उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश सरकार पेट्रोल—डीजल पर वैट और शराब के ठेकों से सबसे अधिक कमाई करती है। खनिजों से रायल्टी, परिवहन टैक्स के साथ ही नगरीय निकायों से भी टैक्स वसूल कर खजाना भरा जाता है। हालांकि, आय के सभी उपाय बेहद कम हैं और सरकार को इसीलिए बार—बार कर्ज लेना पड़ रहा है।
कमाई के साधन बढ़ाने के बजाए सरकार ने व्यवस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाए जाने की दिशा मंे अहम काम करना शुरू किया है। स्थानीय निकायों, पंचायतों को कहा गया है कि खुद कमाए और खर्च निकालें। ऐसे ही सड़कों को बीओटी/टोल रोड में तबदील करने का सिलसिला चल रहा है। सरकारी अस्पतालों को भी कहा गया है कि वे अपने खर्च का प्रबंध खुद करें। वहीं, कई यूनिवर्सिटियों ने सेल्फ फाइनेंस कोर्स संचालित करके अपने खर्च खुद निकालने की कोशिश की है।
सरकार का सर्वाधिक खर्च कर्मचारियों के वेतन भत्ते, पेंशन और सरकारी दफ्रतरों का संचालन, विधायकों-पूर्व विधायकों के वेतन और पेंशन पर होता है।
वित्त मंत्री बोले- कर्ज ले रहे हैं तो चुका भी रहे हैं
प्रदेश के विकास के लिए कर्ज लिया जा रहा है। कर्ज ले रहे हैं तो चुका भी रहे हैं। प्रदेश की वित्तीय स्थिति पहले से बेहतर है और आगे बेहतर भी होगी।
– जगदीश देवड़ा, वित्त मंत्री
कन्यादान, तीर्थ दर्शन, लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं, गरीबों को मकान, राशन, आजीविका मिशन जैसे तमाम कार्यों के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। गरीबों के लिए सरकार का खजाना हमेशा ही भरा हुआ है।
– शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री (30 मार्च को बुरहानपुर में)
मध्यप्रदेश ने वर्ष 2018—19 में 29122 करोड़ का कर्ज लिया। वर्ष 2019—20 में 34364 करोड़ रुपए और वर्ष 2020—21 में 64411 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। इस वर्ष यानी 2021—22 में 63258 करोड़ रुपए का उधार लिया। इस तरह चार वर्ष में मध्यप्रदेश ने 191155 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। गुणा—भाग करने पर पता चलता है कि यह प्रति घंटे 5.45 करोड़ रुपए का कर्ज है।
राजस्थान ने वर्ष 2018 से 2022 के वित्तीय वर्ष में 2 लाख 11 हजार 137 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। इस प्रकार यह छह करोड़ रुपए प्रति घंटे है। छत्तीसगढ़ दो करोड़ रुपए प्रति घंटे लेता है कर्ज
मध्यप्रदेेश से टूटकर अलग हुआ छत्तीसगढ़ कर्ज लेने में धीरे—धीरे आगे बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ ने वर्ष 2018 से 2022 में 69314 करोड़ का कर्ज लिया है जो कि प्रति घंटे के हिसाब से 2 करोड़ रुपए होता है।