अब तक नौ की निगल चुकी जिंदगी
इस साल लो-फ्लोर बस के कुचलने से अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकतर हादसों में सीधे तौर पर लो-फ्लोर चालकों की लापरवाही रही है। बावजूद बसों की बेलगाम रफ्तार पर नियंत्रण नहीं किया जा रहा। हादसा होने पर बस जब्त कर पुलिस कार्रवाई का ढिंढोरा पीट चुपचाप बैठ जाती है।
भ्रम: पुलिसकर्मी मान रहे सरकारी बस
ट्रैफिक पुलिस के साथ, आम लोग इस भ्रम में हैं कि लो-फ्लोर बस सरकारी हैं। ऐसे में अधिकतर पुलिसकर्मी बस को नहीं रोकते। इसका फायदा बस चालक ट्रैफिक नियमों को तोडकऱ उठा रहे हैं। बस चालक जहां सवारी दिखी वहीं सडक़ पर वाहन रोक देते हैं। इससे आए दिन जाम की स्थिति बनती है।
पुलिस नहीं करती चलानी कार्रवाई
यात्रियों का कहना है कि लो फ्लोर बसों के लिए राजधानी में बसों की संख्या बढा दी गयी है, लेकिन बसों की समय-समय पर मेंटेनेंस नहीं किया जाता। जिससे राजधानी में चलने वाली बसों की हालत बहुत खराब हो गयी है। पुलिस दो पहिया और चार पहिया वाहनों की लापरवाही पर चालानी कार्रवाई करती है। लेकिन भोपाल में चलने वाली बसों की लापरवाही पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इसके चलते बस चालक मनमानी तरकी से सिग्नल तोड़ते हुए बस चालते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार हादसों का भी खतरा बढ़ जाता है।