scriptबिजली में फिर घाटा लिमिट पार, 10 फीसदी ज्यादा नुकसान | Losses in power cross the limit, 10 percent more losses | Patrika News

बिजली में फिर घाटा लिमिट पार, 10 फीसदी ज्यादा नुकसान

locationभोपालPublished: Aug 25, 2019 11:16:00 pm

Submitted by:

anil chaudhary

– सरकार से 17 हजार करोड़ सब्सिडी : उपभोक्ताओं से 21 हजार करोड़ रुपए नहीं वसूल पाती विद्युत कंपनियां

विधुत विभाग की लापरवाही से उजड़ी दो परिवारों की खुशियां, त्यौहार के दिन घरों में छाया मातम का माहौल, मचा कोहराम

विधुत विभाग की लापरवाही से उजड़ी दो परिवारों की खुशियां, त्यौहार के दिन घरों में छाया मातम का माहौल, मचा कोहराम,विधुत विभाग की लापरवाही से उजड़ी दो परिवारों की खुशियां, त्यौहार के दिन घरों में छाया मातम का माहौल, मचा कोहराम,विधुत विभाग की लापरवाही से उजड़ी दो परिवारों की खुशियां, त्यौहार के दिन घरों में छाया मातम का माहौल, मचा कोहराम

भोपाल. बिजली के घाटे ने बिजली कंपनियों की भूमिका पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिजली कंपनियों का घाटा निर्धारित मानक से औसत 10 फीसदी ज्यादा पाया गया है। इंदौर की पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी को छोड़कर दोनों कंपनियां घाटा काबू करने में पूरी विफल रहीं। नतीजा ये रहा कि बिजली नियामक आयोग को आगामी साल के लिए भी घाटे के पैमाने ज्यों के त्यों रखने पड़े हैं। इसके तहत 2018-19 के हानि मापदंड को ही 2019-20 के लिए मंजूर कर दिया गया है। जबकि, नियमानुसार निर्धारित मापदंडों पर तीन साल तक लगातार घाटा काबू न करने के कारण कंपनियों पर जुर्माने की स्थिति बनती है।
बिजली महकमा बिजली कंपनियों को खत्म करके अथॉरिटी बॉडी गठित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। ऐसे में बिजली कंपनियों की विफलता फिर सामने आ गई है। बिजली कंपनियों को नए टैरिफ डाटा के तहत 2017-18 के नुकसान में तय मानक से 10 फीसदी घाटा अधिक हुआ है। जबलपुर स्थित पूर्व क्षेत्र कंपनी का अधिकतम घाटा 17 और भोपाल स्थित मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का अधिकतम घाटा 18 फीसदी तय किया गया था, लेकिन पूर्व क्षेत्र में 27.05 फीसदी और मध्य क्षेत्र में 37.51 प्रतिशत घाटा दर्ज किया गया है। महज इंदौर स्थित पश्चिम क्षेत्र कंपनी की स्थिति ठीक है। पश्चिम क्षेत्र में तय मानक 15.50 फीसदी के थे, जबकि घाटा 16.63 फीसदी दर्ज किया गया है।

– पेश नहीं किए घाटे के अंतिम डाटा
घाटे के कारण तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने तकनीकी दांव-पेंच अपनाए और अभी तक नुकसान के 2018-19 के अंतिम डाटा पेश नहीं किए। इसका फायदा कंपनियों को यह मिला है कि 2018-19 के नुकसान के पैमाने को ही वित्तीय सत्र 2019-20 के लिए मान्य कर दिया गया है। यानी अब तीनों कंपनियों को पुराने मापदंड के हिसाब से ही घाटे को काबू में करना है, जबकि यदि कंपनियां डाटा पेश करतीं तो औसतन इस बार एक से दो फीसदी पैमाने में और कमी आ सकती थी।
– सब्सिडी से भी उठा रही फायदा
बिजली कंपनियां सब्सिडी के फेर का भी जमकर फायदा उठा रही हैं। इन कंपनियों को कुल कमाई की जरूरत ही 37 हजार करोड़ रुपए सालाना की है, इसमें से 17 हजार करोड़ तो सरकार से सब्सिडी ले लेती हैं। बाकी करीब 21 हजार करोड़ ही जनता से वसूलना होते हैं, लेकिन इसमें वह फेल हो जाती हैं। 17 हजार करोड़ की सब्सिडी में 80 फीसदी राशि खेती के फीडर की है। इस बार एक रुपए में 100 यूनिट तक बिजली की योजना के कारण 770 करोड़ रुपए इस सब्सिडी में शामिल हुए हैं।
– ऐसे समझें घाटे का गणित
10 फीसदी अधिक नुकसान बिजली कंपनियों में दर्ज
17 फीसदी पूर्व क्षेत्र में मापदंड, पर 27.05 फीसदी घाटा
18 फीसदी मध्य क्षेत्र में मापदंड, पर 37.51 फीसदी घाटा
15.50 फीसदी पश्चिम क्षेत्र में मापदंड, पर 16.63 फीसदी घाटा
पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार के समय बिजली सेक्टर में बहुत गड़बडिय़ां हुई हैं, जिसके कारण नुकसान बढ़ता गया। अब बिजली के घाटे को काबू में करने के प्रयास हो रहे हैं।
– प्रियव्रत सिंह, ऊर्जा मंत्री
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