मध्यप्रदेश ने रणजी ट्रॉफी का खिताब पहली बार जीता है. इससे पहले एमपी टीम साल 1999 में चंद्रकात पंडित की कप्तानी में फाइनल तक पहुंची थी, जहां कर्नाटक ने उसे 96 रनों से हरा दिया था. चंद्रकात पंडित इस बार एमपी के हेड कोच हैं.
मुंबई ने पांचवें दिन के शुरुआती सत्र में ही अपने बाकी आठ विकेट गंवा दिए थे. इसके चलते मुंबई की दूसरी पारी केवल 269 रनों पर सिमट गई. मुंबई के लिए दूसरी इनिंग्स पारी में सुवेद पारकर ने सबसे ज्यादा 51 रनों का योगदान दिया, सरफराज ने 45 और कप्तान पृथ्वी शॉ ने 44 रनों की पारी खेली. एमपी की ओर से गेंदबाज कुमार कार्तिकेय ने सबसे ज्यादा चार विकेट चटकाए. 108 रनों के टारगेट को एमपी टीम ने आसानी से हासिल कर लिया. एमपी के लिए दूसरी पारी में हिमांशु मंत्री ने सबसे ज्यादा 37 रनों का योगदान दिया. शुभम शर्मा और रजत पाटीदार ने 30-30 रनों की पारियां खेली.
मैच में टॉस जीतकर मुंबई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 374 रन बनाए थे. सरफराज खान ने 134 रनों की शानदार पारी खेली. एमपी की ओर से गौरव यादव ने 4 और अनुभव अग्रवाल ने तीन3 सफलताएं प्राप्त कीं. 374 रनों के जवाब में मध्यप्रदेश ने पहली पारी 536 रन बनाए. इस शानदार प्रदर्शन में बल्लेबाज रजत पाटीदार, शुभम शर्मा और यश दुबे का जबर्दस्त योगदान रहा, जिन्होंने शतकीय पारियां खेलीं. रजत पाटीदार ने 122 रनों की, जबकि यश दुबे ने 133 और शुभम शर्मा ने 116 रनोंं की पारियां खेलीं. मुंबई के लिए शम्स मुलानी ने सबसे ज्यादा 5 विकेट चटकाए थे.
41 बार की चैम्पियन है मुंबई है
मध्यप्रदेश की टीम की जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि मुंबई 41 बार चैम्पियन रह चुकी है. रणजी ट्रॉफी के 87 साल के इतिहास में मध्यप्रदेश महज दूसरा फाइनल खेल रही थी जबकि मुंबई की टीम रिकॉर्ड 47वां फाइनल मुकाबला खेल रही थी.
रणजी ट्रॉफी के 3 विजेता:
2021-22 मध्यप्रदेश
2019-20 सौराष्ट्र
2018-19 विदर्भ
जय मध्यप्रदेश, विजय मध्यप्रदेश...#RanjiTrophy pic.twitter.com/t9CAKLgujY
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 26, 2022