रण क्षेत्र में विजय होने का मनाया जाता है उत्सव
अगली प्रस्तुति में कुंदन सिंह चौहान(देहरादून) ने जौनसारी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। जैनसार समुदाय की कथानुसार भगवान श्री राम के वनवास से वापस आने की खुशियों की सूचना देर से मिलने पर यह समुदाय दिवाली से एक माह बाद दिवाली पर्व मानते है। इस मौके पर हाथी नृत्य के माध्यम से पर्व मनाया जाता है। इसमें राजा को हाथी पर बैठाया जाता है, इसके बाद हाथी नृत्य करता है, उनके सात प्रजा तीर कमान लेकर उनके साथ उत्सव में शामिल होती है। समुदाय के सभी सदस्य दीप जलाकर भगवान राम के आगमन का उत्सव मनाकर खुशियां प्रकट करती है। समुदाय के सभी लोग रौण्या रातो नियाह्यौ… पर गायन और नृत्य करते हैं। इसके बाद कलाकारों ने गुडिया रासो नृत्य पेश किया। यह रण क्षेत्र से विजयी होकर घर आने पर सैनिकों के सम्मान में किया जाता है। इसमें ढोल और नगाड़ों पर नृत्य विजय होने की खुशी मनाई जाती है। अगली कड़ी में कलाकारों ने ढोल सागर नृत्य पेश किया। समुदाय में मान्यता है कि इस नृत्य को विधि-विधान से करने पर वाद्ययंत्रों से निकली ध्वनी के कारण बरसात होती है। तांदी गीत पर समुदाय के लोग एकत्रित होकर तीज-त्योहार मनाते है।