बहुमत होने का बावजूद कांग्रेस का सत्ता से दूर रहने का सबसे बड़ा कारण भितरघात ही है। फिर चाहे विधानसभा चुनाव हो या फिर निकाय चुनाव। इससे कहीं न कहीं ये संदेश स्पष्ट है कांग्रेस अभी भी अपने पार्टी के नेताओं को साधने में सफल नहीं हो पाई है। और अगर यही हाल 2023 तक चलता रहा तो कांग्रेस को इस भीतरघात का बड़ा घाटा सहना पड़ सकता है। दरअसल पार्टी की ये कमजोरी सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी इसका खामियाजा पार्टी को वक्त- वक्त में उठाना पड़ता है।
भाजपा सोशल मीडिया में तेजी से कर रही प्रचारित
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस पार्टी की हार को भारतीय जनता पार्टी प्रमुखता से प्रचारित करने में जुटी हुई है। भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि छिंदवाड़ा में कांग्रेस साफ। कुलमिलाकर भाजपा के नेता इस हार को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करने में लगे हुए हैं।