरुआत 1978 में हुई थी। इस टूर्नामेंट में दुनिया भर के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। पिछले साल इसका आयोजन स्पेन में हुआ था।
21 साल की उम्र में की थी लीवर डोनेट
अंकिता श्रीवास्तव ने 21 साल की उम्र में अपनी मां को 74 फीसदी लीवर डोनेट की थी। दिल्ली के अस्पताल में जब वह लीवर डोनेट करने गई थी तब अंकिता अंडरवेट थी। मानक के हिसाब से उस वक्त अंकिता का वजन 16 किलो कम था। इसके बाद अंकिता ने एक महीने में अपना 16 किलो वेट बढ़ाया। तब जाकर लीवर डोनेट की। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि अंकिता की मां इस दुनिया में नहीं रहीं।
अंकिता श्रीवास्तव ने 21 साल की उम्र में अपनी मां को 74 फीसदी लीवर डोनेट की थी। दिल्ली के अस्पताल में जब वह लीवर डोनेट करने गई थी तब अंकिता अंडरवेट थी। मानक के हिसाब से उस वक्त अंकिता का वजन 16 किलो कम था। इसके बाद अंकिता ने एक महीने में अपना 16 किलो वेट बढ़ाया। तब जाकर लीवर डोनेट की। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि अंकिता की मां इस दुनिया में नहीं रहीं।
अंकिता अपने कोच अमित गौतम के गाइडेंस में साई में ट्रेनिंग ले रही है। भारत की ओर से सिर्फ तीन ऑर्गन डोनर इस खेल में हिस्सा ले रहे हैं। मध्यप्रदेश से अंकिता अकेली है। अंकिता के कोच अमित गौतम ने कहा कि यह कमाल की एथलिट है। मुझे उम्मीद है कि यह गेम मेडल्स जीतेगी।
फिटनेस में लगे पांच साल
अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि मुझे लीवर डोनेट करने के बाद अपनी फिटनेस बनाने में पांच साल लगे। मैं हमेशा व्हील चेयर पर रहती थी। फिर धीरे-धीरे चलना सीखा और दौड़ने लगी। एक दिन एक समारोह के दौरान मेरी मुलाकात करण नंदा से हुई जिन्होंने मुझे ट्रांसप्लांट गेम के बारे में जानकारी दी है। उसके बाद मैं तैयारी में जुट गई। वहीं, अंकिता एक उपन्यास भी लिख चुकी हैं।
अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि मुझे लीवर डोनेट करने के बाद अपनी फिटनेस बनाने में पांच साल लगे। मैं हमेशा व्हील चेयर पर रहती थी। फिर धीरे-धीरे चलना सीखा और दौड़ने लगी। एक दिन एक समारोह के दौरान मेरी मुलाकात करण नंदा से हुई जिन्होंने मुझे ट्रांसप्लांट गेम के बारे में जानकारी दी है। उसके बाद मैं तैयारी में जुट गई। वहीं, अंकिता एक उपन्यास भी लिख चुकी हैं।