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भोपाल

प्रदेश की राजनीति में अलग-थलग पड़े दिग्विजय

राहुल के कार्यक्रमों से दिग्विजय नदारद

भोपालOct 30, 2018 / 10:59 am

दीपेश तिवारी

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digvijay singh

भोपाल @अरूण तिवारी की रिपोर्ट….

प्रदेश की राजनीति से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अलग-थलग पड़ते दिखाई दे रहे हैं। सियायत के गलियारों में ये चर्चा तेज है कि क्या कांग्रेस मुखिया राहुल गांधी ने दिग्विजय सिंह को प्रदेश की राजनीति से हाशिए पर डाल दिया है। हाल के दिनों का घटनाक्रम कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है।


राहुल गांधी के मालवा-निमाड़ दौरे में दिग्विजय सिंह गायब हैं जबकि कमलनाथ,सिंधिया,पचौरी समेत कांग्रेस के सभी नेता उनके साथ नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर सफाई देने की कोशिश की है।

दिग्विजय का ट्वीट…
मुझे अध्यक्ष जी ने कुछ आवश्यक कार्य सौंपा हुआ है, जिसके कारण राहुल जी के इंदौर-उज्जैन कार्यक्रम में अनुपस्थित रहूंगा, क्षमा करें। सभी मित्रों से राहुल जी का गर्मजोशी से स्वागत करने की अपील करता हूं। मैं इंदौर में पैदा हुआ, स्कूल व कॉलेज की शिक्षा भी इंदौर में हुई, आज राहुल गांधी जी इंदौर पहुंच रहे हैं, मैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूं।

क्यों नजरअंदाज दिग्विजय….
17 सितंबर को राहुल गांधी भोपाल आए थे, भेल दशहरा मैदान में उनको कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करना था। कार्यक्रम स्थल पर प्रदेश के सभी नेताओं के कटआउट थे लेकिन दिग्विजय सिंह का नहीं था, चर्चा तब से ही शुरू हुई कि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह की अनदेखी की जा रही है।

दिग्विजय ने कहा कि कार्यकर्ताओं से उन्होंने ही कटआउट लगाने से मना किया था, जबकि कमलनाथ ने इस अनदेखी पर माफी मांगी। भोपाल में कटाउट गायब था तो इंदौर में खुद दिग्विजय ही नदारद हो गए।


सवाल ये भी पैदा होता है कि आखिर मध्यप्रदेश चुनाव से जरुरी एेसा कौन सा काम है जो इस वक्त ही दिग्विजय सिंह को सौंपा गया या फिर इस बहाने से उनको राहुल के दौरे से अलग रखा गया है।

छत्तीसगढ़ में 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी हुई जिसमें दिग्विजय सिंह का नाम शामिल नहीं है, जबकि अविभाजित मध्यप्रदेश के वे आठ साल तक मुख्यमंत्री रहे और उनके समय ही छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर नए राज्य का दर्जा दिया गया।

बंटाढार की छवि से बचने की कोशिश…
भाजपा ने दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाढार का नाम देकर 2003 में सत्ता हासिल की। भाजपा तब से अब तक उनको इसी नाम से लोगों के बीच ले जाती रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनसभाओं में दिग्विजय सिंह के लालटेन युग की याद दिलाते रहते है।

भाजपा दिग्विजय काल में प्रदेश की दुर्दशा बताकर लोगों को रणनीतिक रूप से डराती भी रहती है। कांग्रेस के लिए भाजपा का ये रामबाण अचूक और घातक साबित होता आया है। कांग्रेस ने लगातार इस छवि से बचने की कोशिश की है।

माना ये भी जा रहा है कि भाजपा ने राजनीतिक चतुराई से दिग्विजय के आसपास अपने लोगों को फिट किया है ताकि इस रामबाण को और धारदार बनाया जाए। हाल ही में दिग्विजय का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे कुछ अपने ही लोगों के बीच ये कह रहे हैं कि उनके भाषण से कांग्रेस के वोट कटते हैं, इसे भी भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।


दूसरा कारण ये भी गिना जा रहा है कि राहुल गांधी साफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं जबकि दिग्विजय सिंह के बयान हिंदु विरोधी और विवादित माने जाते रहे हैं।

कैलाश ने भी लगाया निशाना….

राहुल के कार्यक्रमों से दिग्विजय सिंह के शामिल न होने पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। कैलाश ने कहा कि दिग्विजय को जानबूझ कर कार्यक्रम से अलग रखा गया है, यही कांग्रेस की तथाकथित एकता है।

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