जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा शुक्रवार को मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने यूपीए सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे इतने विद्वान हैं कि वे कभी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर नहीं हो सकते। एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर तो नरेंद्र मोदी हैं। शर्मा ने कहा कि देश की जनता 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देगी।
फिल्म प्रदर्शन के दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की
मध्यप्रदेश में पिछले माह ही चुनाव खत्म हुए हैं और तीन माह बाद फिर से आम चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव का क्रेज भी बरकरार है। इस बीच पॉलीटिकल ड्रामा फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर रिलीज हो गई है। शुक्रवार सुबह जब इंदौर में फर्स्ट डे और फर्स्ट शो हो रहा था, इसस बीच बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और युवा मोर्चा के नेता अपने समर्थकों के साथ ढोल-ढमाके के साथ सिनेमाघरों में उमड़ पड़े। अव्यवस्था होने पर पुलिस को इन कार्यकर्ताओं को खदेड़ना पड़ा, जबकि कई टाकीजों में हल्का बल प्रयोग करने के भी समाचार हैं। इंदौर के विजय नगर स्थित एक मॉल में विवाद की खबर है।
अनुपम खैर ने की दमदार एक्टिंग, लेकिन असली हीरो मनमोहन सिंह
फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने कहा है कि अनुपम खेर ने दमदार एक्टिंग की है, लेकिन असली हीरो तो मनमोहन सिंह ही हैं। हालांकि फिल्म समीक्षकों का कहना है कि इस फिल्म को दो तरीकों से देखा जाना चाहिए। पहला मनोरंजन । इस फिल्म के शुरुआत में भी कहा जा रहा है कि यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन के लिए है। इसके बाद फिल्म देखने का दूसरा कारण यह है कि यह फिल्म एक खास एजेंडे के तहत बनाई गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री पर आधारित है इसकी कहानी
फिल्म की पूरी कहानी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारी की किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के आधार पर बनाई गई है। मूवी की शुरुआत होती है साल 2004 से। इसी साल भाजपा की एनडीए सरकार को हराकर कांग्रेस की गठबंधन सरकार यूपीए ने लोकसभा चुनाव जीता था। चुनाव के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (सुजैन बर्नेट) ने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया था और पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना दिया था। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह की भूमिका बड़े ही प्रभावी ढंग से निभाई है।
यह भी है खास
-इंटरवल तक यह फिल्म काफी दिलचस्प है। इसमें प्रधानमंत्री दफ्तर (PMO) के भीतर की दिनचर्या दिखाई गई है। इसमें बताया गया है कि कैसे सॉफ्ट नैचर के प्रधानमंत्री सभी चीजों को कैसे कंट्रोल करते हैं। इसमें उनका साथ देते है मीडिया एडवाइजर और पत्रकार संजय बारू। यह भूमिका अक्षय खन्ना ने निभाई है। बारू प्रधानमंत्री के भाषण लिखते हैं।
-फिल्म में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश के साथ न्यूक्लियर डील की बातचीत को भी दर्शाया गया है। इसके बाद लेफ्ट पार्टी का सरकार से समर्थन वापसी, प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़े करना। पार्टी हाईकमान की तरफ से लगातार प्रेशर इन सभी मुद्दों को बड़े ही शानदार तरीके से फिल्माया गया है।
यह है फिल्म का कमजोर पक्ष
इस फिल्म को डायरेक्ट करने वाले विजय रत्नाकर गुट्टे ने फिल्म अच्छे से पर्दे पर उतारा है। जबकि इंटरवल के बाद काफी निराशाजनक लगता है। खासतौर से फिल्म से इंटरटेनमेंट धीरे-धीरे गायब होने लगता है। फिर थोड़ा कंफ्यूजन की स्थिति लगने लगती है। जिन्हें राजनीति में दिलचस्पी नहीं हैं उन्हें बोरियत लगने लगती है।
एक्टर
मनमोहन सिंह-अनुपम खेर
संजय बारू-अक्षय कुमार।
सोनिया गांधी- सुजैन बर्नेट
प्रियंका गांधी-अहाना कुमरा
राहुल गांधी- अर्जुन माथुर