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MP ELECTION 2018: ‘कमल दिवाली’ के जवाब में ‘बदलाव की बाती’

locationभोपालPublished: Nov 20, 2018 08:39:46 am

Submitted by:

Amit Mishra

भाजपा-कांग्रेस का त्योहारी सियासी रंग…

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MP ELECTION 2018: ‘कमल दिवाली’ के जवाब में ‘बदलाव की बाती’

भोपाल। विधानसभा चुनाव के चलते दिवाली भी राजनीतिक रंग में बदल गई है। भाजपा 21 नवंबर को ‘कमल दिवाली’ मना रही है। इसके जवाब में कांग्रेस ने ‘बदलाव की बाती’ तैयार कर ली है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि इस दिन सभी कांग्रेस कार्यकर्ता अपने घरों में कपास के धागों से बाती बनाकर दीया जलाएंगे।

बदलाव की बाती 11 दिसंबर तक…

कार्यकर्ता आसपास के लोगों के साथ बदलाव की बाती को तैयार करेंगे और हमारी विचारधारा और वचन पत्र की बातों को लोगों तक पहुंचाएंगे, ताकि 11 दिसंबर को पूरे प्रदेश में ये बदलाव की बाती जल सके।

कमलनाथ का एक और वचन….
कमलनाथ ने ट्वीट कर एक और बड़ा वचन दिया है। ये वचन वचनपत्र में छूट गया था, लेकिन राजनीतिक तौर पर बहुत मायने रखता है। ट्वीट में लिखा है कि हम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और आशा कार्यकर्ताओं को नियमित करेंगे। साथ ही मध्यान्ह भोजन का काम करने वाले रसोइयों का मानदेय बढ़ाया जाएगा। हम स्व-सहायता समूह की महिलाओं का कर्ज माफ करेंगे।


कुपोषण मिटाने वाली सेवा का रेकॉर्ड खराब…

उधर नई दिल्ली मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में बच्चों में कुपोषण की समस्या चिंताजनक स्तर पर है। बच्चों को कुपोषण से बचाने शुरू की गई एकीकृत बाल विकास सेवा (आइसीडीएस) का रेकॉर्ड इन राज्यों में बहुत खराब है।

 

आंगनबाड़ी केंद्रों में सुपरवाइजर की निगरानी में सभी काम होते हैं। राजस्थान में पर्याप्त संख्या में सुपरवाइजर ही नहीं है। महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा खाली पद राजस्थान में हैं। यहां 69 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 53 फीसदी, मध्यप्रदेश में 42 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 59 फीसदी पद खाली हैं। गैर सरकारी संगठन एकाउंटबिलिटी इनीशिएटिव ने अपनी ताजा रिपोर्ट में महिला बाल विकास के आंकड़ों के आधार पर ये तथ्य पेश किए हैं।


आंगनबाड़ी जाने के बावजूद कुपोषण….
महिला बाल विकास मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि आइसीडीएस के लाभार्थी बच्चे भी बड़े पैमाने पर कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में 21, राजस्थान में 21 और छत्तीसगढ़ में 22 फीसदी लाभार्थी बच्चे भी कुपोषित हैं।

40 पीओ के पद खाली….
राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट अधिकारी के 50 फीसदी पद खाली हैं। पश्चिम बंगाल में 63 फीसदी पद खाली हैं। राजस्थान में 39, मध्यप्रदेश में 17 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 18 फीसदी पद खाली पड़े हैं।


बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब और सिक्किम में बहुत बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन ही नहीं हो पाया है। बिहार में सबसे ज्यादा 13 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्रों में कामकाज ही शुरू नहीं हो पाया है। छत्तीसगढ़ में पांच फीसदी से ज्यादा केंद्र मंजूरी के बाद भी शुरू नहीं हो पाए हैं।

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