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यहां दूसरे नंबर पर भी नहीं थी कांग्रेस, विधानसभा चुनाव 2013 में…

locationभोपालPublished: Nov 11, 2018 03:22:58 pm

मुश्किल हालात: कांग्रेस के लिए 26 सीटों पर दोहरी चुनौती…

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विधानसभा चुनाव 2013 में यहां दूसरे नंबर पर भी नहीं थी कांग्रेस

भोपाल जितेंद्र चौरसिया की रिपोर्ट…
प्रदेश में 26 विधानसभा सीटें छोटी राजनीतिक पार्टियों और निर्दलीयों के प्रभाव वाली हैं। इनका सीधा मुकाबला सत्तारूढ़ भाजपा से होता रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस के लिए ये सीटें आज भी चुनौतीपूर्ण हैं।
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वहीं, 56 से ज्यादा ऐसी सीटों के परिणाम तीसरा उम्मीदवार प्रभावित करता है। बसपा, सपा व गोंगपा से गठबंधन की उम्मीदें खत्म होने के बाद कांग्रेस के लिए इन सीटों का गेम प्लान बनाना बेहद मुश्किल हो गया है।
इनमें कुछ जगह कांग्रेस के पास मजबूत प्रत्याशी हंै, लेकिन कई जगह सही चेहरे का चयन नहीं हो पा रहा है। इसी तरह भाजपा के लिए भी इन सीटों पर दोहरी चुनौती रहेगी, क्योंकि इनमें से सात सीटों पर बसपा और निर्दलीय का कब्जा है।
यहां पहली टक्कर बसपा से
प्रदेश की चार सीटें बसपा के पास हैं। इनमें से तीन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे, जबकि एक सीट दिमनी पर कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र सिंह तोमर दूसरे नंबर पर थे। यहां बसपा के बलवीर दंडोतिया विधायक हैं। अंबाह में बसपा के सत्यप्रकाश विधायक हैं।
यहां दूसरे नंबर पर भाजपा के बंसीलाल जाटव थे। रैगांव में बसपा की ऊषा चौधरी विधायक हैं। यहां दूसरे नंबर पर भाजपा के पुष्पराज बागरी थे। मनगवां से बसपा की शीला त्यागी विधायक हैं। यहां दूसरे नंबर पर भाजपा की पन्नाबाई थीं।

दूसरे नंबर पर भी नहीं टिकी
2013 में भाजपा की जीत वाली 19 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर भी नहीं आ पाई। 11 सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर थी। दो सीटों पर सपा और छह सीटों पर अन्य दल दूसरे नंबर पर थे।
यहां दूसरे नंबर पर आना भी कांग्रेस के लिए चुनौती है। वहीं, इंदौर-1 सहित कुछ सीटों पर कांग्रेस नेता बागी होकर लड़े थे, जिससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था।

यहां बसपा दूसरे नंबर पर
श्योपुर, सुमावली, मुरैना, भिंड, महाराजपुर, पन्ना, रामपुर-बघेलान, सेमरिया, देवतालाब, रीवा और कटंगी।
यहां सपा नंबर टू
निवाड़ी और बालाघाट।

यहां अन्य दूसरे नंबर पर
देवसर, मानपुर, गाडरवाड़ा, बड़वाह, इंदौर-1, महिदपुर और जावद।

निर्दलीय यहां पड़े थे भारी
तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी भारी पड़े थे। दो में भाजपा और एक पर कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे।
इनमें सिवनी में दिनेश राय मुनमुन के मुकाबले दूसरे नंबर पर भाजपा के नरेश दिवाकर, सीहोर में सुदेश राय के सामने दूसरे नंबर पर भाजपा की ऊषा सक्सेना और थांदला में कलसिंह के सामने दूसरे नंबर पर कांग्रेस के गेंदालाल डामोर थे।
यहां सुदेश कांग्रेस में थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़े थे। बाद में भाजपा के सपोर्ट से जीते थे।

हर विधानसभा सीट के लिए रणनीति तैयार की गई है। जहां दूसरे दलों का प्रभाव है, वहां भी मजबूत प्रत्याशी उतारेंगे।
– कमलनाथ, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस

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