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दो पहिया वाहन चालकों के एक्सीडेंट में मध्यप्रदेश अव्वल

locationभोपालPublished: Feb 25, 2020 08:23:37 am

Submitted by:

Arun Tiwari

प्रदेश में तीन साल में कम हुए दोपहिया वाहन चालकों के एक्सीडेंट, लेकिन बढ़ गया मौत का ग्राफ
– दोपहिया वाहनों के एक्सीडेंट के मामले में यूपी,बिहार और महाराष्ट्र से आगे है मध्यप्रदेश
 
 

दो पहिया वाहन चालकों के एक्सीडेंट में मध्यप्रदेश अव्वल

दो पहिया वाहन चालकों के एक्सीडेंट में मध्यप्रदेश अव्वल

भोपाल : सड़क हादसों के मामले में मध्यप्रदेश उन राज्यों से भी आगे है जिनमें विकास का पहिया धीरे चल रहा है। दोपहिया वाहन चालकों के एक्सीडेंट के मामले में भी प्रदेश की स्थिति चिंताजनक कही जा सकती है।
पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड देखें तो प्रदेश में दोपहिया वाहन चालकों के रोड एक्सीडेंट के मामले तो कम हुए हैं लेकिन मौत का आंकड़ा बढ़ गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से पिछले तीन साल में प्रदेश में दोपहिया वाहन चालकों के 63927 सड़क हादसे हुए हैं। इन हादसों में जारी किए हैं उनमें ये जानकारी सामने आई है।
इन सड़क हादसों में 9325 बाइकर्स ने अपनी जान गंवाई है। तीन सालों में बाइकर्स के दस फीसदी सड़क हादसे कम हुए हैं लेकिन दस फीसदी मौत का ग्राफ बढ़ गया है। मध्यप्रदेश दोपहिया वाहनों के सड़क हादसों में उत्तरप्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी आगे है। केंद्र सरकार ने ये जानकारी प्रदेश सरकार को भेजकर बेहतर कार्ययोजना के साथ सुरक्षा के उपाय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

ये है पिछले तीन साल का आंकड़ा :
पिछले तीन साल के आंकड़ों को सिलसिलेवार देखें तो साल 2016 में 22503 दोपहिया वाहन चालक सड़क हादसों का शिकार हुए इनमें 3013 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। साल 2017 में बाइकर्स के रोड एक्सीडेंट की संख्या मामूली कम होकर 21458 रही लेकिन इन सड़क हादसों में दोपहिया वाहन चालकों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 3035 पर पहुंचा। साल 2018 में सड़क हादसों की संख्या थोड़ी और कम होकर 19966 पर पहुंची लेकिन मौत का ग्राफ बढ़कर 3277 पर पहुंच गया।

हादसों के ये कारण आए सामने :
दोपहिया वाहन चालकों की सड़क दुघर्टनाओं के मुख्य तौर पर कुछ प्रमुख कारण सामने आए हैं। जिले और शहर की सड़कों की संख्या में सालों से विशेष इजाफा नहीं हुआ है जबकि वाहनों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। नतीजा ये है कि वाहनों का दबाव सड़कों पर बढऩे लगा है और यातायात बाधित होने लगा है।
नगरीय यातायात का दबाव मेट्रो शहरों में 20 से 40 फीसदी तक हेाता है। जो वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं उनमें बाइकर्स की संख्या बढ़ रही है। किशोरवय लड़के-लड़कियां बिना सुरक्षा अपनाए तेजी से वाहन दौड़ाते नजर आते हैं, ये भी सड़क हादसों का कारण बन रहा है।
दोपहिया वाहन चालकों की सड़क हादसे में मौत का कारण हेलमेट न पहनना भी माना गया है। वहीं हाइवे और शहर के मुख्य मार्ग पर चल रहे वाहनों की हेडलाइट की तेज रोशनी सामने से आने वाले वाहन चालक की आंख पर पड़ती है। ऐसे में कई बार असमंजस की स्थिति बनने पर एक्सीडेंट हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी दोपहिया वाहन चालक को होती है।

सरकार इस मामले में गंभीर है। हम इस कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं जिससे सड़क हादसों की संख्या कम से कम हो और लोग असमय मौत का शिकार न हों। हम लगातार सेफ्टी मेजर्स अपनाने पर काम कर रहे हैं। हमने इसकी समीक्षा भी की है। सड़क हादसों को रोकने के लिए परिवहन महकमा, पुलिस और ट्रेफिक पुलिस मिलकर काम कर रहे हैं।
– गोविंद सिंह राजपूत, परिवहन मंत्री

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