भोपाल

मंदिर से उतरवाया लाउडस्पीकर, बीजेपी ने मचाया शोर तो बैकफुट पर प्रशासन

शिवराज सिंह चौहान के ट्वीट के बाद बैकफुट पर प्रशासन

भोपालJan 29, 2020 / 07:27 pm

Muneshwar Kumar


भोपाल/ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मध्यप्रदेश में सरकार ने रात में लाउडस्पीकर बैन करवाने की कोशिश की तो इस पर तुरंत सियासत शुरू हो गई। सरकार ने कदम वापस तो खींच लिए लेकिन सवाल खड़ा हो गया कि क्या वाकई मंदिर और मस्जिद से आने वाली आरती और अजान की आवाज शोरगुल है…या नहीं ?
मध्यप्रदेश में अब लाउड स्पीकर को लेकर सियासत तेज हो गई है। सीहोर जिले के आष्टा में प्राचीन शिव मंदिर से एसडीएम ने जैसे लाउडस्पीकर हटवाने की कोशिश की। सीधे भोपाल में सियासत कंपायमान होने लगी। मुद्दे की ताक में बैठी बीजेपी ने इसका घनघोर विरोध शुरु कर दिया। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तो ट्वीट कर कमलनाथ सरकार पर हमला बोला।
उन्होंने लिखा कि शर्मनाक तुष्टिकरण ! कमलनाथ जी,कोलाहल नियंत्रण के नाम पर मंदिर से स्पीकर हटाने का जो आदेश जारी हुआ है, क्या रात्रि 10 से सुबह 6 के बीच स्पीकर का उपयोग करने वाले दूसरे धार्मिक स्थलों पर भी आप यह लागू करवा पायेंगे ? प्रदेश के मुखिया की दृष्टि में तो सभी धर्म समान होने चाहिए, या नहीं ?
दरअसल, मध्यप्रदेश शासन के गृह विभाग ने 9 जनवरी को एक लेटर जारी किया। जिसमें लिखा था कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के अंतर्गत रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनि प्रसारण यंत्रों के उपयोग पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए। इसके बाद आष्टा की एसडीएम अंजू विश्वकर्मा ने प्राचीन शिव शंकर मंदिर से लाउड स्पीकर उतारने का आदेश दिया। उन्होंने मंदिर समिति के सदस्यों से कहा था कि – शिव मंदिर में बजने वाले लाउडस्पीकर को बंद कर दें। अगर लाउडस्पीकर बजाया तो आपके और पुजारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पर आष्टा की हिन्दू समिति ने मुख्यमंत्री के नाम एक लेटर लिखा और अपनी पीड़ा बताई कि एसडीएम लाउड स्पीकर जब्त करने की धमकी दे रही हैं।
इसके बाद कांग्रेस सरकार बैकफुट पर आई और आनन-फानन में ऐसी कार्रवाई रोकने के निर्देश दिये लेकिन तब तक शिवराज सिंह मामला पकड़ चुके थे। उनके ट्वीट के जवाब में कांग्रेस मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने भी ट्वीट कर जवाब दिया कि झूठ फैलाने में माहिर भाजपा व पूर्व सीएम शिवराज जी ने झूठ बोलना शुरू कर दिया है कि सरकार ने मंदिरों से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश जारी कर दिया है। जबकि आदेश में कही भी किसी भी धार्मिक स्थल का ज़िक्र तक नहीं है। इन फुरसती भाजपाईयों को लगता है कि झूठ बोलने के सिवा कोई काम नहीं।

खैर राजनीतिक आरोपों के बीच सवाल है कि

इस देश में क्या आरती और अजान शोरगुल के दायरे में आते हैं ?
क्या वाकई मंदिर-मस्जिद के लाउड स्पीकर बैन होना चाहिए ?
आरती के साथ क्या अजान के समय भी लाउडस्पीकर बैन हों ?
क्या ऐसा होने से सामाजिक ताना-बाना नहीं बिगड़ेगा ?
सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन कराना ही था तो फिर कार्रवाई क्यों रोकी ?
अब लाउडस्पीकर क्यों नहीं हटाए जा रहे ?
क्या ऐसे आदेश सिर्फ खानापूर्ति के लिए होते हैं ?
फिलहाल तो कमलनाथ सरकार ने एक बढ़ते विवाद को रोक लिया लेकिन इस पर सिरे से बहस होनी चाहिए कि क्या वाकई देश में अजान और आरती के वक्त लाउडस्पीकर बैन होना चाहिए।
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