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शहरी क्षेत्र में भी बेखौफ जलाई जा रही नरवाई, विशेषज्ञ बोले आधुनिक तकनीकों से जलाए

locationभोपालPublished: May 04, 2019 07:28:50 am

जिला प्रशासन आदेश जारी कर भूला, अभी तक नहीं बना एक भी प्रकरण

In 14 villages, the fire in the fields of stagnant rain continued for six hours., news in hindi, mp news, dabra news

14 गांवों में खेतों में खड़ी नरवाई में लगी आग छह घंटे दहकती रही

नरवाई जलाने से राजधानी की शहरी आबादी भी परेशान हो रही है। नगरीय क्षेत्र से लगे हुए खेतों में भी आए दिन किसान आग लगाकर नरवाई जला रहे हैं। इसका धुआं न केवल लोगों के घरों में घुस रहा है बल्कि आग के कारण भी आसपास के रहवासी खौफ में रहते हैं कि कहीं आग की चिंगारियां उड़कर उनके घरों में न पहुंच जाएं।
खास बात यह है कि एनजीटी और शासन के नरवाई जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने के आदेश के बावजूद प्रशासन और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उधर राजधानी स्थित राष्ट्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि अब ऐसी कई तकनीकें उपलब्ध हैं जिनसे नरवाई से आसानी से मुक्ति पाई जा सकती है।
राजधानी में हाल ही में बरखेड़ा पठानी, अरविंद विहार, बावडिय़ा कलां, सलैया, मिसरोद, अयोध्या बायपास आदि क्षेत्रों में किसानों ने नरवाई में आग लगा दी। इससे आसपास के रहवासियों को काफी परेशानी हुई। यहां तक कि पिपलिया पेंदे खां के किसानों ने भी नरवाई जलाई जिसका धुआं एम्स तक पहुंचा और मरीजों को परेशानी हुई।
ऐसी लगातार घटनाएं हो रही हैं लेकिन अभी तक पुलिस और प्रशासन ने एक भी केस में कार्रवाई नहीं की है। इससे घटनाएं और लगातार बढ़ती जा रही हैं। यह कभी भी बड़े हादसे को जन्म दे सकती हैं।
विशेषज्ञ बोले यह मशीनें दिला सकती हैं नरवाई से मुक्ति

राष्ट्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के चीफ टेक्निकल ऑफिसर डॉ प्रकाश पी अंबलकर ने बताया कि अब कई ऐसी तकनीकों वाली मशीनें उपलब्ध हैं जिससे नरवाई से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। पहली है रीपर बाइंडर जिससे गेहूं के डंठल पूरे साफ हो जाते हैं।
दूसरी स्ट्रॉ रीपर कंबाइंड मशीन है जिससे हार्वेस्टर से कटाई के बाद बचे गेहूं के डंठलों का भूसा बन जाता है। तीसरी मशीन रोटावेटर है जिससे डंठलों को साफ किया जा सकता है। यह मशीनें दो से तीन लाख रूपए कीमत की हैं। यदि किसान यह खरीद नहीं सकते तो कस्टम हायरिंग केन्द्रों पर किराए से भी उपलब्ध हैं।
शॉर्टकट खराब कर रहा जमीन

डॉ अंबलकर के अनुसार किसान शॉर्ट कट अपनाकर नरवाई में आग लगा देते हैं। इससे जमीन में पाए जाने वाले लाभदायक बैक्टीरिया के साथ जमीन के अन्य पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। इसके बाद रही सही कसर रासायनिक खाद पूरी कर देते हैं। इससे जमीन बिल्कुल अनुपजाऊ हो जाती है। इसमें कृत्रिम तत्वों के सहारे ही पैदावार ली जा सकती है। नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण होने के साथ जान-माल का खतरा भी रहता है।
एनजीटी और शासन के यह हैं निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत धान व गेहूं की फसल कटाई के बाद बची फसल को जलाने पर प्रतिबंध लगाया है। इसके तहत मध्यप्रदेश के पर्यावरण विभाग ने वर्ष 2017 में नरवाई जलाने वालों पर जुर्माना लगाने के आदेश जिला कलेक्टर्स को जारी किए थे।
आदेश के अनुसार नरवाई जलाने पर दो एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान को 2500 रुपए, दो एकड़ से ज्यादा व पांच एकड़ से कम कृषि भूमि वाले को पांच हजार और पांच एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि वाले को पंद्रह हजार रुपए तक का जुर्माना लगेगा। यह जुर्माना पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में वसूला जाएगा।
जिले में नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। संबंधित के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी जिम्मेदारी एसडीएम, तहसीलदार, उपसंचालक कृषि, नगर निगम और पुलिस को सौंपी गई है।
– सुदाम खाड़े, कलेक्टर भोपाल

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