पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक भगवान शिव सदा ही अपने भक्तों का कल्याण करने वाले व आसानी से प्रसन्न होने वाले माने जाते हैं। इसी के चलते इन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के विभिन्न शिवमंदिरों में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारी का दौर चल रहा है।गुफा मंदिर, बड़ वाले महादेव,भोज मंदिर, गोविंदपुरा पशुपतिनाथ मंदिरों सहित विभिन्न मंदिरों में भी शिवरात्रि को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है।
भोजपुर: शहर से करीब 17 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर का मंदिर जो पूर्व के सोमनाथ नाम से भी प्रसिद्ध है, यहां शिवरात्रि के दिन मेला लगता है, जिसकी तैयारियों पर लगातार प्रशासन भी निगाह बनाया हुआ है।
MUST READ : शिवरात्रि 2018 विशेष- ये है पूर्व का सोमनाथ, बस एक शर्त के चलते आज तक अधूरा है ये शिव मंदिर भोज मंदिर भोपाल… भोजपुर (Bhojpur), मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल से 32 किलो मीटर दूर स्तिथ है। भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल, अधूरा शिव मंदिर हैं। यह भोजपुर शिव मंदिर (Bhojpur Shiv Temple) या भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) के नाम से प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई – 1055 ई ) द्वारा किया गया था। इस मंदिर कि अपनी कई विशेषताएं हैं।
1- इस मंदिर कि पहली विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विश्व का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग (World’s Tallest Shiv Linga) हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), तथा केवल शिवलिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) है।
1- इस मंदिर कि पहली विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विश्व का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग (World’s Tallest Shiv Linga) हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), तथा केवल शिवलिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) है।
2- भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) के पीछे के भाग में बना ढलान है, जिसका उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था। पूरे विश्व में कहीं भी अवयवों को संरचना के ऊपर तक पहुंचाने के लिए ऐसी प्राचीन भव्य निर्माण तकनीक उपलब्ध नहीं है। ये एक प्रमाण के तौर पर है, जिससे ये रहस्य खुल गया कि आखिर कैसे 70 टन भार वाले विशाल पत्थरों का मंदिर क शीर्ष तक पहुचाया गया।
3- भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) कि तीसरी विशेषता इसका अधूरा निर्माण हैं। इसका निर्माण अधूरा क्यों रखा गया इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में निर्मित होना था परन्तु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई, इसलिए काम अधूरा रह गया।
4- भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) कि गुम्बदाकार छत हैं। चुकी इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था अतः इस मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।
5- इस मंदिर की पांचवी विशेषता इसके 40 फीट ऊचाई वाले इसके चार स्तम्भ हैं। गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी है। 6- इस मंदिर की छठवीं विशेषता ये है कि इसके अतिरिक्त भूविन्यास, सतम्भ, शिखर , कलश और चट्टानों की सतह पर आशुलेख की तरह उत्कीर्ण नहीं किए हुए हैं। भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) के विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर- योजना से संबद्ध नक्शों से पता चलता है।
Cave of Parvati (पार्वती कि गुफा )
भोजपुर शिव मंदिर(Bhojpur Shiv Temple) के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एक गुफा हैं यह पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती हैं। इस गुफा में पुरातात्विक महत्तव कि अनेक मूर्तिया हैं।
भोजपुर शिव मंदिर(Bhojpur Shiv Temple) के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एक गुफा हैं यह पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती हैं। इस गुफा में पुरातात्विक महत्तव कि अनेक मूर्तिया हैं।
गुफा मंदिर भोपाल…
गुफा मंदिर और आश्रम परिसर 7 प्राकृतिक गुफाओं से गिरा हुआ है। परिसर में भव्य शिवलिंग की स्थापना की गई है। एक गुफा में स्वयंभू शिव की पिंडी है जबकि बाकी गुफाओं में संस्कृत के विद्यार्थी रह रहे हैं।
गुफा मंदिर और आश्रम परिसर 7 प्राकृतिक गुफाओं से गिरा हुआ है। परिसर में भव्य शिवलिंग की स्थापना की गई है। एक गुफा में स्वयंभू शिव की पिंडी है जबकि बाकी गुफाओं में संस्कृत के विद्यार्थी रह रहे हैं।
गुफाओं से निर्मित छत लगभग 25 फुट लंबी और चौड़ी है। हालांकि यहां भगवान शिव की पिंडी स्थपना को कोई लिखित प्रमाण नहीं है लेकिन फिर भी मंदिर के प्रति वर्षों से लोगों के मन मे ंश्रृद्धा का भाव है। मंदिर के पुजारी दिन-रात भगवान शिव की आराधना करते हैं। हर पहर में महामृत्युंजय जप होता है। मंदिर में प्रात: 6.30 बजे से स्वयंभू शिव एवं पंचायतन की आरती आरम्भ हो जाती है।
राम जानकी के होते हैं दर्शन
मंदिर परिसर में गुफा के ठीक नीचे श्री राम जानकी लक्ष्मण सहित श्री राधाकृष्णा आदि देवी देवताओं की खूबसूरत झांकियां स्थापित हैं। प्रांगड़ में बूढ़े हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना है। इनकी मंगल आरती प्रात: 5.30 बजे आरम्भ हो जाती है।
राम जानकी के होते हैं दर्शन
मंदिर परिसर में गुफा के ठीक नीचे श्री राम जानकी लक्ष्मण सहित श्री राधाकृष्णा आदि देवी देवताओं की खूबसूरत झांकियां स्थापित हैं। प्रांगड़ में बूढ़े हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना है। इनकी मंगल आरती प्रात: 5.30 बजे आरम्भ हो जाती है।
गुफा मंदिर की सीढिय़ों के पास वृहदाकार में बड़े हनुमान जी भी प्रतिष्ठित हैं। जिन्हें पतित पावन दक्षिणमुखी हनुमानजी भी कहते है। इसके अलावा दुर्गा मंदिर तीनों देवियों के दिव्य दर्शंन होते हैं। नवरात्र और सावन के दौरान मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मेले के दौरान विभिन्न धामिज़्क अनुष्ठानों के साथ भंडारों का दौर जारी रहता है।
इस बुधवार यानि 14 फरवरी को महाशिवरात्रि भी आ रही है, ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि यदि इन उपायों को पूरी श्रृद्धा से किया जाए तो सारी परेशानियां दूर हो सकतीं हैं। इस साल महाशिवरात्रि 13 फरवरी मंगलवार को रात 10:22 बजे के बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी, जो अगले दिन 14 फरवरी की रात 12:17 बजे तक रहेगी।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के प्रमुख टोटके…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के कई उपाय हैं…
– पारे से बने छोटे शिवलिंग की पूजा करें क्यूंकि पारद शिवलिंग बहुत चमत्कारी होता हैं। ऐसा करने से आपको बहुत जल्दी सफलता मिलती है।
वहीं पके हुए चावलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें और फिर पूजा करें। ऐसा करने से मंगलदोष शांत होता हैं.
– शिवलिंग पर चमेली के फूल और शिव मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करने से मन चाही गाड़ी की प्राप्ति होती हैं। एक बात का ध्यान रखें की जल चढ़ाते समय हथेलियों से शिवलिंग को रगड़े माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी किस्मत बदल सकती हैं।
– केसर में मिला हुआ जल शिवलिंग पर चढ़ाए, ऐसा करने से विवाह और वैवाहिक जीवन से जुड़ीं सभी समस्याएं दूर होती हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के कई उपाय हैं…
– पारे से बने छोटे शिवलिंग की पूजा करें क्यूंकि पारद शिवलिंग बहुत चमत्कारी होता हैं। ऐसा करने से आपको बहुत जल्दी सफलता मिलती है।
वहीं पके हुए चावलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें और फिर पूजा करें। ऐसा करने से मंगलदोष शांत होता हैं.
– शिवलिंग पर चमेली के फूल और शिव मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करने से मन चाही गाड़ी की प्राप्ति होती हैं। एक बात का ध्यान रखें की जल चढ़ाते समय हथेलियों से शिवलिंग को रगड़े माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी किस्मत बदल सकती हैं।
– केसर में मिला हुआ जल शिवलिंग पर चढ़ाए, ऐसा करने से विवाह और वैवाहिक जीवन से जुड़ीं सभी समस्याएं दूर होती हैं।
– अपने शनि दोष और रोग करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय उसमें काले तिल, डेली पानी में दूध, काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से बीमारियों से छुटकारा मिलता हैं। – शिवलिंग पर रोज दूर्वा चढ़ाने से लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है, ऐसा करने से गणेशजी भी प्रसन्न होते है और घर में सुख- समृद्धि भी बढ़ती हैं।
– कभी-कभी शिवजी के निमित्त सवा किलो या 11 किलो चावल या गेहूं का दान करें, हमेशा शिवलिंग पर रोज चावल चढ़ाने से लक्ष्मी की स्थाई कृपा मिलती है।
– कभी-कभी शिवजी के निमित्त सवा किलो या 11 किलो चावल या गेहूं का दान करें, हमेशा शिवलिंग पर रोज चावल चढ़ाने से लक्ष्मी की स्थाई कृपा मिलती है।
इस महाशिवरात्रि के अगले दिन यानि गुरुवार को अपनाएं ये उपाय, बन जाएंगे करोड़पति!… इस उपाय को करने के लिए एक कटोरी में पानी लेना है और उसे घर के मंदिर में रखना है। इसके बाद आपको इस पानी कि कटोरी को अपने हाथ में लेकर अपनी सारी परेशानियों को बोलना है और उस कटोरी में तीन बार फूंक मारनी है।
इसके बाद आप इस पानी को उबाल लें और अब इस पानी में एक छोटी और एक बड़ी इलायची डालनी है। अब इस पानी को अपने नहाने के पानी में मिला लें। ध्यान रहे इस उपाय को आप गुरूवार को ही करें और स्नान सुबह ही करें। माना जाता है कि इस उपाय से आपको फल जरुर मिलेगा।
इन 3 राशियों के लिए ये शिवरात्रि है खास…
– मेष राशि : लोग आपको आशाएँ और सपने देंगे, लेकिन असल में सारा दारोमदार आपके प्रयासों पर रहेगा। इच्छाशक्ति की कमी आपको भावनात्मक और मानसिक परेशानियों में फंसा सकती है। आप अपने मित्रों को प्रियतम से मिलवा सकते हैं।
– कन्या राशि : आपको कार्य क्षेत्र में मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप होना चाहिए और बेहतर परिणामों के लिए सही योजना बनानी चाहिए। बेचैनी की कसमसाहट आपको परेशान कर सकती है। पुरानी बातों में उलझे रहने के स्थान पर बदलाव के लिए जो कुछ जरूरी है उसपर फोकस करें ǀ
– कुम्भ राशि : आप विशेष रूप से अपनी प्रतिबद्धताओं और मानकों से अवगत रहेंगे। आज आपकी सेहत अच्छी रहेगी, जिसके चलते आप सफलता की ओर तेज़ी-से बढ़ेंगे। आप उन योजनाओं में निवेश करने से पहले दो बार सोचें जो आज आपके सामने आयी हैं।
– मेष राशि : लोग आपको आशाएँ और सपने देंगे, लेकिन असल में सारा दारोमदार आपके प्रयासों पर रहेगा। इच्छाशक्ति की कमी आपको भावनात्मक और मानसिक परेशानियों में फंसा सकती है। आप अपने मित्रों को प्रियतम से मिलवा सकते हैं।
– कन्या राशि : आपको कार्य क्षेत्र में मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप होना चाहिए और बेहतर परिणामों के लिए सही योजना बनानी चाहिए। बेचैनी की कसमसाहट आपको परेशान कर सकती है। पुरानी बातों में उलझे रहने के स्थान पर बदलाव के लिए जो कुछ जरूरी है उसपर फोकस करें ǀ
– कुम्भ राशि : आप विशेष रूप से अपनी प्रतिबद्धताओं और मानकों से अवगत रहेंगे। आज आपकी सेहत अच्छी रहेगी, जिसके चलते आप सफलता की ओर तेज़ी-से बढ़ेंगे। आप उन योजनाओं में निवेश करने से पहले दो बार सोचें जो आज आपके सामने आयी हैं।
घर में ऐसे करें भगवान शिव का पूजन… महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त विविध उपाय करते हैं। लेकिन हर उपाय हर किसी के लिए सरल नहीं होते।
पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक घर पर ही महाशिवरात्रि पूजन की अत्यंत आसान विधि है जिसको अपनाने से आपकी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी। यह पूजन विधि जितनी आसान है उतनी ही फलदायी भी। भगवान शिव अत्यंत सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं अत: उन्हें सरलतम तरीकों से ही प्रसन्न किया जा सकता है।
वैदिक शिव पूजन – भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें।
अब स्वस्ति-पाठ करें।
अब स्वस्ति-पाठ करें।
स्वस्ति-पाठ –
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु। – इसके बाद पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश एवं गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करना चाहिए।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु। – इसके बाद पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश एवं गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करना चाहिए।
यदि आप रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं, तब नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करना चाहिए। संकल्प करते हुए भगवान गणेश व माता पार्वती का पूजन करें फिर नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन नहीं करें) एवं सर्प का संक्षिप्त पूजन करना चाहिए।
– इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें। भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं। – इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं। फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं।
अब भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। वस्त्र के बाद जनेऊ चढाएं। फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं। अब भगवान शिव को विविध प्रकार के फल चढ़ाएं। इसके पश्चात धूप-दीप जलाएं। हाथ धोकर भोलेनाथ को नैवेद्य लगाएं।
नैवेद्य के बाद फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ाकर आरती करें। (जय शिव ओंकारा… वाली शिव-आरती करें) – इसके बाद क्षमा-याचना करें। क्षमा मंत्र : आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:।
इन बातों का रखें ध्यान…
ज्योतिष विजय शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि में शिव की रात्रि पूजा का विशेष विधान है। इसलिए रात्रि के चारों प्रहर में शिव की विधि-विधान से पूजा करें। हर प्रहर का पूजा विधान अलग है और कोशिश करें कि प्रत्येक प्रहर में स्नान करने के बाद ही शिवपूजा में संलग्न हो।
ज्योतिष विजय शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि में शिव की रात्रि पूजा का विशेष विधान है। इसलिए रात्रि के चारों प्रहर में शिव की विधि-विधान से पूजा करें। हर प्रहर का पूजा विधान अलग है और कोशिश करें कि प्रत्येक प्रहर में स्नान करने के बाद ही शिवपूजा में संलग्न हो।
महाशिवरात्रि की सबसे मुख्य उपासना उपवास मानी जाती है। इसके लिए संध्याकाल से ही व्रत का संकल्प कर लें और उसके बाद खाने-पीने में विशेष सावधानी बरतें। यानी हल्की और कम मात्रा में सात्विक आहार ग्रहण करें जैसे दूध, फल आदि। रात्रि के समय शिवसाधना में गुजारें। इसके लिए मंदिर या घर कहीं पर भी शिवसाधना कर सकते हैं।
व्रत में कुछ सावधानियां भी बरती जानी जरूरी है। व्रत के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, बुरी आदतों जैसे बुराई करना और अपशब्दों के इस्तेमाल से परहेज करें। महाशिवरात्रि के व्रत का फायदा तभी मिलेगा जब आप महाशिवरात्रि के दिन और रात दोनों समय सात्विक रहें अपने मन से आहार से विचार से और शिव साधना में रत होकर अपनी दिनचर्या को व्यतीत करे।
अवगुणों का त्याग करे, सदगुणों का संकल्प लें और जगत कल्याण की भावना के साथ दूसरे दिन व्रत का पारायण करें।