परिवहन विभाग ( transportation Department ) ने पॉलिसी पर सरकार की मुहर लगने के बाद ग्वालियर से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की शुरुआत की है। नई पॉलिसी में स्कूल बसों के संचालन के मामले में प्रायवेट स्कूल प्रबंधन सहित अभिभावकों के लिए भी अधिकार एवं कर्तव्य तय किए गए हैं। स्कूल प्रबंधन अब अटैच स्कूल बसों के परिचालन के लिए जिम्मेदार रहेंगे।
अभिभावकों को स्कूल बसों की निगरानी के लिए समिति बनाने की जवाबदेही सौंपी जाएगी। समिति हर माह बैठक कर स्कूल बसों के बारे में प्रमुख आपत्तियों पर रिपोर्ट कलेक्टर एवं आरटीओ को भेजेगी। परिवहन विभाग ने ये सभी नियम इंदौर डीपीएस बस हादसे के बाद विशेषज्ञों एवं जानकारों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार किए हैं।
मॉडिफिकेशन मान्य नहीं होगा
मैजिक एवं आपे में पीला रंग लगाकर स्कूल वाहन बनाने के मामलों में साफ किया गया है कि इनमें 12 बच्चों के बैठने की जगह होना चाहिए। निर्माता कंपनी की ओर से तैयार डिजाइन के अलावा यदि मॉडिफिकेशन कराया जाता है तो इसे मान्य नहीं किया जा सकेगा। ट्रैवलर एवं बड़ी बसों में 12 से 32 सीटों का होना अनिवार्य है।
12 सीटर से कम क्षमता वाले वाहनों को स्कूल वैन का दर्जा नहीं मिलेगा। पुरानी वैन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। शहर में जल्द ही ऐसे वाहनों को जप्त किया जाएगा। – संजय तिवारी, आरटीओ