जॉन अब्राहम की आने वाली फिल्म बाटला हाउस में देश के उन राजनेताओं का जिक्र है, जिन्होंने दो आतंकवादियों को मार गिराने की इस घटना का विरोध कर जमकर राजनीति की थी। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नाम का भी इस फिल्म में जिक्र है, हालांकि उनका नाम वहीं रखा गया है या बदल दिया गया है, इसकी जानकारी निर्देशक ने नहीं दी है। फिल्म के निर्देशक निखिल आडवाणी ने ट्रेलर लांच ( batla house trailer ) करने के दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि इस फिल्म में राजनेताओं ( politicians ) की ओर से किया गया विरोध भी दिखाया गया है। जिसमें दिग्विजय सिंह, अरविंद केजरीवाल, अमर सिंह समेत कई नेताओं के बयान शामिल हैं। हालांकि इनके नाम असली होंगे या बदल दिए जाएंगे, इसका जवाब निखिल आडवाणी ने नहीं दिया है।
क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर
19 सितंबर 2008 को दिल्ली में जामिया नगर के बाटला हाउस इलाके में दो संदिग्ध आतंकियों आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद को पुलिस ने मार गिराया था। ये दोनों ही आतंकवादी इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े बताए गए थे। कई सामाजिक संगठनों ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था। यह दोनों ही आतंकी 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों में कथित तौर पर शामिल थे और स्पेशल सेल की टीम दोनों को गिरफ्तार करने के लिए बाटला हाउस गई थी। इस घटना में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर की मौत हो गई थी।
जॉन अब्राहम बने हैं पुलिस ऑफिसर
बाटला हाउस में जॉन अब्राहम डीसीपी संजीव कुमार यादव का रोल निभा रहे हैं, जिन्होंने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था। संजीव इस एनकाउंटर को लीड कर रहे थे। ये एक ऐसे शख्स की कहानी है, जिसने 70 एनकाउंटर किए, 30 में से 22 केस सुलझाए और 9 वीरता पुरस्कार जीते।
तब देशभर में हुई थी जमकर राजनीति
19 सितंबर 2008 को जामिया नगर के बटला हाउस में हुए एनकाउंटर पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद देश के नेताओं ने जमकर राजनीति की थी। एक नजर उन विवादित बयानों पर…।
ममता बनर्जी ने 17 अक्टूबर 2008 को जामिया नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ( trinamool congress president ) ममता बनर्जी ने कहा था कि यह एक फर्जी एनकाउंटर था। अगर मैं गलत साबित हुई तो राजनीति छोड़ दूंगी। मैं इस एनकाउंटर पर न्यायिक जांच की मांग करती हूं।
अमर सिंह ( Amar Singh )
तत्कालीन सपा नेता अमर सिंह ने भी जामिया नगर में ही 17 अक्टूबर 2008 को एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि आडवाणीजी मेरी निंदा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैंने आपकी मांग का समर्थन किया है और मुझे माफी मांगने को कह रहे हैं। बीबीसी और सीएनएन जैसी विदेशी मीडिया ने भी एनकाउंटर ( encounter ) पर सवाल उठाए हैं। मैं आडवाणीजी से मांग करूंगा कि वे न्यायिक जांच की मांग में मदद करें।
दिग्विजय सिंह ( digvijay singh )
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह शुरू से ही बटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मुद्दे के राजनीतिकरण की शुरुआत उन्होंने ही की थी। 10 फरवरी 2010 को दिग्विजय सिंह ने कहा था- एनकाउंटर में मारे गए बच्चों को गुनहगार अथवा निर्दोष साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। मेरी मांग है कि इस मामले की जल्द सुनवाई हो। एनकाउंटर की तस्वीरों को दिखाकर उन्होंने दावा किया था कि एक बच्चे के सिर पर पांच गोलियां लगीं। यदि यह एनकाउंटर था तो सिर पर पांच गोलियां कैसे मारी गईं। हालांकि दिग्विजय सिंह ने इन दावों को तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस का यह ऑपरेशन फर्जी नहीं था।
बयान पर कायम रहे दिग्विजय सिंह
12 जनवरी 2012 को पी चिदंबरम के दावों के बाद भी दिग्विजय सिंह अपने बयान पर कायम रहे। दिग्विजय सिंह ने कहा कि घटना के दो-तीन दिन बाद जिस तरह के तथ्य सामने आए हैं, उसे लेकर जो धारणा बनीं। मैं अपने उस स्टैंड पर आज भी कायम हूं।
दिग्विजय के बयान से कांग्रेस ने बनाई थीं दूरी
बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने वाले दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस ने भी किनारा कर लिया था। जबकि गृमंत्री पी. चिदम्बरम ने मुठभेड़ को वास्तविक बताया था। दिग्विजय कहते हैं कि उनका हमेशा से मानना है कि बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी है, जबकि पीएम मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी. चिदंबरम दोनों इस मुठभेड़ को वास्तविक मानते हैं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल जेल ब्रेक के बाद हुए सिमी आतंकवादियों के एनकाउंटर पर भी सवाल उठा चुके हैं। जेल ब्रेक के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा था कि ये आतंकवादी भागे गए हैं या किसी योजना के तहत भगाए गए हैं। जिस प्रकार सिमी के लोग जेल तोड़कर भाग रहे हैं, इसकी जांच होना चाहिए कि कहीं ये मिलीभगत का नतीजा तो नहीं है।
सलमान खुर्शीद
आजमगढ़ में 10 फरवरी 2012 को एक रैली को संबोधित करते हुए तत्कालीन कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने एनकाउंटर का जिक्र करते हुए कहा था कि जब उन्होंने इसकी तस्वीरें सोनिया गांधी को दिखाईं, तब उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने प्रधानमंत्री से बात करने की सलाह दी थी।
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