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राजधानी में 8 बागी उतरे मैदान में, शुरू हुआ मान-मनौव्वल का दौर

locationभोपालPublished: Nov 10, 2018 07:37:02 am

Submitted by:

Amit Mishra

अपनों से उलझन: कुछ बागी माने तो कुछ अभी भी मैदान में डटे…..

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राजधानी में 8 बागी उतरे मैदान में, शुरू हुआ मान-मनौव्वल का दौर

भोपाल। भाजपा-कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों के टिकट तय होते ही बागियों ने मोर्चा खोल दिया। हर सीट पर एक-दो बागी सामने आ गए हैं। इन्होंने आखिरी दिन निर्दलीय नामांकन फॉर्म दाखिल कर दोनों दलों के प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी।

अपनों से सबसे बड़ी चुनौती….
बगावत कर नामांकन दाखिल करने वालों में 3 कांग्रेस और 5 भाजपा के हैं। प्रत्याशियों को सबसे बड़ी चुनौती तो अपने ही दलों के बागियों से मिल रही है। वहीं कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी और सपाक्स भी मैदान में है। बागियों में दो भाजपा के पूर्व विधायक, जितेंद्र डागा और ब्रह्मानंद रत्नाकर ने नामांकन फॉर्म जमा किया है।

इन्होंने दिया समर्थन….
इधर, कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना से दिग्विजय सिंह की मुलाकात के बाद दक्षिण-पश्चिम प्रत्याशी पीसी शर्मा को समर्थन दे दिया। वहीं, नरेला से बसपा प्रत्याशी तौकीर निजामी ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया।

हुजूर- डागा-मीना भाजपा तो मुन्नी कांग्रेस के लिए परेशानी….
कितना प्रभाव: जितेंद्र डागा भाजपा से विधायक रहे हैं। पिछली बार उन्हें टिकट नहीं दिया था। इस बार भी दावेदार थे। ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ रखते हैं। श्याम मीना की पत्नी कोलार में भाजपा पार्षद हैं और मीना समाज में अच्छा दखल रखते हैं। निर्दलीय फॉर्म भरने वाली मुन्नी यादव कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं।

 

बैरसिया- पूर्व विधायक रत्नाकर ने थामा बगावत का झंडा….
कितना प्रभाव: पूर्व भाजपा विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर का समाज और जाति के हिसाब से क्षेत्र में वोट बैंक हैं। जब वे 2008 में पहली बार चुनाव लड़े थे तब वे 46852 यानी 45.46 फीसदी वोट हासिल कर विजयी हुए थे। क्षेत्र में स्थापित कारोबार और पकड़ के चलते बड़ा वोट बैंक प्रभावित कर सकते हैं।

निर्दलीय पार्षद और भाजपा के पूर्व पार्षद ने भरा नामांकन….
कितना प्रभाव: मो. सऊद अल्पसंख्यक वर्ग से हैं और युवा चेहरा। वार्ड 8 से निर्दलीय पार्षद का चुनाव जीते। अकेले इनके वार्ड में ही 18 हजार 200 वोट पर अच्छी पकड़। इधर, भाजपा के पूर्व पार्षद रविंद्र अवस्थी का वार्ड में भी अच्छा दबदबा है। बहुसंख्यक वोट अवस्थी की तरफ झुक सकते हैं।


मध्य- साजिद-नासिर मुश्किल कर रहे राह….
कितना प्रभाव: यहां 90 हजार अल्पसंख्यक वर्ग के वोट हैं। साजिद अली मध्य में सबसे अधिक सक्रिय हैं। हिंदू मतदाताओं पर प्रभाव। नासिर इस्लाम पूर्व पार्षद रहे हैं। 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी रह चुके हैं। 47542 वोट यानी 46.16 फीसदी वोट मिले थे। अल्पसंख्यक वर्ग के वोटों पर अच्छी पकड़।

दक्षिण पश्चिम- संजीव सक्सेना ने पीसी शर्मा को दिया समर्थन……..
प्रभाव: संजीव सक्सेना 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी रह चुके हैं। उन्हें 52969 वोट मिले थे। इसके पहले भी वे बसपा से यहां से चुनाव लड़ चुके हैं तब उन्हें 22705 वोट यानी 23.79 फीसदी वोट मिले थे। स्थानीय लोगों के बीच अच्छी पकड़ है।


गोविंदपुरा: जातिगत समीकरण पर ध्यान….…..
प्रभाव- क्षेत्र में रामबाबू शर्मा लंबे समय से सक्रिय हैं। टेंट कारोबारी होने से लोगों से संपर्क है। गोविंदपुरा में करीब 35 हजार वोट ब्राह्मणों के हैं। इन वोट पर गिरीश शर्मा (कांग्रेस प्रत्याशी) और रामबाबू की बराबर पकड़ हैं। पार्टी के पुराने कार्यकर्ता।

 

नरेला- बसपा प्रत्याशी ने थामा कांग्रेस का हाथ …..
प्रभाव- बसपा के इस क्षेत्र में परंपरागत वोट हैं। अल्पसंख्यक वर्ग से तौकीर नियाजी को प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन वे कांग्रेस में शामिल हो गए।

 

…और ये भी बिगाड़ेंगे समीकरण….
दक्षिण-पश्चिम सीट पर आप से आलोक अग्रवाल मैदान में हैं, जो दलों के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। वहीं, सपाक्स पार्टी ने डॉ केएल साहू को यहां से प्रत्याशी बनाया है। वे भी क्षेत्र के सवर्ण समाज के वोट प्रभावित करेंगे।

 

जनता ने मुझे खड़ा किया है। मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे आया हूं। पिछली बार भी मौका नहीं मिला था। जनता के लिए लड़ाई जारी रहेगी।
जितेंद्र डागा, निर्दलीय ( पूर्व विधायक) हुजूर

 

मुझे टिकट की उम्मीद थी। मैंने निर्दलीय चुनाव लडऩे का मन बनाया है।
सैय्यद साजिद अली, निर्दलीय, (कांग्रेस), मध्य


जनता ने कहा फॉर्म भरो, तो भर दिया। अब आगे देखेंगे क्या परिस्थितियां बनती हैं।
ब्रह्मानंद रत्नाकर, निर्दलीय, (पूर्व विधायक) बैरसिया

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