होशंगाबाद जिले के बाबई गांव में जन्मे शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 में हुआ था। किसान परिवार में जन्मे शरद यादव ने 1971 इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए जबलपुर चले गए थे। तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में गहरा गई। वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। तभी राजनीति में शरद यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बीई में गोल्ड मेडलिस्ट
शरद यादव छात्र राजनीति के दौरान ही पढ़ाई में भी तेज थे। उन्होंने बीई (सिविल) किया है, उन्हें गोल्ड मेडल भी जीता था।
बिहार की मधेपुरा सीट से उम्मीदवार
शरद यादव कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं। इस बार भी वे मधेपुरा सीट से चुनाव मैदान में हैं। कभी पार्टी में नंबर वन की भूमिका में रहने वाले शरद यादव को जेडीयू से अलग होना पड़ गया। इसके बाद पिछले साल मई में उन्होंने नई पार्टी ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ बना ली। जेडीयू से दूर होने के बाद अब वे आरजेडी के करीब हो गए हैं। आरजेडी के चुनाव चिन्ह पर ही वे चुनाव लड़ रहे हैं।
लोहिया के विचारों से प्रेरित
शरद यादव बचपन से ही डा. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे। उस समय लोहिया के आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया। एमआईएसए (misa) के तहत वे 1970, 72 और 75 में हिरासत में लिए गए। मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में भी अहम भूमिका निभाई थी।
मध्यप्रदेश में पहली बार बने सांसद
शरद यादव मध्यप्रदेश में 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और सांसद बन गए थे। जेपी आंदोलन का समय था और वह हल्दर किसान के रूप में जेपी की ओर से चुने गए पहले उम्मीदवार थे। 1977 में भी वे इसी सीट से सांससद चुने गए। वे युवा जनता दल के अध्यक्ष भी बनाए गए थे।
-इसके बाद 1986 में वे राज्यसभा के लिए भी चुने गए और 1989 में उत्तरप्रदेश की बदाऊं लोकसभा सीट से जीतकर तीसरी बार सांसद बने।
-1989-90 में यादव केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय का जिम्मा दिया गया था।
-1991 से 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे।
-1995 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना लिया गया था और 1996 में वे 5वी बार सांसद बने।
-1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
-13 अक्टूबर 1999 को उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया और एक जुलाई 2001 को वह केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री चुने गए।
-2004 में वे दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने।
-2009 में वे सातवीं बार सांसद बन गए।
-2014 के लोकसभा चुनावों में उन्हें मधेपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा।
-इस बार शरद यादव फिर से मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।