भोपाल के ज्योतिषाचार्य एवं पंडित जगदीश शर्मा के मुताबिक चार फरवरी को पड़ने वाली मौनी अमावस्या इस बार खास है। सोमवार के दिन पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है। इसी दिन दो विशेष संयोग बन रहे हैं। इस दिन अर्दोदय योग का महायोग बन रहा है। इसे दिव्य योग भी कहा जाता है।
स्नान करते वक्त करें कुंभ का ध्यान
इस बार प्रयागराज में कुंभ चल रहा है। इसलिए भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन गंगा, नर्मदा और ताप्ती नदी में स्नान करना चाहिए। जो लोग कुंभ नहीं जा सकते वे पवित्र नदियों में कुंभ का ध्यान करके भी पुण्य लाभ ले सकते हैं।
पितृों के लिए है खास
अमावस्या पर तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इस पितृों के लिए तर्पण करें और उनके नाम से गरीबों में दानपुण्य करने से पितृदोष दूर होता है, वहीं पितृों का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए गरीबों में कंबल, खाने की वस्तुओं का दान करना चाहिए।
भोपाल से होशंगाबाद जाते हैं हजारों लोग
मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली पवित्र नर्मदा में स्नान का महत्व है। होशंगाबाद में प्रत्येक अमावस्या और पूर्णिमा पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस बार मौनी अमावस्या तो है ही साथ में सोमवार को होने के कारण यह सोमवती मौनी अमावस्या हो गई है। होशंगाबाद भोपाल से 75 किलोमीटर दूर है। यहां पर रेल मार्ग और सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा जो लोग होशंगाबाद नहीं जा सकते वे नर्मदा तट के बुदनी, आंवली घाट, नेमावर में भी स्नान कर सकते हैं।
एक करोड़ गुना अधिक पुण्य मिलता है
ऐसे योगों में मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा, क्षिप्रा और ताप्ति में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान-पुण्य से हर माह पड़ने वाली अमावस्या से एक करोड़ गुना ज्यादा शुभ फल मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित जगदीश शर्मा के मुताबिक इस बार सोमवती मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र भी साक्षी बन रहा है। इसलिए सर्वार्थ सिद्धि योग बन गया है। इसके अलावा व्यतिपात योग से महोदय योग भी बन रहा है। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि यह योग भी विशेष महत्व रखता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आज से एक करोड़ सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान से जो पुण्य फल मिलता है, वो एक बार ही नर्मदा नदी में स्नान से मिल जाता है। इसका पुण्य फल मनुष्य और उसके परिवार को कई युगों तक मिलता रहता है। यानी उसके परिवार और समाज में कल्याण होता रहता है। साथ ही पितृ भी शांत रहते हैं।