क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े
मध्यप्रदेश में 2017 में मध्यप्रदेश में 5599 महिलाओं के साथ ज्यादती हुई है। महिलाओं से अपराध का आंकड़ा तब और शर्मनाक हो जाता है जब 3082 मासूम और नाबालिग बच्चियों के साथ शर्मनाक घटनाएं घटी हों। 2017 में 3 हजार से ज्यादा मासूसों के साथ घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 8.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि ओवर ऑल क्राइम की बात करें तो मध्यप्रदेश में 8.8 फीसदी क्राइम में वृद्धि हुई है। मासूम और नाबालिग के लिए मध्यप्रदेश देश का सबसे असुरक्षित राज्य है।
मध्यप्रदेश में 2017 में मध्यप्रदेश में 5599 महिलाओं के साथ ज्यादती हुई है। महिलाओं से अपराध का आंकड़ा तब और शर्मनाक हो जाता है जब 3082 मासूम और नाबालिग बच्चियों के साथ शर्मनाक घटनाएं घटी हों। 2017 में 3 हजार से ज्यादा मासूसों के साथ घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 8.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि ओवर ऑल क्राइम की बात करें तो मध्यप्रदेश में 8.8 फीसदी क्राइम में वृद्धि हुई है। मासूम और नाबालिग के लिए मध्यप्रदेश देश का सबसे असुरक्षित राज्य है।
2019 की स्थिति
जुलाई महीने में देश के मुख्य न्यायधीश ने रेप के मामलों में स्वत: संज्ञान लिया था। 1 जनवरी 2019 से जुलाई 2019 तक देशभर में रेप ( rape ) के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। छह महीनों में देशभर में 24 हजार रेप के केस दर्ज किए गए थे। 2019 में जुलाई तक रेप के मामलों की बात करें छह महीनों में रेप के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर था। जुलाई तक मध्यप्रदेश में 2389 रेप के मामले सामने आ चुके थे। बता दें कि क्राइम के हर साल सही आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा ही जारी किए जाते हैं।
जुलाई महीने में देश के मुख्य न्यायधीश ने रेप के मामलों में स्वत: संज्ञान लिया था। 1 जनवरी 2019 से जुलाई 2019 तक देशभर में रेप ( rape ) के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। छह महीनों में देशभर में 24 हजार रेप के केस दर्ज किए गए थे। 2019 में जुलाई तक रेप के मामलों की बात करें छह महीनों में रेप के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर था। जुलाई तक मध्यप्रदेश में 2389 रेप के मामले सामने आ चुके थे। बता दें कि क्राइम के हर साल सही आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा ही जारी किए जाते हैं।
फांसी देने वाले मामले में देश का पहला राज्य
मध्यप्रदेश में नाबालिग से रेप करने वालों दोषियों को फांसी का सजा देने का प्रावधान है। मध्यप्रदेश विधानसभा में दिसंबर 2017 को 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा देने के विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
मध्यप्रदेश में नाबालिग से रेप करने वालों दोषियों को फांसी का सजा देने का प्रावधान है। मध्यप्रदेश विधानसभा में दिसंबर 2017 को 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा देने के विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
अब तक 27 को फांसी की सजा
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, मध्यप्रदेश में अभी तक 27 लोगों को रेप के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। ज्यादातर कैदी इंदौर केन्द्रीय जेल में बंद हैं, उसके बाद जबलपुर केंद्रीय जेल में भी रेप के कैदी बंद हैं।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, मध्यप्रदेश में अभी तक 27 लोगों को रेप के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। ज्यादातर कैदी इंदौर केन्द्रीय जेल में बंद हैं, उसके बाद जबलपुर केंद्रीय जेल में भी रेप के कैदी बंद हैं।
कटनी में पांच दिन में सुनाई गई थी मौत की सजा
मध्यप्रदेश के कटनी जिले में एक नाबालिग से रेप का मामला सामने आया था। आरोपी स्कूल ऑटो ड्राइवर था। ऑटो ड्राइवर ने 5 साल की बच्ची को स्कूल छोड़ने के दौरान रेप की वारदात को अंजाम दिया था। मासूम के पिता ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और फिर पांच दिन के अंदर उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी।
मध्यप्रदेश के कटनी जिले में एक नाबालिग से रेप का मामला सामने आया था। आरोपी स्कूल ऑटो ड्राइवर था। ऑटो ड्राइवर ने 5 साल की बच्ची को स्कूल छोड़ने के दौरान रेप की वारदात को अंजाम दिया था। मासूम के पिता ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और फिर पांच दिन के अंदर उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी।
सजा के बाद भी क्यों नहीं मिलती फांसी?
मध्यप्रदेश में अभी तक 27 लोगों को रेप के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को फांसी की सजा नहीं दी गई है। आरोपियों को निचली अदालत में फांसी की सजा तो सुना दी जाती है। लेकिन उसके बाद आरोपी हाई कोर्ट औऱ सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं जो मामला कई सालों तक लंबित पड़ा रहता है।
मध्यप्रदेश में अभी तक 27 लोगों को रेप के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को फांसी की सजा नहीं दी गई है। आरोपियों को निचली अदालत में फांसी की सजा तो सुना दी जाती है। लेकिन उसके बाद आरोपी हाई कोर्ट औऱ सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं जो मामला कई सालों तक लंबित पड़ा रहता है।