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ये टिकट मांगेंगे या बांटेंगे

locationभोपालPublished: Mar 18, 2019 10:55:32 pm

Submitted by:

Alok pandya

भोपाल। मंगलवार को 11 बजे भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की बैठक होने जा रही है। प्रदेश की 29 सीटों के टिकटों के नाम फाइनल करके दिल्ली भेजने वाली 19 सदस्यीय समिति में 14 नेता ऐसे हैं जो या तो खुद चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं या अपने परिवार के किसी सदस्य के टिकट मांग रहे हैं।

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चुनाव समिति हर सीट पर नामों का पैनल बनाकर कर केंद्रीय चुनाव समिति को भेज देगी। केंद्रीय चुनाव समिति उम्मीदवारों का ऐलान चुनाव के चरण के मुताबिक करेगी। चुनाव समिति के सदस्यों में से कुछ के टिकट फाइनल माने जा रहे हैं। लेकिन कुछ के नामों पर संशय की स्थिति है।
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समिति के 14 सदस्य टिकट के दावेदार

राकेश ङ्क्षसह – जबलपुर से सांसद, इस बार फिर दावेदार
शिवराज सिंह चौहान- पूर्व मुख्यमंत्री, पार्टी इस बार शिवराज को उतारने के मूड में। शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान का नाम भी विदिशा से चर्चा में।
नरेंद्र सिंह तोमर- ग्वालियर से सांसद, इस बार मुरैना से उतरने की तैयारी
फग्गन सिंह कुलस्ते- मंडला से सांसद, इस बार मंडला एवं शहडोल से दावेदारी
लाल सिंह आर्य- विधानसभा का चुनाव हारे, भिंड से दावेदार
प्रभात झा- राज्यसभा सदस्य। खजुराहो या रीवा से लडऩे की इच्छा। पार्टी सिंधिया के खिलाफ उतारने के मूड में
कैलाश विजयवर्गीय- पूर्व मंत्री। मंदसौर एवं खंडवा से नाम चर्चा में
नंदकुमार सिंह चौहान- खंडवा से सांसद। फिर चुनाव लडऩे को तैयार
भूपेंद्र ङ्क्षसह- खुरई से विधायक। भूपेंद्र सिंह की धर्मपत्नी सरोज सिंह का नाम सागर से चर्चा में
गोपाल भार्गव- नेता प्रतिपक्ष। अपने पुत्र अभिषेक के लिए सागर से टिकट मांग रहे
लता एलकर- बालाघाट से टिकट की दावेदार
कृष्ण मुरारी मोघे- खंडवा और इंदौर से टिकट के दावेदार
सत्यनारायण जटिया- उज्जैन से टिकट की दौड़ में
कैलाश जोशी- पुत्र दीपक जोशी को टिकट दिलाने की चाह में, दीपक विधानसभा चुनाव हारे हैं।
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सिर्फ पांच सदस्य नहीं हैं दौड़ में
ेंराजेंद्र शुक्ला- वर्तमान में विधायक
नरोत्तम मिश्रा- वर्तमान में विधायक
थावरचंद गेहलोत-राज्य सभा सदस्य
विक्रम वर्मा- पूर्व केंद्रीय मंत्री
सुहास भगत-संगठन महामंत्री

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कुशाभाऊ के सिद्धांत को अपनाना चाहिए-
भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने कहा कि पहले भी यह होता था कि प्रदेश चुनाव समिति सदस्यों के नामों पर भी उम्मीदवार के रूप में चर्चा होती थी। कुशाभाऊ ठाकरे के समय यह व्यवस्था की गई थी कि अगर किसी सदस्य के नाम की चर्चा उम्मीदवार के रूप में हो रही होती तो वह बैठक से अनुपस्थित हो जाता था। वर्तमान में भी सदस्यों का यह ध्यान रखना चाहिए।
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