भोपाल

कमलनाथ का गढ़ हार जाना कांग्रेस के लिए ठीक संकेत नहीं!

बहुमत होने का बावजूद कांग्रेस का सत्ता से दूर रहने का सबसे बड़ा कारण भितरघात ही है। फिर चाहे विधानसभा चुनाव हो या फिर निकाय चुनाव। इससे कहीं न कहीं ये संदेश स्पष्ट है कांग्रेस अभी भी अपने पार्टी के नेताओं को साधने में सफल नहीं हो पाई है।

भोपालAug 08, 2022 / 08:07 pm

Roopesh Kumar Mishra

कमलनाथ के अभेद सियासी दुर्ग छिंदवाड़ा को भेदकर भाजपा ने बड़ा सियासी संदेश दे दिया है। दरअसल छिंदवाड़ा जिले में सोमवार को चार निकायों में अध्यक्ष- उपाध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया पूरी हुई। जिसमें भाजा ने निकाय चुनाव में बाजी मारते हुए चारों निकायों को फतह कर दिया। जबकि बहुमत के बाद भी चांद में कांग्रेस को भितरघात का सामना करना पड़ा और भाजपा ने क्रॉस वोटिंग का लाभ लेते हुए जीत दर्ज कर ली। जबकि छिंदवाड़ा कमलनाथ का ऐसा अभेद सियासी गढ़ माना जाता है जिसमें लोकसभा चुनावों में भी जब कांग्रेस सभी सीटें हार गई थी लेकिन छिंदवाड़ा में कमलनाथ उस मोदी लहर में भी अपने पुत्र नकुलनाथ को सांसद बनाने में कामयाब रहे थे।
भीतरघात ही है कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी

बहुमत होने का बावजूद कांग्रेस का सत्ता से दूर रहने का सबसे बड़ा कारण भितरघात ही है। फिर चाहे विधानसभा चुनाव हो या फिर निकाय चुनाव। इससे कहीं न कहीं ये संदेश स्पष्ट है कांग्रेस अभी भी अपने पार्टी के नेताओं को साधने में सफल नहीं हो पाई है। और अगर यही हाल 2023 तक चलता रहा तो कांग्रेस को इस भीतरघात का बड़ा घाटा सहना पड़ सकता है। दरअसल पार्टी की ये कमजोरी सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी इसका खामियाजा पार्टी को वक्त- वक्त में उठाना पड़ता है।
भाजपा सोशल मीडिया में तेजी से कर रही प्रचारित

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस पार्टी की हार को भारतीय जनता पार्टी प्रमुखता से प्रचारित करने में जुटी हुई है। भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि छिंदवाड़ा में कांग्रेस साफ। कुलमिलाकर भाजपा के नेता इस हार को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करने में लगे हुए हैं।

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