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अध्ययन केंद्र खोलने के लिए कुठियाला ने बदले नियम और किया लेनदेन

locationभोपालPublished: Jun 24, 2019 08:41:33 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

mcu bhopal : कुठियाला की धांधलियों की परतें खुलती जा रही है।
 

MCU BHOPAL

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि ( MCU Bhopal ) के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर ब्रजकिशेर कुठियाला ( kuthiyala ) की धांधलियों की परतें खुलती जा रही है। ( EOW ) ईओडब्ल्यू ने कुठियाला के कार्यकाल में खोले गए अध्ययन केंद्रों की छानबीन शुरु की तो पता चला कि कुठियाला ने अध्ययन केंद्रों के संबंध में विवि के मूल अधिनियम-18 में को ही बदल दिया। इसमें तीन अहम बदलाव कर 8 साल के कार्यकाल में 1297 केंद्र खोल दिए।

ईओडब्ल्यू द्वारा अध्ययन केंद्रों की अब तक की गई छानबीन में सबसे चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि अध्ययन केंद्र खोलने के ऐवज में तत्कालीन प्रबंधन ने 15-18 करोड़ रुपए तक का लेनदेन किया है। हालांकि अभी इस दिशा में जांच जारी है और कई तथ्य सामने आना बाकी है। ईओडब्ल्यू ने एक केंद्र खोलने के बदले 2 से 5 लाख रुपए तक की रकम की उगाही की आशंका जाहिर की है।

MCU BHOPAL

 

राज्य के बाहर भी कुठियाला ने 210 केंद्रों को अनुमति दी है। ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया है कि अध्ययन केंद्र खोलने के लिए कुठियाला ने अपने भरोसेमंद व चहेते दीपक शर्मा की मदद ली। दीपक शर्मा को एसोसिएशन ऑफ स्टडी इंस्टीट्यूट का निदेशक बनाया था।

निदेशक के जरिए ही अनुशंसा आगे बढ़ाई जाती थी। यह भी आरोप है कि जिन संस्थाओं के पास मूलभूत सुविधाएं व अधोसंरचना नहीं थी, उन्हें भी केंद्र खोलने की अनुमतियां दे दी गई। ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी ने बताया कि अध्ययन केंद्र खोलने में आर्थिक गड़बडिय़ों के आरोप है। इसकी जांच की जाएगी।

अधिनियम में बदलाव से खुलते गए केंद्र

कुठियाला ने अध्ययन केंद्रों के लिए विवि के मूल अधिनियम-18 में बदलाव कर दिया। फैकल्टी व लैब संबंधी महत्वपूर्ण बिंदु हटाकर उन्हें शिथिल कर दिया, जिससे अध्ययन केंद्र कोई भी खोलने के लिए पात्र हो गया। कुठियाला ने अध्ययन केंद्रों के लिए बनाए गए विवि के अधिनियिम-18 में ये तीन बदलाव कर अध्ययन केंद्रों को अनुमतियां दी है।

– अधिनियम-18 में फैकल्टी से संबंधित नियम था कि कम से कम संबंधित क्षेत्र में 5 साल के अनुभवी व्यक्ति जो राज्य स्तरीय किसी मीडिया ब्रांड के साथ काम कर चुका हो और पेशेवर अनुभव रखता हो, उसके होने के बाद अनुमति मिलेगी। इसे कुठियाला ने हटवा दिया।

– मीडिया/कंप्यूटर केंद्रों के लिए लैब में उपकरणों की संख्या में भी संशोधन कर दिया। सेटेलाइट रेडियो व माइक्रोफोन विद एम्प्लीफायर एंड साउंड बॉक्स हटा दिया गया।

– अकाउस्टीकली डिजाइंड वीडियो स्टूडियो विद फैसिलिटी फॉर न्यूज रीडिंग को हटा दिया गया।

ईओडब्ल्यू को मिली लेनदेन की जानकारी

अध्ययन केंद्र खोलने के एवज में विवि का तत्कालीन प्रबंधन मोटी रकम एंठता था। इसकी जानकारी ईओडब्ल्यू को मिली है। बताया जा रहा है कि 15-18 करोड़ रुपए की लेनदेन तो एक ही व्यक्ति ने अध्ययन केंद्र खोलने के एवज में की है। ईओडब्ल्यू को आशंका है कि इतनी मोटी रकम की लेनदेन के लिए एक अध्ययन केंद्र की अनुमति के बदले में 2 से 5 लाख रुपए तक का लेनदेन किया गया है।

ईओडब्ल्यू का तर्क है कि रिश्वत का कोई प्रमाण नहीं होता हैं, लेकिन यह इस बात से साबित होता है कि विवि के इतिहास में मात्र 540 केंद्र ही खोले गए थे, लेकिन जैसे ही कुठियाला कुलपति बने, इसके बाद यहां 1297 केंद्र खोले गए। आखिर इसकी अचानक ऐसी क्या जरुरत पड़ गई?

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