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अब देश-विदेश में भोपाली बटुए की होगी ब्रान्डिंग, कारीगर बोले- आर्थिक मदद की दरकार

locationभोपालPublished: Jul 11, 2019 12:38:54 pm

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

सरकार ने किया वादाभोपाली बटुए की होगी ब्रान्डिंग

 bhopali batua branding

देश-विदेश में भोपाली बटुए की होगी ब्रान्डिंग, कारीगर बोले- आर्थिक मदद की दरकार

भोपाल. बजट ( mp budget news ) भाषण में वित्त मंत्री ने कहा है कि मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के विशेष उत्पादों के साथ भोपाल के बटुओं ( Bhopali Batua ) की देश-विदेश में पहचान स्थापित की जाएगी। इसके लिए ब्रान्डिंग एवं मार्केटिंग एजेंसियों की मदद लेंगे। इस पर बटुए बनाने वालों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त ऑर्डर रहते हैं, लेकिन इन्हें अधिक मात्रा में बनाने लायक पैसा नहीं है।

सरकार को इस कला को बचाने के लिए आर्थिक मदद करनी चाहिए। मुकेश और ममता शर्मा ने बताया कि परिवार 70 साल से बटुए बनाने का काम कर रहा है। इन बटुओं में कई बदलाव किए हैं। इनका एक्सपोर्ट हो रहा है। शादियों में इनका चलन बढ़ रहा है।

इनकी मांग आती है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए वे इनका स्टॉक नहीं कर पाते। इसके लिए पर्याप्त पैसा नहीं होता। बैंकों से भी मदद नहीं मिलती। बटुओं के विक्रेता कला पारिख ने बताया कि बटुओं में काम हाथ से होता है। सामग्री महंगी आती है। इस पर काफी पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है। यह महंगे होते हैं,इसलिए स्थानीय लोग कम खरीदते हैं। अधिकांश माल बाहर ही जाता है।

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15 करोड़ रुपए सालाना होता है राजधानी भोपाल में जरी-जरदोजी का काम। इसमें से 15 लाख रुपए भोपाली बटुए की है हिस्सेदारी

जरी-जरदोजी का बटुआ भोपाल की है पहचान

यूं तो भोपाल कई चीजों के लिए मशहूर है, लेकिन जरी जरदोजी से बना बटुआ यहां की खास पहचान है। करीब सौ साल पुरानी इस कला की मांग अरब देशों से लेकर ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा तक है। कई पीढिय़ों से यह काम रहे कारीगर जरी, रेशम, कारपेट, सूट लहंगे और शेरवानी बनाने में भी पारंगत हैं।

भोपाल में सालभर में लगभग 15 करोड़ रुपए का जरी का काम होता है। इसमें से बटुओं के कारोबार का हिस्सा 13 से 15 लाख रुपए है। इसे बनाने में जरी के साथ मोती, रेशम और तार आदि का उपयोग किया जाता है। मोती के बटुए की कीमत कम होती है, जबकि जरी के साथ रेशमी बटुए की अधिक। बटुआ निर्माता आसिफ खान बताते हैं कि हमारे पास 50 से लेकर 1,500 रुपए तक के बटुए उपलब्ध हैं। आसिफ के उत्पाद खाड़ी के देशों और यूरोप-अमेरिका तक जाते हैं।

देश-विदेश में है भोपाली बटुए की मांग

राजधानी में बटुओं के कारीगर इमरान खान कहते हैं कि दूसरे शहरों में लगने वाली प्रदर्शनियों में बटुओं की अच्छी मांग रहती है। पुराने शहर में एक बड़ा तबका जरी के बटुए, पर्स, टिकोनी, साड़ी और पर्दों का काम करता है। राजधानी में पॉलिटेक्निक बस्ती, ऐशबाग स्टेडियम, खानूगांव आदि इलाकों में बड़े पैमाने पर जरी के बटुए बनाने का काम किया जाता है।

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मेट्रो के लिए अलग से नहीं दिया फंड

राज्य सरकार के बजट में वित्त मंत्री तरुण भनोत ने भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए अलग से फंड की घोषणा नहीं की। भोपाल में मेट्रो रेल का पहला चरण 6962.72 करोड़ रुपए तो इंदौर में 7500 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा है।

सिविल वर्क के लिए भोपाल में 249 करोड़ और इंदौर में 270 करोड़ रुपए के वर्क ऑर्डर जारी किए गए हैं। एमपी मेट्रो रेल कंपनी गठन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि प्रोजेक्ट में तेजी लाने के लिए सरकार विशेष फंड का गठन करेगी। हालांकि बजट में इसके लिए कोई घोषणा नहीं की गई।


टेंट-लाइट वालों को कोई राहत नहीं दी

सरकार ने टेंट-लाइट वालों को कोई राहत नहीं दी है। आम से लेकर खास व्यक्ति के यहां कार्यक्रमों में हमारी जरूरत होती है, लेकिन बजट में कोई उल्लेख नहीं किया। भोपाल के लिए अलग से विशेष घोषणा नहीं की गई है। – रिंकू भटेजा, टेंट व्यवसायी

इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग से प्रावधान नहीं

उद्योग चलाने वाला व्यक्ति पूरा टैक्स देता है, उसके बदले में सुविधाएं चाहता है। बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग से प्रावधान नहीं किया गया, जिसकी शुरू से मांग रही है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम होना था
डीके जैन, अध्यक्ष, मंडीदीप इंडस्ट्रीज एसो.

एमएसएमई नीति से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

राज्य सरकार ने बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण में 400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जो कि स्वागत योग्य कदम कहा जा सकता है। बजट में की गई घोषणा के तहत नई एमएसएमई नीति लाई जाती है तो रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। उद्योग संगठन उद्योग प्रक्रियाओं के सरलीकरण की मांग कर रहे है, इससे उद्योगों का विकास होगा।
– डॉ. राधाशरण गोस्वामी, चेयरमैन, एमपी फेडरेशन

केन्द्र और राज्य सरकार ने डीजल-पेट्रोल पर जो टैक्स बढ़ाया है, उसका असर घर के बजट पर भी दिखाई देने लगा है। प्रदेश सरकार के बजट में भी गृहिणियों के लिए कोई खास घोषणाएं नहीं की गई हैं। महिलाओं के लिहाज से यह निराशाजनक बजट है। – प्रीति अग्रवाल, गृहिणी

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