भोपाल

विदेश मंत्रालय के सचिव बोले- एक साल के अंदर आपके हाथों में होगा इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट

पत्रिका से हुई बातचीत में बोले विदेश मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश्वर एम. मुले

भोपालSep 24, 2018 / 11:34 pm

विकास वर्मा

Dnyaneshwar Mulay

भोपाल। विदेश मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश्वर एम. मुले ने पत्रिका से हुई बातचीत में सोमवार को कहा कि एक साल के अंदर आम आदमी के हाथों में कागज की बजाए इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट आ जाएगा। यह पासपोर्ट करेंसी की तर्ज पर कई तरह के सिक्योरिटी फीचर से लैस होगा। इसमें अलग-अलग फॉर्म में पासपोर्ट होल्डर की जानकारी उपलब्ध होगी जो आम आदमी को नहीं दिखेगी। मुले ने कहा कि इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाईजेशन द्वारा ट्रैवल डॉक्यूमेंट के लिए तय फॉर्मेट के तहत इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट का प्रावधान है। इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट उनकी रिकमंडेशन है जिसे हमने एक्सेप्ट किया है। वर्तमान में हमारी सभी मशीनें इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट रीडेबल हैं।

मुले सोमवार को मप्र शासन के डिपार्टमेंट ऑफ ओवरसीज इंडियंस और मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स की ओर से होटल जहानुमां पैलेस में दूतावास, पासपोर्ट और प्रवासी भारतीयों से जुड़ी समस्याओं को लेकर एमईए-स्टेट आउटरीच कॉन्फ्रेंस में शामिल होने भोपाल आए थे। इस कॉन्फ्रेंस में मप्र शासन के उद्योग व प्रवासी भारतीय मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, मप्र ओवरसीज इंडियन डिपार्टमेंट के पीएस मोहम्मद सुलेमान, आईजी लॉ एंड ऑर्डर योगेश चौधरी समेत विदेश मंत्रालय के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

हफ्ते में एक दिन एम्बेसडर संग चाय पर चर्चा
मुले ने बताया कि जब भी कोई विदेश जाएं तो ध्यान रखें कि वहां भारतीय दूतावास आपके दोस्त की तरह है। विदेश में अगर कोई जरूरतमंद भारतीय फंसता है तो उसकी मदद के लिए सुरक्षा व कल्याण के लिए इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड की व्यवस्था है। इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने हफ्ते में एक दिन एम्बेसडर के साथ चाय पर चर्चा का प्रावधान किया है। इसके तहत किसी भी देश में कोई भी भारतीय या विदेशी नागरिक भारत के बारे में कुछ जानना चाहता है या उसे किसी भी तरह की कोई समस्या है तो वह बिना अप्वाइंटमेंट के एम्बेसडर से मिल सकता है।

 

हम अवैध एजेंट की जानकारी भेजते हैं लेकिन सरकार कानूनी कार्रवाई में करने में बहुत समय लगाती है
ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहा, देश में अवैध एजेंट के कारण कई भारतीय विदेशों में फंस जाते हैं। हमने अवैध एजेंट को ट्रैक कर उनकी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की है। इसके अलावा हम संबंधित राज्य सरकारों को भी जानकारी भेजते हैं कि इस पर कानूनी कार्रवाई कीजिए लेकिन मप्र समेत सभी राज्य सरकारें अक्सर बहुत समय लगाती हैं। हम चाहते हैं इस मामले में वे जल्दी कार्रवाई करें ताकि अन्य नागरिक उनके झांसे में ना सकें। मुले ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्य सरकार को विदेश मंत्रालय के विभिन्न उपक्रमों से अवगत कराया गया। मप्र के जो लोग विदेश में रहते हैं या जाना चाहते हैं, उन्हें आने वाली परेशानियों का तत्काल समाधान हो इसमें मप्र शासन कैसे सहयोग कर सकता है इस पर भी चर्चा हुई। जब तक राज्य सरकार इसमें खुद सहयोग नहीं देगी तब तक विदेश मंत्रालय के प्रयास सफल नहीं हो सकते। मुले ने कहा कि विदेश में किसी भी तरह की समस्या होने पर राज्य सरकार का सपोर्ट बहुत जरूरी है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद को भारतीय नागरिक बताता है और उसके पास पासपोर्ट नहीं है तो ऐसे में उसकी पहचान संबंधित राज्य ही कर सकता है।

ओसीआई कार्ड होल्डर को क्या फायदा
ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड होने से भारतीय मूल के विदेशी नागरिक को भारत में कई सुविधाएं मिलती हैं। उसे लाइफ में कभी भी भारत का वीजा लेने की जरूरत नहीं है। उसे भारत में प्रॉपर्टी खरीदने से कोई रोक नहीं सकता। यहां उसे आसानी से नौकरी भी मिल सकती है। मुले ने बताया कि वर्तमान में 165 ऐसे देश हैं जिन्हें हम बगैर एंबेसी जाए इलेक्ट्रिॉनिक वीजा उपलब्ध करा रहे हैं। हमारी इस पहल को लोगों ने काफी पसंद किया है।

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