पिंक जैकेट में पुलिस गिरफ्त में खड़ी महिला का नाम रेहाना खान है। 45 साल की रेहाना महाराष्ट्र की रहने वाली है। पति का नाम सलीम खान है, कुछ साल पहले पति की मौत हो गई है। महिला से पहले पति ही विभिन्न शहरों में घुमकर ऐसे ही ड्रग्स की सप्लाई करता था। पति की मौत के बाद यह काम पत्नी करने लगी थी। डिमांड के अनुसार वह माल लेकर खुद ही विभिन्न शहरों में जाती थी।
13 लाख का माल लेकर पहुंची थी भोपाल
महिला के पास से करीब 13 ग्राम ड्रग पुलिस ने जब्त की है। इस ड्रग की कीमत बाजार में करीब 13 लाख रुपये हैं। वह माल की डिलीवरी से पहले ही पार्टी से पेमेंट ले लेती थी। उसके बाद ही मुंबई से निकलती थी। इस ड्रग को एमडीएमए के नाम से जाते हैं। युवाओं के बीच में यह काफी लोकप्रिय है। इसकी डिमांड काफी है। एक डोज इसकी एक से पंद्रह हजार रुपये तक की पड़ती है। इसलिए रईसजादे ही इसके शौकीन होते हैं।
महिला जो ड्रग लेकर भोपाल पहुंची थी, उसे हिंदुस्तान में एमडीएमए के नाम से जानते हैं। लेकिन अमेरिका में इसे लव पिल कहा जाता है। साथ ही अमेरिका में इसे एक्स्टसी ड्रग भी लोग बोलते हैं। मगर पार्टियों में यह ‘लव पिल’ के नाम से ही मशहूर है। कहा जाता है कि यह रंग और ध्वनि पर इंसान में सेंसेशन बढ़ा देता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑन ड्रग यूज एंड हेल्थ के मुताबिक अमेरिका में बारह साल और उससे अधिक उम्र के लोग एक बार इस ड्रग का इस्तेमाल जरूर करते हैं। वहां भी एसे एमडीएमए कहा जाता है।
पार्टियों में यंग गर्ल्स करती हैं इस्तेमाल
एमडीएमए का सबसे अधइक सेवन करने वाले युवा हैं। युवाओं को ही ड्रग तस्कर निशाना बनाते हैं। इसके लिए वह कॉलेज, हॉस्टल में अपने-अपने लोगों को रख देते हैं। जो इन जगहों पर ड्रग की बिक्री करते हैं। एएसपी निश्चल झारिया ने कहा कि ब्राउन शुगर की जगह एमडीएमए का सेवन अधिक किया जाता है। यह दो सप्ताह पहले भी भोपाल आई थई। लेकिन पुलिस की पकड़ में नहीं आई थी।
इसका उपयोग ज्यादातर रईसजादे ही करते हैं। वैलेंटाइन वीक में रेव पार्टियों का दौर शुरू हो जाता है। इसके साथ ही पब में भी युवाओं और कपल की भीड़ बढ़ जाती है। उन जगहों पर भी इसकी सप्लाई होती है। यह महिला भोपाल में पैडलर के जरिए ही ड्रग बेचती थी। ऑनलाइन पेमेंट लेने के बाद ही वह मुंबई से डिलीवरी के लिए तैयार होती थी।
इस ड्रग का प्रचलन भारत के विभिन्न शहरों में 2010 से है। यह महिला भी गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान तक में सप्लाई करती है। सरकार ने इसे 2015 में ही बैन कर दिया है। इसे नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट 1985 के तहत अवैध करार दिया गया है। लेकिन गुपचुप तरीके से आज भी शहरों में इसकी खूब डिमांड है।
एमडीएमए का तो पार्टियों में कई कोड वर्ड है। जानकार बताते हैं कि प्राइवेट पार्टियां या फॉर्म हाउस में होने वाली पार्टियों में इसकी खूब मांग है। इसे लेने के बाद दिमाग में नशा चढ़ता है। मदहोशी आती है। अधिकतर लोग इसे मस्ती के लिए लेते हैं। ज्यादा लेने पर यह जान के लिए खतरा तक बन सकती है।