इस मौके पर संगीतमय भजन और अनेक प्रसंगों की प्रस्तुति हुई। महारासलीला में आचार्य श्रीनाथ ने बताया गया कि होली प्रसंग के अंतर्गत नंदगाव के ग्वाला बरसाना होली खेलने के लिए जाते हैं। वहां यह सब देखकर राधा रानी की सखियां कहती है कि राधाजी होली खेलने चलो, पर राधाजी मना कर देती है, क्योंकि उन्हें कृष्ण से एक शिकायत है कि कान्हा ने पिछले बरस जो रंग गुलाल लगाया था वह अभी तक नहीं छुटा है। अन्तत सखियों के मनुहार पर राधा होली खेलने तैयार हो जाती है। किन्तु ग्बाल-बाल और सखियों ने देखा कि वहां जितने हैं वे सब राधा और कृष्ण ही है। आचार्य श्रीनाथ ने कहा कि जीव और ब्रह्य का मिलन ही होली है, जिस पर राधा रानी की कृपा से श्याम रंग चढ़ जाता है उस पर कोई फिर दूसरा रंग नहीं चढ़ता। महारासलीला के प्रारंभ में राधा कृष्ण जी की आरती की गयी ।
वरिष्ठ समाजसेवियों का सम्मान
इस मौके पर सम्मान समारोह का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर एनएल खंडेलवाल, कैलाश नारायण सारंग, कैलाशचंद्र पंत को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मंत्री पीसी शर्मा, रघुनंदन शर्मा, रमाकांत दुबे, मनमोहन अग्रवाल, राजेश वर्मा सोनी, अजय श्रीवास्तव नीलू सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।