– प्लानिंग व फसलों का श्रेणीकरण
प्रदेश को बेस सप्लायर के रूप में विकसित करने के लिए माइक्रो लेवल पर प्लानिंग होगी। इसमें फसलों को खरीदने से लेकर उनसे उत्पाद बनाकर बेचने तक की चैन शामिल रहेगी। गाजर, मटर और बींस के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें जिन इलाकों में मटर ज्यादा है, उन्हें चिन्हित किया जा रहा है। इसके अलावा फास्ट फूड के लिए रॉ-वेजिटेबल मटेरियल के निर्यात की प्लानिंग भी सरकार कर रही है। इसके लिए उद्यानिकी विभाग के स्तर पर फसलों का श्रेणीकरण होगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में भी इसके लिए फसलों का श्रेणीकरण करके काम शुरू किया गया है।
– बड़ी कंपनियों से होगी बात
सरकार मैगी-नूडल्स सहित फास्ट फूड की अन्य बड़ी कंपनियों से भी बेस सप्लाई पर बात करेगी। इसके अलावा फास्ट फूड की स्थानीय कंपनियों से भी बात होगी। सरकार की मंशा है कि फास्ट फूड के बेस सप्लायर में मध्यप्रदेश को भी अग्रणी राज्य बनाया जाए। इसके लिए दूसरे राज्यों की बड़ी कंपनियों से भी चर्चा होगी। अभी कुछ राज्यों में इन कंपनियों ने अपने प्लांट बना रखे हैं। प्रदेश के उन इलाकों में इसे लेकर प्लांट बनाने की कोशिश होगी, जो जलवायु और अन्य मापदंडों पर बेहतर हैं।
– जीएसटी का भी फायदा मिलेगा
जीएसटी के बाद बदले परिदृश्य में मध्यप्रदेश बेस सप्लायर के रूप में बड़े उद्योगों के लिए मुफीद है। वजह ये कि यहां से पांच राज्यों की सरहद सीधे तौर पर जुड़ी हैं। जबकि, मप्र से अन्य जगहों पर परिवहन भी आसान है। इसलिए, लॉजिस्टिक हॅब के साथ प्रदेश के फास्ट फूड में बेस सप्लायर बनने की संभावना है। लॉजिस्टिक हॅब में निवेशकों के अच्छे प्रस्ताव आने के बाद इसी थीम लाइन पर भी अब सरकार काम कर रही है।