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लैब, लेक्चर थियेटर और ग्राउंड की कमी बनेगी रोड़ा

locationभोपालPublished: Dec 10, 2019 01:10:35 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

जीएमसी में एमसीआई टीम का निरीक्षण

लैब, लेक्चर थियेटर और ग्राउंड की कमी बनेगी रोड़ा

लैब, लेक्चर थियेटर और ग्राउंड की कमी बनेगी रोड़ा

भोपाल. गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 150 सीटों की मान्यता के लिए सोमवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की टीम ने निरीक्षण किया। एमसीआई की तीन सदस्यीय टीम ने हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल का निरीक्षण करने से पहले टीचिंग स्टाफ की उपलब्धता जानने के लिए गिनती (हेड काउंट) की। निरीक्षण के तरीके में यह बदलाव संस्थान में डॉक्टरों की मौजूदगी का स्टेटस जानने किया था।
दोपहर बाद निरीक्षण दल के अफसरों ने हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल का निरीक्षण किया। जानकारी के मुताबिक फिलहाल 150 सीटों की मान्यता के हिसाब से निरीक्षण किया गया। मान्यता मिलने के बाद जीएमसी में उपलब्ध सुविधाओं का आकलन 250 सीटों के हिसाब से किया जाएगा। विशेषज्ञों की मानें तो मौजूदा सुविधाओं के दम पर 250 सीटों की मान्यता मिलना बेहद मुश्किल है।
यहां बढऩी हैं सीटें
प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें बढ़ाने की तैयारी है। इसमें इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल के मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटें व रीवा मेडिकल कॉलेज में 50 सीटें बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बाद रीवा में 150 और बाकी जगह 250-250 सीटें होंगी।
अभी ये हैं कमियां
लेक्चर हॉल: 250 सीट के लिए जरूरी पांच लेक्चर थियेटर नए एडमिन ब्लॉक में तैयार किए जा रहे हैं। इसमें एक साल लगेगा।
स्पोट्र्स ग्राउंड: खेल मैदान नहीं है। अब कमला नेहरू अस्पताल की जमीन पर ग्राउंड बनाने की तैयारी की जा रही है।
लैबोरेटरी: बायोकेमेस्ट्री, फिजियोलॉजी, एनॉटमी, पैथोलॉजी लैब नहीं हैं। नई बिल्डिंग में इन्हें बनने में एक से डेढ़ साल लगेंगे।
निर्माण कार्य में देरी से हो रही परेशानी
250 सीटों के लिए 300 सीट वाले चार एसी लेक्चर थियेटर की जरूरत है। अभी कॉलेज में एक भी हॉल इतना बड़ा नहीं है। इसके लिए 89 करोड़ से कॉलेज की नई विंग व प्रशासनिक ब्लॉक बनाया जा रहा है। यह विंग जून 2018 तक तैयार होनी थी, लेकिन अब तक काम अध्ूारा है। कॉलेज बिल्डिंग और अन्य निर्माण कार्य भी तय समय से पीछे चल रहे हैं। एमसीआई टीम को जीएमसी और हमीदिया अस्पताल के निरीक्षण में कई कमियां दिखीं । लैक्चर हॉल, स्पोट्र्स ग्राउंड और लैब का न होना भी टीम को नागवार गुजरा।
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