समय हमसे पूछ रहा है कि युवा लोकतंत्र को कैसे ऊंचाई पर ले जाएंगे। हम भले ही चुनाव में वोट न दें लेकिन हमें वोटर्स को जागरूक करना होगा कि वे कैंडिडेट से पूछे कि राज्य के विकास में उनकी भूमिका क्या होगा। डीपीएस, नीलबड़ में शुक्रवार को पत्रिका की ओर से ‘मेरा वोट मेरा अधिकार’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में स्टूडेंट्स ने यह बात कही।
इस अवसर पर पत्रिका भोपाल के स्थानीय संपादक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि चुनाव हमारे लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव है। 28 नवंबर को वोटिंग करके हम सबको इसे सेलिब्रेट करना है। हमारे वोट की कीमत हमें समझना होगी। आपको अपने घर पर शहर के विकास के मुद्दे डिस्कस करना होंगे।
इस दौरान सोशल मीडिया के उपयोग को भी समझना होगा कि इलेक्शन को लेकर जो जानकारी साझा कि जा रही है वो कितनी सच है। इसे फिल्टर कर ही शेयर करना चाहिए। जैसे स्टूडेंट्स गेम्स को लेकर चैलेंजेस लेते हैं वैसे ही वोट चैलेंज भी चलाना चाहिए।
अपने बड़ों को प्रेरित करें कि वे ज्यादा से ज्यादा वोटिंग करें। इस मौके पर डीपीएस, नीलबड़ में विनिता मलिक, वाइस प्रिंसिपल योगेश पटगांवकर और डायरेक्टर (ऑपरेशन) फैजल मीर के साथ पत्रिका के यूनिट मार्केटिंग हेड आयुष चक्रधर भी मौजूद थे। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पाने वाली निमिषा पाठक और शंशाक तिवारी को पुरस्कृत भी किया गया।
वक्त की मांग है वोटर्स में बदलाव
हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। हमें हमारे कैंडिडेट्स से पूछना है कि आजादी के इतने लंबे अर्से बाद भी हम विकासशील देशों की लिस्ट में क्यों शामिल है। क्यों विकसीत देश नहीं बन पाए। हमें बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी के मुद्दों पर हमारे होने वाले प्रतिनिधियों से सवाल करना होंगे। इंटएक्चुअल वोटर्स को आगे आना होगा।
यदि राजनीति में गंदगी है तो इसकी सफाई की जिम्मेदारी भी हमारी है। हम बड़े होकर आइएएस, आइपीएस, डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना तो देखते हैं, लेकिन पार्षद से लेकर सीएम बनने का सपना कोई नहीं देखता। हमें नेता बनने का सपना भी देखना होगा। अब गांवों को शहर नहीं बल्कि स्मार्ट विलेज बनाने की जरूरत है। जहां हर ग्रामीण के लिए रोजगार की सुविधा हो।
– निमिषा पाठक, स्टूडेंट
मेरा वोट मेरा अधिकार और हथियार दोनों है। हम नेता-सरकार की बुराइयां तो गिनाते हैं लेकिन कमियां गिनाने वाले पढ़े-लिखे लोग ही वोट करने नहीं जाते। जब हम वोट ही नहीं देंगे सही कैंडिडेट कैसे चुन पाएंगे। हम सही कैंडिडेट चुनकर ही बदलाव ला सकेंगे। सौ प्रतिशत मतदान होना चाहिए। युवाओं को राजनीति में आना चाहिए और वोटर्स को सही सोच को आगे बढ़ाते हुए चुनाव करना होगा।
चरित्र देव तिवारी, स्टूडेंट
हमारा लोकतंत्र ही हमारी सबसे बड़ी ताक है। हमें धर्म और जाति के मुद्दों के बजाए विकास के मुद्दे पर वोट करना होगा। हम जनप्रतिनिधियों का मजाक तो उड़ाते हैं, लेकिन सही कैंडिडेट को चुनना नहीं चाहते। हमें सोचना होगा कि हमें अपनी जाति का नहीं, बल्कि विकास की सोच रखने वाला जनप्रतिनिधि चाहिए। लोकतंत्र में वोटिंग का दिन ही तय करता है कि आगे पांच सालों में हमारा भविष्य कैसा होगा।
पलक चौकसे, स्टूडेंट
हम जो उम्मीद हमारे नेताओं से रखते हैं वैसा ही आचरण हमें अपने आप में भी डेवलप करना होगा। हमसे से ही कोई भविष्य का नेता होगा। जब हम खुद में बदलाव लाएंगे तो राजनीति में बदलाव अपने आप आने लगेगा। जनप्रतिनिध का चुनाव करने से पहले ये सोचना होगा कि आखिर उसकी ऐसी क्या खूबी है जिसे देखकर हम अपना कीमती वोट उसे दे रहे हैं।
अदिति वर्मा, स्टूडेंट
चुनाव के समय हम समाज को देखकर ही अपना फायदा देखकर वोट करते हैं। हमें व्यक्तिगत फायदों की बजाए प्रदेश-देश के विकास की सोच रखकर ऐसा नेता चुनना होगा जो हमारे देश को विकसित राष्ट्र बना सके। हमें चेहरा देखकर ही सोच पर होना चाहिए। भले ही नोटा का ऑप्शन सिलेक्ट करें पर वोट सभी को देना चाहिए।
शंशाक तिवारी, स्टूडेंट
मेरा वोट मेरा अधिकारी ही नहीं कतव्र्य है। एक-एक वोट से हमारा देश महान बनेगा। जनप्रतिनिधि पर आरोप-प्रत्यारोप करने से पहले हमें सोचना होगा कि क्या हमने वोट डालते समय उसकी नेतृत्व क्षमता का सटीक आंकलन किया था। हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, समृद्धि और रोजगार जैसे मुद्दों पर बात करनी होगी।
जीशा जैन, स्टूडेंट
पार्टी को देखकर वोट नहीं देना चाहिए, क्योंकि हमारा जनप्रतिनिधि ही ये तय करेगा कि हमारे क्षेत्र में अगले पांच सालों तक कैसे विकास होगा। गांवों के विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। स्मार्ट गांव ही हमें विकसित राष्ट्र बनाने में मददगार साबित होगा।
हर्षि कौर, स्टूडेंट
लोकतंत्र ही हमें आजादी से जीना सिखाा है। प्रत्येक वोट की कीमत है। हर वोटर की इस कीमत को समझना होगा। वोट डालने के साथ ही हमें पांच सालों तक जनप्रतिनिधि से ये सवाल लगातार पूछना चाहिए कि उसने अपने वादे पूरे किए या नहीं। उसने क्षेत्र के विकास के लिए क्या किया।
आर्यन कातरकर, स्टूडेंट
हम पार्टी के लिए कैंडिडेट के लिए वोट करते हैं। यदि हम ऐसा नहीं करते तो हमें सवाल पूछने का भी हक नहीं होता। यदि हम सही जनप्रतिनिधि को वोट नहीं दे रहे तो ये उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि राजनीति में बदलाव आएगा। हमें अपने वोट का मूल्य समझना होगा।
तनिशा मलिक, स्टूडेंट