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लोकसभा चुनाव: क्या मोदी सरकार के फैसलों पर भारी पड़ेंगे कमलनाथ सरकार के ये फैसले ?

locationभोपालPublished: Mar 18, 2019 09:23:45 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

क्या मोदी सरकार के फैसलों पर भारी पड़ेंगे कमलनाथ सरकार के ये फैसले ?

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लोकसभा चुनाव: क्या मोदी सरकार के फैसलों पर भारी पड़ेंगे कमलनाथ सरकार के ये फैसले ?

भोपाल. मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार है। कमलनाथ की सरकार बने अभी तीन महीने का भी वक्त पूरा नहीं हुआ है कि देश में लोकसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लग गई। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मात्र दो सीटें मिलीं थी जबकि भाजपा को 27 सीटें। कांग्रेस ने 2014 में जिन दो सीटों पर जीत दर्ज की थी वो ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की थीं। 2019 के चुनाव में भी इन सीटों पर कांग्रेस की जीत मानी जा रही है। ऐसे में इस बार कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ ज्यादा नहीं है पर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की वापसी के लिए सीएम कमलनाथ ने कई फैसले लिए हैं।
क्या इन कामों के सहारे प्रदेश में वापसी करेगी कांग्रेस

किसानों की कर्ज माफी: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सीएम कमलनाथ ने सबसे पहले किसानों की कर्ज माफी की फाइल पर साइन किए। कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी सीएम बनने के चंद घंटों बाद ही कर दी। अब लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस कर्जमाफी के मुद्दे पर किसानों के पास जाएगी। कमलनाथ ने दो लाख रुपए तक के कृषि ऋणों को माफ करने की घोषणा की। हालांकि घोषणा के कई दिनों बाद सरकार की तरफ से ऋण माफी के फार्म निकाले गए। जिसे लेकर विपक्ष में बैठी भाजपा ने कमलनाथ सरकार पर हमला शुरू किया। तीन तरह के फॉर्म पर सवाल उठाए गए तो कहीं, हिन्दी और अंग्रेजी में किसानों के नाम की सूची निकाली गई जिसे भाजपा ने मुद्दा बनाया। वहीं, कर्जमाफी को लेकर भी कई जिलों में अनियमिताएं देखीं गई। ऐसे में जहां कमलनाथ और कांग्रेस जनता के बीच किसान कर्जमाफी के वायदे को पूरा करने के लिए अपनी पीठ थपथपाएगी वहीं, विपक्ष इसमें अनियमितता को लेकर मुद्दा बनाएगी।
कर्जमाफी से कितने किसानों को फायदा: मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ के तहत प्रदेश करीब 25 लाख किसानों का कर्ज माफ होने की बात कही। सरकार ने दावा किया कि 1 मार्च से किसानों के खातों में पैसा ड़ाला जा रहा है। सीएम कमलनाथ ने कहा था “हमारा वादा था कि किसानों का कर्जा माफ करेंगे। हमने तय समय-सीमा में अपना वादा निभाया है। कम समय में इतनी बड़ी संख्या में किसानों की कर्ज माफी का यह एक अभूतपूर्व काम नई सरकार ने किया है। वहीं, दूसरी तरफ 2018 में यूपी की तीन लोकसभा सीटों में हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। हार का कारण किसानों की नाराजगी बताई गई थी। जिसके बाद मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को 8000 हजार करोड़ रुपए का विशेष पैकेज देने का एलान किया। इस बार के बजट में मोदी सरकार ने किसानों की मदद के लिए 6000 रुपए सालाना उनके खाते में देने की योजना शुरू की। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसानों को पेंशन देने की योजना बनाई। किसानों के मुद्दे पर एक बार फिर से दोनों आमने-सामने होंगे।
समर्थन मूल्य बढ़ावा: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया। मोदी कैबिनेट ने 2018-19 के लिए रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का एलान किया। सरकार ने गेहूं, चना, सरसों, मसूर और जौ के एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। चने का MSP भी 220 रुपए बढ़ाकर 4,620 रुपए कर दिया। मसूर का 2018-19 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 225 रुपए बढ़कर 4,475 रुपए हो गया। सरसों का भी दाम 200 रुपए बढ़ाकर 4200 रुपए हो गया। वहीं, प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने कर्जमाफी के बाद किसानों को गेहूं पर 160 रू. प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया।

बेरोजगारी: केंद्र सरकार और राज्य में बीते 15 साल रही भाजपा सरकार के दौरान युवाओं को कम रोजगार मिलने की बात कांग्रेस कहती रही है। उसने विधानसभा चुनाव से पहले अपने वचन पत्र में बेरोजगारों के लिए कई योजनाओं और भत्तों की बात कही है। सरकार बनने के बाद ही कमलनाथ ने स्वरोजगार योजना शुरू की, बेरोजगारी भत्ता का एलान किया। हालांकि इस दौरान कांग्रेस ने बैंड बजाने और पशु हांकने की ट्रेनिंग देनी की भी बात कही जिसके बाद भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया। हालांकि भाजपा इस मुद्दे को बड़ा नहीं कर पाई क्योंकि खुद पीएम मोदी भी पकौड़े बनाने को रोजगार की संज्ञा दे चुके हैं। युवाओं को लुभाने के लिए कमलनाथ सरकार उन्हें 100 दिन रोजगार देने की बात कर रही है। ऐसे में कांग्रेस जहां युवाओं को लुभाने की बात करेगी वहीं रोजगार के मुद्दे पर भाजपा को अभी तक कोई स्टैंड क्लीयर नहीं है।
आरक्षण: मध्यप्रदेश समेत तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई। राजनीति जानकारों ने माना की भाजपा की हार की वजह सवर्णों की नाराजगी थी। केन्द्र सरकार ने सवर्णों की नाराजगी दूर करने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 फीसदी का आरक्षण दिया है। कांग्रेस ने इसे चुनावी दांव बताया। वहीं, दूसरी तरफ कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने के लिए प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 27 फीसदी कर दिया। जानकारों ने इसे मोदी के नहले पर कमलनाथ का दहला बताया।
सफाई कर्मचारी के लिए भी वायदे: प्रयागराज में कुंभ के दौरान पीएम मोदी ने सफाई कर्मचारियों के पैर धोए और उनका सम्मान किया। पीएम मोदी ने अपनी बचत के 21 लाख रुपण सफाई कर्मचारियों को देने का फैसला किया। स्वच्छता सर्वे में टॉप 20 शहरों में जगह बनाने वाले प्रदेश के छह शहरों के सफाईकर्मियों को राज्य सरकार पांच-पांच हजार रु. बोनस देने की घोषणा की। बता दें कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन, खरगोन, नागदा और देवास ये शहर हैं। भोपाल और इंदौर में 6-6 हजार, उज्जैन में 2450 व देवास में 828 सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्वच्छता में टॉप आने में असली मेहनत इन शहरों के सफाईकर्मियों की है।
अन्य चुनावी मुद्दे
राष्ट्रवाद: मोदी सरकार इस बार राष्ट्रवाद के सहारे लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है। वहीं, कमलनाथ सरकार को वंदे मातरम के मामले में पीछे हटना पड़ा था और अपना फैसला बदलना पड़ा था। कमलनाथ सरकार ने मध्यप्रदेश में महीने की पहली तारीख को होने वाले वंदे मातरम गीत पर रोक लगा दी थी उसके बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला था तो कमलनाथ सरकार बैकफुट पर आ गई थी। बाद में कमलनाथ ने सफाई देते हुए कहा था कि हम वंदे मातरम के स्वरूप में परिवर्तन करते हुए नए रूप में पेश करेंगे।
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