पंडितों के अनुसार मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी की मध्यरात्रि में आएगी। इसलिए इसका विशेष पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय से रहेगा। शहर के गुफा मंदिर, बाके बिहारी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। मकर संक्रांति पर सूर्य की उपासना के साथ तीर्थ स्थलों पर दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान और तिल से बने व्यंजनों का भी विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मकर संक्रांति का आगमन माना जाता है। मकर संक्रांति पर तिल दान का भी विशेष महत्व है।
युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
पं. विष्णु राजौरिया ने बताया कि संक्रांति के स्वरूप के कारण इस बार संक्रांति शुभ फलदायी होगी। संक्रांति की युवा अवस्था होने के कारण यह संक्रांति युवाओं के लिए खास होगी। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। युवावस्था और पश्चिम में गमन होने के कारण राजनीतिक अस्थिरता क वातावरण रहेगा, लेकिन विकास की गति आगे बढ़ेगी। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। निर्माण के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
कई क्षेत्रों में आएंगे सकारात्मक बदलाव
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, शोभन योग, कुंभ लग्न में अर्की होगी। ग्रह नक्षत्रों के योग और स्वरूप के लिहाज से मकर संक्रांति उत्तम फलदायी रहेगी। कई क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव आएंगे।
संक्रांति का स्वरूप
वाहन -खर
उपवाहन- मेष
वरनाम- महोदरी
हाथ में कांस्य पात्र
मिट्टी का लेपन
पकवान का भक्षण
केतकी का पुष्प
मूंगा धारण किए
युवा अवस्था
पश्चिम दिशा में गमन