scriptबीस वर्षों नगर निगम कर पा रही रिकवरी | MBC orders to recover amount after 20 years | Patrika News

बीस वर्षों नगर निगम कर पा रही रिकवरी

locationभोपालPublished: Feb 09, 2019 10:50:45 am

वसूली शुरू होने के बाद कर्मचारियों को आपत्ति, बता रहे गलत निर्णय…

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बीस वर्षों नगर निगम कर पा रही रिकवरी

भोपाल. नगर निगम के बाबुओं से पार पाना आसान काम नहीं है। ऑडिट ऑब्जेक्शन के बाद मामले का निराकरण कर कर्मचारियों से धनराशि वसूलने की नौबत बीस वर्ष बाद आई है। अब मुश्किल यह है कि इनमें से कुछ कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं और दो की मृत्यु भी हो चुकी है। देरी के चलते इन कर्मचारियों से राशि की किस तरह वसूली की जाएगी, यह बड़ा सवाल है?
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 1997-98 में राशन कार्ड बनाने का कार्य नगर निगम की खाद्य शाखा को राशन कार्ड बनाकर जोन कार्यालयों द्वारा वितरित किए जाने थे।
प्रति राशन कार्ड 6 रुपए लाभार्थी से शुल्क लिया जाना था। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें राशन कार्ड समयावधि में ही बनाकर देने और वितरित करवाने थे, इसलिए जल्दी-जल्दी में काम करवाया गया। कर्मचारियों का कहना है कि राशन कार्ड बनवाकर आनन-फानन में वितरित करवा दिए गए, लेकिन जोन स्तर पर लाभार्थियों से लिए जाने वाला 6 रुपए प्रति राशन कार्ड की दर से 6662 राशन कार्डों की 39972 रुपए की वसूली नहीं की गई।
11 मार्च 1999 को इस मामले पर ऑडिट ऑब्जेक्शन किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारियों ने इस बावत उन्हें वर्षों तक नहीं बताया गया। 26 सितंबर 2016 को कर्मचारियों को तत्कालीन अपर आयुक्त ने पत्र जारी कर इस मामले में जवाब-तलब किया। 27 जनवरी 2017 को इस पत्र का हवाला देते हुए सहायक आयुक्त ने इन 15 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
तत्कालीन अपर आयुक्त वीके चतुर्वेदी के समक्ष प्रस्तुत हुए सभी कर्मचारियों से इस धनराशि की वसूली का आदेश कर दिया गया। कर्मचारियों का कहना है कि सितंबर-अक्टूबर 2018 से उनके वेतन से इस धनराशि की 3500 रुपए की किश्त वसूली जा रही हैं। अब यह पता नहीं चल पा रहा है कि उनसे कितनी राशि वसूली जा रही है। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि इतने वर्षों में उन्हें पहले कभी नोटिस नहीं दिया गया तो उनसे पेनाल्टी वसूल करना सरासर गलत है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, यह बताया नहीं जा रहा।
इन 15 कर्मचारियों में बीएम मिश्रा, मो. नसीम, अजीज फातिमा, आफताब समेत कुछ कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और दो कर्मचारियों की मृत्यु भी हो चुकी है। सवाल यह भी है कि इन कर्मचारियों से धनराशि की वसूली किस तरह की जाएगी।
ऑडिट ऑब्जेक्शन तो वर्ष 1997 से चल रहा था। कर्मचारियों को निरंतर पत्र देने के बाद भी आपत्ति का निराकरण नहीं कराया जा रहा था। बाद में तत्कालीन अपर आयुक्त वीके चतुर्वेदी ने आवेदकों का पक्ष सुना और राशि रिकवर करने का निर्णय दिया।
– सीबी मिश्रा, सहायक आयुक्त, नगर निगम
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