मकर संक्रांति तक चलता है पर्व
मलयाली समाज शिवाजी नगर मंदिर समिति के एसके एम नायर ने बताया कि 17 नवम्बर से शुरू होकर यह उत्सव मकर संक्रांति तक चलता है। इस दौरान लोग सात्विक रहकर पूजा अर्चना करते हैं, दोनों समय स्नान, अयप्पा स्वामी की पूजा की जाती है। कई लोग उपवास भी रखते हैं, कई श्रद्धालु सात दिन, कई 12 दिन तो कई 41 दिन का उपवास रखते हंै और केरल के प्रसिद्ध तीर्थ सबरीमाला के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
भेल मंदिर में पहली बार जलाया आल विल्लकु
पिपलानी भेल स्थित अयप्पा मंदिर में मकरविल्लकु उत्सव के पहले दिन सुबह विभिन्न दृव्यों से भगवान अयप्पा का अभिषेक किया गया। इस मौके पर भगवान को गुड़ चावल की विशेष खीर और चावल के पाउडर और गुड़ से बने पकवान का भोग लगाया गया। शाम को मंदिर को दीपों से सजाया गया। इसमें आल विल्लकु अर्थात पेड़ जैसा दीपक पहली बार प्रज्जवलित किया गया। आरती के बाद भगवान की ज्योति मंदिर प्रांगण से निकाली गई और विशेष रंगोली से मंदिर को सजाया गया। मंदिर के सचिव एम विनोद कुमार ने बताया कि इस मौके पर वेबसाइड का लोकार्पण भी किया गया। इसमें ऑनलाइन पूजा के लिए बुङ्क्षकग कर सकते हैं।
नारायण मिशन गोविंदपुरा में भी आयोजन
नारायण मिशन गोविंदपुरा की ओर से रविवार को मकरविल्लकु महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर नारायण गुरु मंदिर में भगवान अयप्पा का अभिषेक, पूजा अर्चना की गई और दीप आराधना हुई इस मौके पर मंदिर में दीपमालाएं सजाई गई और फूलों की रंगोली सजाई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।