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Politics mysterious: मध्यप्रदेश की राजनीति का ये है एक रहस्यमय सच, नहीं जानते होंगे आप

locationभोपालPublished: Jul 01, 2019 12:23:06 pm

वर्ष 1956 में जब मध्यप्रदेश का गठन ( politics mysterious ) हुआ…

MP Politics

मध्यप्रदेश की राजनीति का ये है एक रहस्यमय सच, नहीं जानते होंगे आप

भोपाल। मध्यप्रदेश में वैसे तो राजनीति करने वाले कई दल हैं। लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति का एक धार्मिक त्योहार से गहरा नाता ( Politics mysterious ) भी है। ऐसा नाता कि इस त्योहार के आने के बाद पुरानी सरकार को जाना ही होता है।

जी हां हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश में लगने वाले सिंहस्थ की, जिसके संबंध में मान्यता है कि 12 साल में आने वाले इस त्यौहार के बाद उस समय की तत्कालीन सरकार की वापसी ( Mysterious Facts ) नहीं हो पाती।


इस संबंध में खुद मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ( shivraj singh chauhan ) भी मानते हैं कि मध्यप्रदेश में सिंहस्थ के बाद सरकार फिर से नहीं ( Politics mysterious ) बनती, उनका कहना है कि हां मैं खुद इसका गवाह हूं। उनके अनुसार मान्यता है कि मध्यप्रदेश में क्षिप्रा नदी पर उज्जैन में प्रत्येक 12 वर्ष पर आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले के बाद राज्य में कोई सरकार दोबारा नहीं ( Politics mysterious ) बनती।

shivraj singh

ऐसे समझें पूरा मामला…
उज्जैन जिला मध्य प्रदेश, यूं तो महाकाल शिवशंकर की वजह से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हर बारह वर्ष में यहां सिंहस्थ कुंभ आयोजित होता है। इसी के चलते 2016 में भी यहां कुंभ आयोजित हुआ था और तब से लगातार यह बात चर्चा में रही थी कि राज्य का मुखिया बदल ( Politics mysterious ) सकता है।

हर बार बदले मुख्यमंत्री…
सबसे खास बात तो ये है कि 1 नवंबर 1956 यानि लगभग 60 साल पहले बने इस मध्य प्रदेश में पांच सिंहस्थ हो चुके हैं और संयोग से हर बार मुख्यमंत्री बदल ( Politics mysteriouss ) गए हैं।

11 दिसंबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जिस तरह से भाजपा और शिवराज का विजय रथ रोका, उससे एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वाकई सिंहस्थ की वजह से मध्यप्रदेश में सत्ता बदली ( Politics mysterious ) है।

 

ऐसे समझें सिंहस्थ के साथ होने वाले परिवर्तन को…

सिंहस्थ 1980 :इस दौरान सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री थे। एक माह भी नहीं टिक पाए और उनकी सरकार चली गई। वहीं इसके पहले भी जो दो कुंभ हुए उनमें तत्कालीन मुख्यमंत्रियों को किसी न किसी कारण से अपना पद गंवाना पड़ा था।

सिंहस्थ 1992 : इस समय सुंदरलाल पटवा सीएम थे। सिंहस्थ पूरा कराने के छह माह बाद ही उनकी तो पूरी सरकार बर्खास्त कर दी गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।


सिंहस्थ 2004: अप्रैल-मई 2004 के सिंहस्थ की तैयारी दिग्विजय सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री शुरू की थी। फिर 2003 के विधानसभा चुनाव आए और कांग्रेस की सरकार चली गई। इसके बाद मुख्यमंत्री बनी थीं उमा भारती। उमा ने बाद में अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सिंहस्थ संपन्न कराया और अगस्त में उन्हें अचानक कुर्सी छोड़नी पड़ी।

ऐसे समझें मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल:

सिंहस्थ वर्ष मुख्यमंत्री
कार्यकाल
1956 रविशंकर शुक्ला 1 नवंबर से 31 दिसंबर 1956
1968गोविंद नारायण सिंह 30 जुलाई 1967 से 12 मार्च 1969
1980सुंदरलाल पटवा20 जनवरी से 1980 से 17 फरवरी 1980
1992सुंदरलाल पटवा5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992
2004उमाभारती 8 दिसंबर 2003 से 23 अगस्त 2004
2016 शिवराज चौहान 29 नवंबर 2005 से 11 दिसंबर 2018

मुख्यमंत्रियों की विदाई एक संयोग का इतिहास…
जानकारों के अनुसार महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन तो सदियों से होता रहा है। लेकिन मध्यप्रदेश में सिंहस्थ के दौरान मुख्यमंत्रियों की विदाई एक संयोग है या कोई शिव का तांडव कहां नहीं जा सकता।

वर्ष 1956 में जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ था उस वक्त उज्जैन में सिंहस्थ आयोजन 8 माह पूर्व ही सम्पन्न हुआ था।

उस दौरान प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ला ने एक नवंबर से 31 दिसंबर 1956 तक प्रदेश की (दो माह के लिए) बागडोर संभाली, लेकिन उसके बाद जितने भी सिंहस्थ हुए उस समय भारतीय जनता पार्टी या संघ के समर्थन वाली संविद सरकार के मुख्यमंत्री रहे हैं और उनका सिंहस्थ के दौरान जाना तय माना गया। इसे महज संयोग ही नहीं कहा जा सकता। मध्यप्रदेश में सिंहस्थ के समय मुख्यमंत्रियों की विदाई एक परंपरा बन चुकी है।

1956 के बाद वर्ष 1968 के बाद सिंहस्थ आयोजित हुआ और उसके 11 माह के भीतर ही 12 मार्च 1969 को गोविंद नारायण सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था।

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