29 मई को नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने की संभावना है। मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए भाजपा के कई सांसदों ने अभी से दिल्ली दरबार में अपनी जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। हालांकि, पिछली लोकसभा में भी प्रदेश से मंत्री रहे हैं। लोकसभा स्पीकर रहीं सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा।
नरेंद्र सिंह तोमर
तोमर तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। तोमर पिछली केंद्र सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं। वे प्रदेश सरकार में मंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। तोमर को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। वहीं, मध्यप्रदेश में उनका भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान से भी बेहतर तालमेल है। इस बार उन्हें फिर अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
क्यों मिल सकती है कुर्सी : ग्वालियर-चंबल में सिंधिया की हार के बाद उनके रसूख को और कम करने के लिए तोमर का कद बढऩा तय है।
राकेश सिंह
राकेश चौथी बार सांसद चुने गए हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा को लगातार दूसरी बार हाराया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के तौर पर राकेश सिंह की भूमिका इन चुनावों में सफल साबित हुई। वे 16वीं लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक भी रह चुके हैं। उन्हें मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया जा सकता है। राकेश ङ्क्षसह संसदीय कार्य के जानकार हैं। सदन में अच्छे वक्ता के रूप में भी उनकी पहचान है।
क्यों मिल सकती है कुर्सी : राकेश सिंह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। राकेश संसदीय कार्य के अच्छे जानकार हैं। महाकौशल से प्रतिनिधित्व करते हैं।
थावरचंद गहलोत
राज्यसभा सदस्य हैं। थावरचंद गहलोत पिछली मोदी सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री थे। गहलोत चार बार संसद सदस्य भी रहे हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड के चुनाव प्रभारी के रूप में सफल साबित हुए। सभी पांचों सीटों पर कब्जा तो बरकरार रखा ही, पिछली लोकसभा के मुकाबले पांच प्रतिशत वोट भी बढ़ाए। गहलोत का नाम पिछली बार राष्ट्रपति पद के लिए भी चला था।
क्यों मिल सकती है कुर्सी : संघ के करीबी होने के साथ-साथ वरिष्ठ दलित नेता के रूप में पहचान है। मालवा से प्रतिनिधित्व के रूप में भी मौका मिल सकता है।
डॉ. वीरेंद्र खटीक
खटीक सातवीं बार सांसद बने हैं। डॉ. वीरेंद्र खटीक पिछली सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण और महिला बाल विकास विभाग के राज्यमंत्री थे। इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री या राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में कुर्सी मिल सकती है। वे अपनी जनता चौपाल के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। वीरेंद्र खटीक के बाहरी प्रत्याशी होने के कारण क्षेत्र में विरोध भी हुआ। उन्होंने अच्छे मतों के अंतर से जीत हासिल की है।
क्यों मिल सकती है कुर्सी : दलित चेहरा। सादगी के कारण मोदी की गुड बुक में शामिल हैं। बुंदेलखंड के प्रतिनिधित्व के लिए भी कुर्सी मिल सकती है।
प्रहलाद पटेल
पटेल पांचवीं बार सांसद चुने गए हैं। वे इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कोयला राज्यमंत्री रह चुके हैं। प्रहलाद पटेल को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर-पूर्व के राज्यों में काम के लिए भेजा था। इन राज्यों में भाजपा को अच्छी बढ़त मिली है। इसे प्रहलाद के की अच्छी परफॉर्मेंस से जोडकऱ देखा जा रहा है। वहीं, उन्होंने पांचवीं बार भी अच्छे अंतर से विजय हासिल की है।
क्यों मिल सकती है कुर्सी : ओबीसी और लोधी वोट बैंक को साधने में कामयाब रहे। वे पार्टी में काफी मेहनती नेता माने जाते हैं। हालांकि लंबे समय से हाशिए पर हैं।
धर्मेंद प्रधान
प्रधान उड़ीसा से आते हैं, लेकिन वे राज्यसभा में मध्यप्रदेश से पहुंचे हैं। उड़ीसा के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव प्रधान के नेतृत्व में ही लड़े गए। विधानसभा में 13 सीटें बढ़ाकर भाजपा वहां दूसरे नंबर की पार्टी बनी है। भाजपा की दो से बढकऱ आठ सीटें हुई।
क्यों मिल सकती है कुर्सी : नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। पिछली सरकार में मंत्री के रूप में उनकी परफॉर्मेंस अच्छी मानी गई है।
नंदकुमार सिंह चौहान
चौहान छठवीं बार सांसद चुने गए हैं। वे शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
रीति पाठक
सीधी से दूसरी बार सांसद चुनी गई हैं। कांग्रेस के अजय ङ्क्षसह जैसे दिग्गज को हराया।
प्रदेश को मिलना चाहिए ये मंत्रालय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में प्रदेश की मंत्रिमंडल को लेकर अपेक्षाएं बढ़ी हैं। पिछली सरकार में पंचायत ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय और खनिज जैसे विभाग मध्यप्रदेश के सांसदों के पास थे तो महिला बाल विकास और अल्पसंख्यक कल्याण के राज्यमंत्री भी यहां से थे। इस बार भाजपा की सीटें भी प्रदेश में बढ़ी हैं तो प्रदेश को सबसे ज्यादा उम्मीद कृषि, जल संसाधन, महिला बाल विकास जैसे विभाग मिलने की है।
कृषि
कृषि मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा घटक है और यह क्षेत्र राज्य की जीडीपी में करीब एक तिहाई योगदान देता है। प्रदेश को पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है।
क्यों : प्रदेश में कृषि के विस्तार और कृषि से जुड़े रोजगार के अवसर की भरपूर संभावना है। कृषि, फूड प्रोसेङ्क्षसग और जैविक कृषि की संभावनाएं हैं।
जल संसाधन
नर्मदा, चंबल और बेतवा जैसी नदियों के राज्य में जल संसाधन की अपार संभावनाएं हंै। नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना जैसे सफल प्रयोग प्रदेश ने किए हैं। जलसंसाधन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।
क्यों : मप्र और उत्तर प्रदेश के बीच केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। यह सुलझ सकता है।
बाल विकास
महिला एंव बाल विकास- कुपोषण, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर का कलंक मध्यप्रदेश के माथे पर लगा हुआ है। एसआरएस 2016 के मुताबिक यहां शिशु मृत्यु दर प्रति हजार पर 47 थी।
क्यों : महिला-बाल विकास के क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है। हालांकि राज्यमंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक ने भी काफी काम किए हैं।
पर्यटन
देश के दिल मध्यप्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। 9 नेशनल पार्क और 26 अभ्यारण्य मध्यप्रदेश में आते हैं। वहीं खजुराहो, सांची, उज्जैन, ओंकारेश्वर, ग्वालियर ऐसे धार्मिक-ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र भी प्रदेश में है।
क्यों : प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलने से युवाओं को रोजगार मिलेगा। पर्यटकों के आने से प्रदेश के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।