भोपाल

भारत में सबसे ज्यादा फैल रही है ये बीमारी, प्रेग्नेंट महिलाओं को बनाती है शिकार

सबसे खतरनाक बात ये है कि इस बीमारी का प्रकोप बाकी देशों में अपेक्षाकृत कम है, जबकि भारत में ये तेजी से बढ़ रही है।

भोपालJan 01, 2018 / 01:29 pm

rishi upadhyay

 

भोपाल। भोपाल की रहने वाली रीना सहाय पिछले कुछ दिनों से स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश कर रही हैं। दो साल पहले ही रीना की शादी हुई थी और वे प्रेग्नेंट हैं। रीना कॉलेज टाइस से ही स्मोकर थीं और इस आदत के बारे में हाल ही में उन्होंने अपनी डॉक्टर को बताया था। डॉक्टर ने रीना को फौरन स्मोकिंग छोड़ने और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया। रीना सही समय पर संभल गईं और उन्होंने अपनी इस आदत को छोड़ दिया।

 

भोपाल की गाइनोकॉलजिस्ट श्रद्धा अग्रवाल बताती हैं कि इस तरह के केस अब बढ़ रहे हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में पुरुष ही नहीं महिलाएं भी तनाव दूर करने के लिए स्मोकिंग का सहारा लेती हैं। ये बात तो जाहिर है कि स्मोकिंग से शरीर को सीधा नुकसान ही पहुंचता है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए ये नुकसान काफी बड़ा साबित हो सकता है। इससे वे सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं और परोक्ष रूप से इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। रीना ने तो स्मोकिंग छोड़ दी, लेकिन कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो इस समस्या में फंस जाती हैं और स्मोकिंग नहीं छोड़ पाती लिहाजा इसका प्रभाव होने वाले बच्चे पर पड़ता है।

क्यों खतरनाक है स्मोकिंग इन प्रेग्नेंसी
स्मोकिंग इन प्रेग्नेंसी यानि गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग से महिलाओं को न सिर्फ प्रसव के समय दिक्कतें आती हैं बल्कि उनके होने वाले बच्चे में भी विकृतियां उत्पन्न हो सकती हैं यानी धूम्रपान अजन्मे बच्चे को प्रभावित करता है। ये विकार शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का होता है। शारीरिक रूप से आने वाले विकारों में आंशिक विकलांगता, मोटापा, विकृति इत्यादि शामिल हैं।
 

वहीं मानसिक रूप से आने वाली विकृतियों में बच्चे के मन में विषाद या डिप्रेशन होना शामिल हैं। जन्म से ही होना वाला डिप्रेशन बच्चे के लिए बेहद खतरनाक है और उसके विकास को पूरी तरह से रोक सकता है। इस तरह के बच्चे शारीरिक रूप से भले ही बढ़ जाते हैं, पर मानसिक विकास में वे सामान्य बच्चों से पीछे रहते हैं। इतना ही नहीं इस डिप्रेशन के दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। बच्चों में इस तरह के डिप्रेशन से भविष्य में आपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ने की आशंका रहती है। दुनियाभर में हुई कई रिसर्च इस बारे में प्रमाण भी जारी कर चुकी हैं।

नवजात को हो सकता क्लब फुट
हाल ही में इंदौर में आयोजित आर्थोपेडिक सर्जन्स की कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के सेंट स्टीफन हॉस्पिटल के चीफ डॉ. मैथ्यू वरचेज ने बताया कि उन्होंने एक रिसर्च की है, जो कि क्लब फुट पर आधारित है। क्लब फुट आम आदमी की जानकारी से परे है। इसमें शिशु के पैर में जन्म से विकृति आ जाती है। इस बीमारी का मुख्य कारण स्मोकिंग है। अगर गर्भवती महिला शुरुआती तीन माह के दौरान धूम्रपान करती है तो शिशु को क्लब फुट हो सकता है। स्मोकिंग से बच्चे की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है। विभिन्न देशों में इस बीमारी को अलग-अलग नाम से जानते हैं। सबसे खतरनाक बात ये है कि इस बीमारी का प्रकोप बाकी देशों में अपेक्षाकृत कम है, जबकि भारत में ये तेजी से बढ़ रही है। भारत में प्रति हजार बच्चों में से एक इसकी चपेट में आ रहा है।

 

सिगरेट से डिप्रेशन, लेकिन कारण अभी भी अज्ञात
अभी तक हुए शोध से ये तो पता चल चुका है कि गर्भावस्था में सिगरेट पीने से बच्चे के मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है, लेकिन इसका असली कारण क्या इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है। डॉक्टर्स का कहना है कि कारण के बारे में जानकारी नहीं होने से ही गर्भावस्था में सिगरेट पीने से मना किया जाता है। इतना ही नहीं धूम्रपान वाले माहौल से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर्स मानते हैं कि शायद सिगरेट में मौजूद निकोटीन शिशु के दिमाग के लिए हानिकारक होता है। इसी वजह से सिगरेट पीने के कारण मां के शरीर में उतना ऑक्सीजन नहीं जा पाता जितना जाना चाहिए और कम ऑक्सीजन के कारण बच्चे का दिमाग सही तरह से विकसित नहीं हो पाता।

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