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मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन शुरू, कई जिलों में दूध और सब्जी नहीं पहुंची

locationभोपालPublished: May 29, 2019 02:35:37 pm

Submitted by:

Manish Gite

मध्यप्रदेश में कृषि मंत्री से बातचीत के बाद किसानों ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया, इस दौरान प्रदेश के कुछ जिलों में सब्जी और दूध की सब्जी की आपूर्ति बाधित करने का दावा किया जा रहा है, जबकि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है…।

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भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन के बुलावे पर बुधवार को प्रदेशभर में किसानों का आंदोलन शुरू हो गया। इस आंदोलन के चलते कई शहरों में दूध और सब्जी जैसी जरूरी चीजों की आपूर्ति ठप करने का दावा किया जा रहा है। उधर, दोपहर में किसान नेता शिवकुमार शर्मा (कक्काजी) ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ बैठक कर कई मुद्दों पर चर्चा की।

मध्यप्रदेश के कई जिलों से खबर आ रही है कि किसानों के तीन दिवसीय आंदोलन के चलते बुधवार सुबह कई शहरों में दूध और सब्जी की आपूर्ति प्रभावित हुई है, दावा किया जा रहा है कि देवास, धार, उज्जैन और राजगढ़ जिलों में इसका असर देखा जा रहा है। जबकि प्रदेश की राजधानी भोपाल में सब्जी और दूध की आपूर्ति सुचारू रूप से चल रही है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का आरोप है कि किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया। दो लाख तक का कर्ज माफ किए जाने का वायदा किया गया था। किसानों को अब भी बैंक के नोटिस मिल रहे हैं। किसानों को डिफाल्टर घोषित किया जा सकता है। इन हालातों में किसानों की आत्महत्या भी बढ़ सकती है।

 

मंत्री से बातचीत असफल
इससे पहले, मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव के साथ किसान नेताओं ने मंगलवार रात को बातचीत की, लेकिन वह वार्ता विफल रही। इसके बाद बुधवार सुबह से किसानों ने यह आंदोलन शुरू कर दिया। उधर, किसान मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ भी वार्ता करना चाहते हैं, लेकिन वो भी असफल साबित हुई है।

दो चरणों में हड़ताल
मध्यप्रदेश में एक बार फिर किसान हड़ताल करने जा रहे हैं। किसानों के संगठनों ने 29 मई से 31 मई और एक जून से 5 जून तक हड़ताल करने का ऐलान किया है। इस बार भी किसानों ने अपनी उपज को मंडी तक नहीं पहुंचाने की घोषणा की है। किसानों के इस रुख से दो साल पहले 6 जून 2017 को हुए किसान आंदोलन की याद ताजा कर दी है।
दो साल पहले हुआ था बड़ा आंदोलन
6 जून 2017, वो तारीख, जिसने मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज होकर एक गहरा जख्म छोड़ दिया था। कुछ भड़काऊ मोबाइल एसएमएस और सोशल मीडिया पर वायरल हुए मैसेजेस से शुरू हुआ यह बवाल 7 लोगों की मौत और भयानक हिंसा के साथ खत्म हुआ था। पुलिस चौकियों को आग लगा दी गई थी, रेल की पटरियों को उखाड़ दिया गया था और सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों को फूंक दिया गया था।
यह है किसानों की मांग
-स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए।
-कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए।
-मंडी में उपज समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे।
-सरकार की तरफ से किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो।
-2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए।
-फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए।
-मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में हो।

पुलिस कंट्रोल रूम में बैठक
उधर, खबर है कि मध्यप्रदेश के कई जिलों में किसान आंदोलन को लेकर पुलिस प्रशासन ने बैठक कर किसान आदोलन को लेकर चिंता जताई है। खूफिया टीम किसान आंदोलन की रणनीति के बारे में पता करने में जुट गई है। इससे पहले सोमवार को कंट्रोल रूम पर चार घंटे मीटिंग चली। इसमें सबसे अधिक समय किसान आंदोलन पर रणनीति को लेकर दिया। किसान संगठन 29 मई से 5 जून तक मांगों को लेकर आंदोलन करेंगे। बैठक एसपी सचिन अतुलकर के नेृत्व में हुई।

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