scriptये तीनों हैं देश के ‘गद्दार’, पाकिस्तान को दे रहे थे खुफिया जानकारी, बीजेपी का पूर्व नेता भी था पहले शामिल | madhya pradesh ATS arrested three youth in terror funding link | Patrika News
भोपाल

ये तीनों हैं देश के ‘गद्दार’, पाकिस्तान को दे रहे थे खुफिया जानकारी, बीजेपी का पूर्व नेता भी था पहले शामिल

जानिए, मध्यप्रदेश एटीएस ने जिन तीन लोगों को किया है गिरफ्तार, वो कैसे अपने टेरर फंडिंग नेटवर्क को कर रहे थे तैयार

भोपालAug 23, 2019 / 04:02 pm

Muneshwar Kumar

terror funding link
सतना/भोपाल. मध्यप्रदेश का विंध्य इलाका टेरर फंडिंग के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है। पिछले कई सालों में टेरर फंडिंग से जुड़े दर्जनों लोग गिरफ्तार हुए हैं। उनके तार इसी एरिया से जुड़ा है। एटीएस की टीम ने गुरुवार को तीन लोगों को फिर गिरफ्तार किया है। साथ ही दो को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। ये सभी लोग पाकिस्तान में बैठे आकाओं के इशारे पर हिंदुस्तान के साथ गद्दारी कर रहे थे।
मध्यप्रदेश में चल रहे टेेरर फंडिंग के नेटवर्क का खुलासा पहली बार 2017 में बड़े पैमाने पर हुआ। करीब प्रदेश के विभिन्न शहरों से 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई। उसमें एक बीजेपी के आईटी सेल का संयोजक भी था। जिसकी गिरफ्तारी भोपाल से हुई थी। लेकिन एमपी में इन सबका आका बलराम सिंह था। बलराम की गिरफ्तारी उस वक्त भी हुई थी। फिर जमानत पर छूट गया था। मध्यप्रदेश एटीएस की टीम ने बलराम और उसके साथियों को फिर गिरफ्तार किया है।
03_1.png
जब्बार के इशारे पर करता था काम
यहां टेरर फंडिंग का काम विंध्य के इलाके में बैठ बलराम देखता थे। पैसों का लालच देकर वह अपने गिरोह में नए सदस्यों को जोड़ता था। 2017 में उसके हैंडलर जब्बार की भी गिरफ्तारी हुई थी। जब्बार दिल्ली में बैठता था। बलराम सिंह का आका जब्बार ही था। मध्यप्रदेश की एटीएस ने उस वक्त उसे रिमांड पर भी लिया था। जिसमें कई खुलासे हुए थे। बलराम ही मध्यप्रदेश में इस गिरोह का मास्टरमाइंड तब था। अब वह कमजोर पड़ा है। यहां बॉस सुनील सिंह बन गया है, जबकि सुनील को इस धंधे में बलराम ही लाया था।
एटीएस ने इन लोगों को किया गिरफ्तार
मध्यप्रदेश की एटीएस ने बुधवार की रात सुनील सिंह, बलराम सिंह और शुभम मिश्रा को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही दो लोगों को संदेह के आधार पर भी गिरफ्तार किया है। जिसमें भागेंद्र सिंह और गोविंद कुशवाहा है। ये सभी लोग टेरर फंडिंग के काम से जुड़े थे। इसमें बलराम सिंह पहले भी जेल जा चुका है। जेल से छूटने के बाद वह फिर से इस काम में लग गया था। एटीएस की टीम ने बलराम सिंह के पास से दो कीमती बाइक बरामद किया है।
मामू के इशारे पर करता था काम
सूत्रों की मानें तो पकड़े गए आरोपी पाकिस्तानी आकाओं से मोबाइल फोन पर बात नहीं करते थे। केवल वॉयस रिकॉर्डिंग भेजने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे। इसके आलावा यह आईएमओ मैसेंजर के जरिए अपने संदेश के शुरुआती दो-चार शब्द भेज कर डिलीट कर देते थे। जिसके लिए संदेश होता था वह समझ जाता था कि क्या बात है, संदेश पढ़ते ही वह भी डिलीट कर देता था। यह अपने आकाओं को मामू कहकर बुलाते थे।
ats.jpg
आठ फीसदी मिलता था कमीशन
सूत्रों के अनुसार बलराम सिंह, सुनील सिंह और शुभम मिश्रा को बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करने के मामले में पकड़ा गया है। आशंका है कि यह पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर रकम को इधर से उधर करने का काम कर रहे थे। इस काम के लिए इन्हें 8 फीसदी काम मिलता था। कमीशन में हर दिन 10 से 15000 रुपये की कमाई होती थी। जांच एजेंसी इन सभी बातों की पुष्टि कर रही है। बलराम एक बार में पचास हजार से कम की राशि का ट्रांजेक्शन करता था।
ats1.jpg
वीओआईपी सिस्टम का इस्तेमाल
बलराम से जुड़े सीधी निवासी सौरभ शुक्ला की जब गिरफ्तारी हुई थी तो उसके नेटवर्क में तलाश की गई थी तो पाया गया कि ये वीओआईपी सिस्टम का इस्तेमाल करते थे। वीओआईपी का डुप्लीकेट नेटवर्क सिस्टम बनाना सरल नहीं इस कारण इसकी टैपिंग का खतरा कम होता है और उसे क्रेक भी आसानी से नहीं किया जाता है। इसलिए यूपी टेरर फंडिंग नेटवर्क वीओआईपी पर काम करता था। इन्हीं की सलाह र बलराम गैंग ने आईएमओ पर बात करना शुरू कर दिया, क्योंकि इसमें डाटा सेव होने का खतरा नहीं रहता था। या फिर वॉयस मैसेज भेजते थे।
ats12.jpg
दे रहे थे खुफिया जानकारी
तीनों आरोपियों ने मध्यप्रदेश सहित बिहार, पश्चिम बंगाल के लोगों में पैसे जमा करवाए थे। ये राशि आतंकियों तक पहुंचने की आशंका है। पैसों के एवज में सामरिक महत्व की जानकारियां पाकिस्तान भेजी जा रही थीं। तीनों ने पाकिस्तान के एजेंटों से छतरपुर, सतना-सीधी के सौ से अधिक लोगों के खातों में पैसे जमा करवाए। मध्यप्रदेश के 70 खातों से 50 हजार रुपये तक का लेन-देन हुआ। अन्य प्रदेशों के बैंक खातों में एक से दो लाख रुपये जमा किए गए।
ats13.jpg
बीजेपी का पूर्व नेता भी शामिल था
बलराम का जाल पूरे मध्यप्रदेश में फैला हुआ है। वह भोले-भाले युवकों पैसों की लालच देकर फंसाता था। 2017 में भोपाल बीजेपी के आईटी सेल का संयोजक ध्रुव सक्सेना भी गिरफ्तार हुआ था। यह भी बलराम के गिरोह से ही जुड़ा था। उस साल जबलपुर से दो, भोपाल से तीन और ग्वालियर से पांच आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। ये लोग हवाला का भी कारोबार करते थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो