इसी सब के बीच प्रदेश की दो मुख्य पार्टियों कांग्रेस व भाजपा में लगातार एक दूसरे पर वार करने की होड़ भी लगी हुई है। लेकिन चुनाव से कुछ समय पहले ही दोनों दलों के सामने ऐसी चुनौती आकर खड़ी हो गई है, कि अब वे बाकी तैयारियों से ज्यादा इस चुनौती से निपटने की तैयारी में जुटते दिख रहे हैं।
जानकारी के अनुसार सत्ता के सिंहासन की खातिर मध्यप्रदेश में दलित आदिवासी वोट बैंक को लुभाने की कवायद तेज़ हो गई है। वहीं बीजेपी और कांग्रेस की जीत की योजनाओं को फेल करने जयस और सपाक्स जैसे संगठन अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं।
ऐसे में रैलियों से लेकर चुनावी गीत तक जारी किए जा रहे हैं। इन सब स्थितियों के बीच ये सवाल खड़ा होना शुरू हो गया है कि आखिर इस वोट बैंक को लुभाने में कौन कामयाब होगा।
MUST READ: जयस उतारेगा 47 सीटों पर उम्मीदवार, भाजपा और कांग्रेस नेताओं की उड़ी नींद
भाजपा की तैयारी…
चुनाव पूर्व के इस माहौल के बीच कहीं रैलियां तो कहीं बैठकों पर बैठकों का दौर जारी है। वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि दलित आदिवासी वोट बैंक साधने की चिंता बीजेपी को इस कदर सता रही है कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के दलित आदिवासी नेताओं ने मध्य प्रदेश में डेरा डाल लिया है।
भाजपा की तैयारी…
चुनाव पूर्व के इस माहौल के बीच कहीं रैलियां तो कहीं बैठकों पर बैठकों का दौर जारी है। वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि दलित आदिवासी वोट बैंक साधने की चिंता बीजेपी को इस कदर सता रही है कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के दलित आदिवासी नेताओं ने मध्य प्रदेश में डेरा डाल लिया है।
इसी के चलते पिछले दिनों बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा अध्यक्ष राम विचार नेताम भोपाल आए थे और उन्होंने आदिवासी नेताओं के साथ अहम बैठक की थी। बताया जाता है कि उस बैठक में जयस से लेकर उन सीटों तक के बारे में विशेष रूप से चर्चा की गई जहां बीते चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।
बीजेपी की चिंता की वजह ये भी है कि मध्य प्रदेश में जय आदिवासी शक्ति संगठन यानि जयस आदिवासियों के बीच अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहा है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण के जरिए दलित वोटबैंक को खुश करने की कोशिश तो की, लेकिन सामान्य पिछड़ा वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ यानि सपाक्स ने आरक्षण के खिलाफ मोर्चा खोल कर मुश्किल बढ़ा दी हैं।
कांग्रेस की तैयारी…
बताया जाता है कि जयस और सपाक्स दोनों संगठनों ने अपनी ताकत को मजबूत करने के लिए नए-नए तरीके अपना लिए हैं। इसमें सपाक्स ने तो बाकायदा चुनाव गीत तक तैयार कर लिया है।
बताया जाता है कि जयस और सपाक्स दोनों संगठनों ने अपनी ताकत को मजबूत करने के लिए नए-नए तरीके अपना लिए हैं। इसमें सपाक्स ने तो बाकायदा चुनाव गीत तक तैयार कर लिया है।
MUST READ: ‘सपाक्स समाज’ बिगाड़ सकता है पार्टियों के सियासी समीकरण… देखें पूरा मामला!
वहीं यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने मौके की नज़ाकत को देखते हुए अपने सियासी पियादे फिट करने की कवायद शुरू कर दी है।
ऐसे समझें MP की स्थिति…
दरअसल मध्य प्रदेश में एससी करीब 18% और एसटी करीब 20% हैं। प्रदेश में एससी के लिए 35 सीटें रिजर्व हैं। इनमें से 2 कांग्रेस, 3 बीएसपी और 30 बीजेपी के पास हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश में एससी करीब 18% और एसटी करीब 20% हैं। प्रदेश में एससी के लिए 35 सीटें रिजर्व हैं। इनमें से 2 कांग्रेस, 3 बीएसपी और 30 बीजेपी के पास हैं।
वहीं 47 सीटें एसटी के लिए रिज़र्व हैं। इनमें से 32 बीजेपी और 15 कांग्रेस के पास हैं। जबकि 19 जिले एसटी बाहुल्य हैं, लिहाजा ये समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि आखिर इन पर सबकी निगाहें क्यों हैं?
MUST READ: इस बार बन सकती है त्रिशंकु सरकार, भाजपा-कांग्रेस खेमे में मची खलबली
दरअसल पहले भी ये खबर सामने आई थी कि इस वर्ष होने वाले चुनावों में सपाक्स व जयस भी विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बना चुकेे हैं।
ऐसे में इन दोनों की तैयारियों ने भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं की नींद उड़ा दी है। बताया जाता है कि चिंता में वो नेता ज्यादा हैं जो आदिवासी सीटों पर लंबे समय से काबिज हैं या सपाक्स के भरोसे लंबे समय से चुनाव जीतते आ रहे हैं। इन दोनों यानि सपाक्स व जयस के खुलकर चुनावों में आने से इन नेताओं को अब अपनी हार का डर सताने लगा है। वहीं ये बात भी सामने आ रही है कि कुछ भाजपा और कांग्रेस के नेता अब इन संगठनों को मनाने में जुट गए हैं।